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22 July 2017

अमेरिकी चाल का मोहरा पाकिस्तान

अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को आतंकी समर्थक देशों की सूची में डालना अमेरिकी पूंजीवादी तरक्की के लिए भारत को रिझाने की कोशिश मात्र है। जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा से लेकर ट्रंप प्रशासन, उनकी खुफिया एजेंसियां और अफगानिस्तान में जंग लड़ रहे उनके सैनिकों ने पहले भी पाकिस्तान को आतंकी पनाहगार देश माना है, और समय-समय पर पाकिस्तान के लिए अपने फायदे के हिसाब से आतंकवाद की परिभाषा में हेरफेर करता आया है।

नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच जो जुगलबंदी दिखी उसके परिणाम के रूप में पाकिस्तान को आतंकवादियों के मददगार देशों की सूची में डालना एक रणनीति का हिस्सा है। पाकिस्तान में बैठे हैं नेताओं, मौलानाओं या इस्लाम के लड़कों के ऊपर अमेरिकी फैसले का कोई शिकन नहीं दिखा। ताल ठोक कर पहले भी कहते रहे हैं कि हम कश्मीर में लड़ रहे हैं और लड़ते रहेंगे। कश्मीर के बहाने पाकिस्तान में खुली आतंकी फैक्ट्री दुनिया की किसी देशों से नहीं छुपी फिर भी भारत के खिलाफ पाकिस्तान की धरती से सीधे इस अभियान को रोकने टोकने कभी कोई अमेरिका या पश्चिमी देश नहीं आए और ना आएंगे।

वैश्विक आतंकवाद के क्षेत्र में जब अमेरिका और पश्चिमी देशों ने इराक और सीरिया में पनप रहे आईएसआईएस के विरुद्ध जंग छेड़ी लेकिन उस एलियंस में भारत के शामिल होने के मुद्दे पर उसकी चुप्पी 20 करोड़ मुसलमानों के नाराज होने के डर की वजह से है। जब इस्लामी आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में सऊदी अरब के बमवर्षक विमान और उसकी सैनिक ताकत हिस्सा ले रही है तो भारत जैसे आतंकवाद से लहूलुहान देश को इस मुद्दे पर आंतरिक राजनीति से हटकर सोचना होगा। याद रखें कि हमारे दोनों दुश्मनों चीन और पाकिस्तान से लड़ने ना तो अमेरिका आएगा न इजराईल! हमें इन दोनों से अपने दम पर मुकाबला करना होगा।

अमेरिका से साझेदारी और भरोसा बनाने के लिए हमें उसकी चाल का मोहरा बनना होगा ताकि वो चीन की बढ़ती ताकत को भारत का इस्तेमाल करके नियंत्रित कर सके। हिंद महासागर, दक्षिण चीन सागर और पड़ोसी देशों पर चीन की बढ़ती दादागिरी पर अंकुश लगाने के लिए भारत को भी अमेरिका की जरूरत है जो तकनीक और हवाई ताकतों के बल पर उसके मनमानेपन से निपटने का एक बेहतर सहयोगी हो सकता है।

एशिया क्षेत्र में अमेरिका की घटती लोकप्रियता के पीछे चीन है जो उसे हर मोर्चे पर धमकाने के अंदाज से लगातार भीड़ रहा है। भारत के साथ चीन की टकराव की ताजा स्थिति में अमेरिका की सक्रियता और रूस की तटस्थता इस बात का संकेत है कि रूस अब भारत को पुराने सोवियत संघ का साझीदार नहीं मान रहा जो गुट निरपेक्ष होने के बावजूद भी गाहे-बगाहे या आंतरिक तौर पर सोवियत का समर्थक रहा है और अमेरिका का धुर विरोधी।

