15 September 2022

बहिष्कार@बॉलीवुड

लाल सिंह चड्डा के बहिष्कार से लगभग बॉलीवुड अंदर से पूरी तरह हिल गया है. पूरा कैम्पेन स्वयंस्फूर्त था, न किसी राजनीतिक पार्टी का एजेंडा न कोई फ़ंडिंग थी. लोगों ने सिर्फ़ सोशल मीडिया के ज़रिए सभ्य भारतीय समाज में दशकों से ज़हर बोती हुई एक बिगड़ैल और चार-पाँच परिवारों की वर्चस्व वाली इंडस्ट्री को घुटनों पर ला खड़ा किया है ! महीनों तक बायकॉट बॉलीवुड का ट्रेंड में होना गम्भीर संकेत है. 

बॉलीवुड भारतीय सिनेमा का चेहरा था. फ़िल्में हमें जो दिखाती है उसका समाज पर काफ़ी प्रभाव पड़ता है.. लेकिन इस इंडस्ट्री ने केवल पैसे और वंशवाद को प्राथमिकता दी है. हवाला कारोबार में लिप्त रहने का आरोप तो पहले से है. उलुलज़लुल चोरी की कहानियाँ और गंदगी के अलावे इसने सिर्फ़ अपना एजेंडा समाज पर थोपा है. पब्लिक को बेवक़ूफ़ बनाने वाले कहानियों पर इसने अधिक फ़ोकस रखा. धर्म का मज़ाक़ बनाने से कभी नहीं चुके. 

आज के डिजिटल युग में OTT प्लैट्फ़ॉर्म ने पब्लिक को बता दिया है की कांटेंट का मतलब क्या होता है, सस्पेन्स और थ्रिल के मामले में तुम्हारी सारी इंडस्ट्री कूड़ा है बस ! साउथ की फ़िल्मों ने अपने घोड़े खोल दिए हैं, तुम्हारी चोरी पकड़ी जा रही.. अब वह वक्त है की पब्लिक खुद से प्रशंसा कर दर्शकों को सिनेमा हॉल तक पहुँचाती है.. ट्रेलर डालिए, पब्लिक अपने पारामीटर से कहानी नापेगी. जँची तो ठीक नहीं तो डूबने को तैयार रहिए. 

पंचायत जैसी वेब सिरीज़ धमाल मचा दे रहा. 

RRR देखने हॉल गया, 3D में इतनी बेहतरीन सीनेमेटोग्राफ़ी थी लास्ट के सीन में हर दो मिनट में अपने आप वाउ निकल रहा था.. दर्शकों को अब इस बात से घंटा फ़र्क़ नहीं पड़ रहा की स्टार कौन है, किस हीरो का बेटा है या बेटी है.. फ़िल्म की स्टोरी में अगर दम है, राष्ट्र और धर्म की इज्जत बचा रखी है तो बेशक चलेगी.  कपड़े खोलकर नाचने का ज़माना भी लद गया, क्योंकि दुनिया भर के कांटेंट फ़्री में पड़े हैं युवाओं के लिए. अब उन्हें चाहिए स्टोरी और ज़बरदस्त ऐक्टिंग.. साथ में राष्ट्र की इज्जत..

कोरोना ने एजुकेशन सेक्टर और फ़िल्म इंडस्ट्री को पूरी तरह से पलट कर रख दिया है. क्वालिटी है तो टिकोगे नहीं तो कुत्ता नहीं पूछेगा टाइप का मामला हो गया है. फ़िल्म इंडस्ट्री का घमंड एकदम टूट के बिखर चुका है. उधर वास्तविक डर का माहौल अभी है जिसके सपने उनलोगों को 2016 में आए थे. छमक छमक कर अवार्ड वापस की जा रही थी.  सोशल मीडिया राष्ट्रवादियों के लिए प्रेक्षपाष्त्र/मिसाइल बन चुका है. एक एक गलती खुरेद कर निकाला जा रहा है.. गिड़गिड़ाने पर भी नहीं छोड़ा जा रहा !

वाक़ई डर का माहौल है भाई साहेब.. 

ये सोशल मीडिया वाली पब्लिक तो अपनी सरकार तक को नहीं छोड़ रही.. भोत हार्ड है.. दया नाम की चीज़ भी नहीं है… 

एकदम निर्दयी हो बे…

🤫😃😛

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