भारत का अमेरिका के प्रति झुकाव चीन और पाकिस्तान के बदौलत है। दोनों से निपटने के लिए हमें अमेरिका के सहयोग की जरूरत होगी जिसे वह व्यापार के तौर पर बिना फायदे के मदद तो कर नहीं सकता। जिस तरह अमेरिका की नजरें चीन की बढ़ती अर्थव्यवस्था और उसकी उभरती महाशक्ति की छवि बिगाड़ने में लगी है उसी तरह वह कश्मीर मुद्दे के बल पर पाकिस्तान को मोहरा बनाकर भारत का फायदा उठाना चाहती है। सबको पता है कि अमेरिका पाकिस्तान को पहले भी शह देता आया है और अभी दे रहा है। ताकि वह भारतीय बाजार का इस्तेमाल अपने सैन्य उपकरणों तथा पुरानी तकनीकों का व्यापार कर सके।
इसलिए यह फालतू की उम्मीद लगाना मूर्खता होगी कि वह आतंकी पनाहगारों की लिस्ट में पाकिस्तान का नाम डाल कर भारत की मदद कर रहा है और वह भारत के लिए इस्तेमाल होने वाले आतंक का सफाया करने को प्रतिबद्ध है! वह ना तो सीरिया इराक की तरह पाकिस्तान में फल फूल रहे आतंकी ठिकानों पर कार्यवाहियां करेगा और ना ही सीधे-सीधे आतंकवादियों तक पहुंचने वाले पाकिस्तानी फंडिंग पर रोक लगाएगा।

उसे अपने सामान बेचना भारत आना है सैन्य सामान का खरीददार भारत से बड़ा कोई नहीं इसलिए वह भारतीय प्रधानमंत्री के आगे पीछे चलने को मजबूर है।
इस तरह इसका कतई मतलब यह न निकाला जाए अमेरिका भारत की सीमा सुरक्षा व विश्व राजनीति में भागीदार बनाने को उत्सुक है। वह जो कर रहा है अपने फायदे के लिए कर रहा है अमेरिकी गणतंत्र की दुनिया में चल रही धाक को बनाए रखने के लिए कर रहा है।

Image result for modi trump imageइसके लिए उसे किसी देश की संप्रभुता, उसकी आजादी, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक स्वतंत्रता से कोई लेना-देना नहीं! बल्कि जरूरत पड़ने पर उसे नष्ट करने से भी वह नहीं कतराता!
इसलिए भारत को सावधान रहने की जरूरत है। पाकिस्तान भारत के खिलाफ अमेरिकी मोहरा पहले से है जिसे वह कश्मीर के माध्यम से साजिशों को अंजाम आज भी दे रहा है और चीन के खिलाफ भारत को अपना मोहरा बनाने का लालच उसकी आंखों में दिख रही है।

फिर भी हमें भरोसा है यह भारत की सरकार कूटनीति की चालो में माहिर खिलाड़ी है और उसे उसी के अंदाज में पटखनी देना भी बखूबी जानती है...

✍ अश्वनी ©



24 June 2017

सामने से 56 इंच दिखाओ!

कश्मीर, गरीबी और नेता से देश का माहौल हमेशा रंगीन रहता है| मार-काट, भुखमरी और बेरोजगारी पेशेवर नेताओं और नेताइनियों का ग्लूकोज है| अरबपति दलित कहे जा रहे हैं और दलित अरबपतियों के लिए बलि चढ़े जा रहा हैं| मुल्ले पाकिस्तान की जीत पर पटाखे फोड़े जा रहे हैं और नेता उसका सबकुछ चाट रहा है|

सरकार राष्ट्रवादियों की है मगर राष्ट्रवादियों को ये समझ नहीं आ रहा की साला सरकार चला कौन रहा है? भयंकर धांसू हिंदुत्व का चोला पहनने वाली बीजेपी भगवा से घबरा क्यूँ रही है? राम मंदिर और धारा 370 के मसले पर हरियाली के प्रति बीजेपी और मोदी का सद्भाव सबका साथ- सबका विकास के कारण है या इस्लामी-सेकुलरों के डर से! देश में हिंदुत्व के शासन का प्रतिनिधि मौनमोहन का रिकॉर्ड तोड़ने वाले हैं! समूची पार्टी को सिर्फ चुनाव दिखने लगा लगा है, हाँ बीच में फुर्सत मिलने पर घूम-टहल भी आते हैं फॉरेन से!

बीजेपी ने युवाओं का सपना तोडा है| बेरोजगार बनाकर घर बैठा दिया, मोबाइल थमाकर जिओ दिला दिया! बेटा करते रहो फेसबुक, व्हाट्सएप्प! लड़ते रहो संघी-कांग्रेसी बनकर! रोजगार से ज्यादा जरूरी युवाओं के लिए हीरो-हेरोइन और बाहुबली का सस्पेंस दिखता है!
सत्ता पक्ष का इतना पिलपिला रूप कभी नहीं देखने को मिला जब विपक्ष में राहुल गाँधी और लालू के लाल जैसे नेता प्रायोजित किये जाते हों| फिर भी इनसे न तो वामपंथी संभल रहे न ही नक्सली| जिसे जो मन आता है वो भरपेट सरकार और मोदी को गरिया दे रहा है| क्या फायदा इतने प्रचंड पहुमत का जब आपसे एक कन्हैया एक उमर खालिद तक कंट्रोल नहीं होता? कांग्रेसी मध्य प्रदेश में दंगा करते हैं और आप ही के नेता अनशन पर बैठ जाते हैं! कश्मीर में मुल्ले सेना को घसीट-घसीट मार रहे और आप महबूबा के आशिकी के फंसे हो! पाक रोज अन्दर आकर देश के सीने में खंजर घोंप रहा और आप नवाजियत में उलझकर अमेरिका का मुंह ताकते हो! चीन तो आपके बस का है ही नहीं, छेड़ोगे तो अरुणाचल भी दे दोगे! बची खुच मर्यादा अमेरिका की चमचागिरी में ही ढीली कर ही लीजिये!

एक थी सोनिया, जो रात में भी लाठी चलवाकर कितनों को सलवार-कमीज पहना देती थी| कभी फिल होता है की ये बीजेपी की सरकार न होकर बिजली का खम्भा है, जिसपर हर विरोधी कुत्ते टांग उठाकर हल्का हो लेता है! अब आपके भक्तगण भी लाइन में लगने वाले हैं!

माफ़ कीजिये हमने आपको बहुमत इसलिए नहीं दिया था की विकास का मतलब रोज नए-नए टैक्स थोपकर इकॉनमी बेहतर करें! बेहतर होगा की जनता की जेब लुटने के बजाए अपने खर्चे पर लगाम लगाइए! नेताओं की सुविधा, वेतन-भत्ते में कटौती कीजिये| देशद्रोहियों की सुरक्षा हटाइए| ये आपके लिए मुश्किल हो सकता है क्योंकि आपने शायद लोकतंत्र की सारी मान-मर्यादा का ठेका ले रखा है|

डरते क्यों हो, सख्त बनो! जो भी जरा भी चोंच खोले या जिसको भी आजादी चाहिए सारे रासुका, पोटा, टाडा कानून थोप मारो| सीबीआई, ईडी को शेर की तरह  चोरों के जंगल में छोड़ दो| असली राष्ट्रवादी चेहरा दिखाओ| कश्मीर पर खुल के बोलो, विरोध करे या आतंकवादियों का समर्थन करे सीधी गोली मारो| अमेरिका ब्रिटेन कोई विरोध करे तो बहिष्कार करो उसका| पाक में बलूचिस्तान और गिलगिट क्षेत्रों में सीधी हस्तक्षेप करो! चीन-पाक कॉरिडोर में अड़ंगे लगवाओ! 
Image result for kashmir girl stone pelting imageसेना को राजनीति से दूर रखो, खुली छुट दो! इजराइल जा रहे हो, वहां से मोसाद को कश्मीर लाओ, सेना को ट्रेनिंग दिलवाओ और पाक के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ो! पत्थरबाजों पर सिर्फ पैलेट गन चलाओ, गैस-वैस से काम नहीं चलेगा! ज्यादा उलझे तो गोली चलाओ बाकी से मोसाद निपट लेगा! कोर्ट चूं-चां करे उसका भी इंतजाम करो!
भारतीय बाजार का इस्तेमाल करो और दुनिया में कारोबार के बदौलत सामरिक ताकत बढाओ! अधिकार-कानून की जो भी बात करे उसे बाजार से बैन करो और खौफ पैदा करो! सऊदी अरब और जापान-कोरिया जैसे देशों से नजदीकियां बढाओ! ईरान और सऊदी के बीच शिया-सुन्नी की लड़ाई का भरपूर फायदा उठाओ!

नेतागिरी और गांधीगिरी का कम से कम इस्तेमाल करो! विपक्ष और मीडिया को रिस्पांस देना बंद करो! जब जनता साथ है तो सारी ऊर्जा झाड़ू लगाने में बर्बाद मत करो! विकास बाद में हो लेगा!
रोल में आओ, सामने से 56 इंच दिखाओ! देखो कोई नहीं टिकेगा सब घाघरा उठाकर भागते मिलेंगे! फिर भी उसके चूतड पर बजाओ ताकि तथाकथित राष्ट्रवाद और असली राष्ट्रवाद में अंतर पता चलते रहे................


लेखक:- अश्वनी कुमार, जो ब्लॉग परकहने का मन करता है’ (ashwani4u.blogspot.com) के लेखक हैं... ब्लॉग पर आते रहिएगा...
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