20 February 2022

● GeoPolitics ●

रूस और यूक्रेन के मुद्दे पर ग्लोबल पॉलिटिक्स से हमने क्या सीखा ?

यह की आप कौन हैं, क्या हैं या कुछ भी रहें.. आपको शक्ति के दो धुरियों के मध्य अपने दम पर बैलेंस बनाकर रहना है वरना पीस जाएंगे !

अपने गाँव, समाज या जिस मुहल्ले में रह रहे हो वहां भी यही मैकेनिज्म है ! पृथ्वी के भी दो पोल हैं..

शांतिप्रिय, न्यायप्रिय होने की ओट में निष्क्रिय बने रहना चाहते हैं तो कभी आपका वजूद स्थापित नहीं हो पायेगा !

जंगल में शेर को या भेड़िये को दया भाव क्यों नहीं आती ? भूखे मर जायेंगे वे हमारे ज्ञान सीखकर !!

हर वक्त इस सारे संसार में श्रेष्ठता की जंग हो रही है.. जंग का हिस्सा बने रहना चाहिए ! 


कोई देश जरा भी कमजोर या पिलपिला हुआ तो वैश्विक धुरियाँ रखैल बना लेगी ! 

कोई राजनीति पार्टी थोड़ा भी सिद्धांत से चलने लगेगी तो तुरंत उसके सांसद विधायक तोड़ लिए जाते हैं !

जो जानवर हमला करना नहीं जानता, नुकीले दंत-नाखून नहीं होते वो सबका आसान चारा बना जाता है हिरन की तरह ! क्या नहीं है उसके पास ? मासूमियत, शांतिप्रिय और अहिंसक भी है.. बेचारा किसी को मारकर भी नहीं खाना जानता, घास ही खाता है.. फिर भी सबका चारा है..

घास खाकर खूब सारा प्रोटीन जमा करता.. फिर इकट्ठे सारे प्रोटीन को शेर अपने अंदर डाल लेता ! हो गया ट्रांसफर ऑफ एनर्जी..

दुनिया के देशों के बीच यही कांसेप्ट लागू होता है..


हमारी श्रेष्ठता सेना से है.. हमारा देश रक्षा क्षेत्र में जितनी प्रगति करेगा उतना ग्लोबल पॉलिटिक्स में भौकाल होगा !

भारत की इज्जत इसलिए नहीं है कि हम बहुत शांतिप्रिय हैं, कभी दूसरों को तकलीफ नहीं पहुंचाते आदि आदि ! बल्कि हम दुनिया का सबसे बड़ा बाजार हैं, अथाह सम्भावना है तरक्की की ! हमारी तीसरी सबसे बड़ी पैदल सेना है.. दुनिया में चौथी सबसे बड़ी एयरफोर्स ताकत है हमारे पास..

दुनिया में सबसे अधिक टॉप ब्रेन की प्रोडक्शन हमारी माताएं करती हैं..

इस नैरेटिव में हमें नहीं चलना है कि हम अटैकिंग नहीं हैं या चरखे से डफली बजा देंगें की बकलोली में फंस जाना है !

यह बात हमें भीरु बनाकर रख देगा.. बगल के दो भेड़िये तुरन्त नोच डालेंगे..

वर्ल्ड पॉलिटिक्स को समझने का प्रयास कीजिये ! 

हमारी कोशिश हो कि हम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हथियारों से सुसज्जित हों.. आत्मसुरक्षा में इजरायल से सीखने की जरूरत है, जिसके पास लड़ने के अलावा कोई विकल्प कभी नहीं रहा..



18 February 2022

● टेलीमेडिसिन ●

भारत सरकार ने आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत चिकित्सा क्षेत्र में क्रांतिकारी शुरुआत की है !

ई-संजीवनी एप्लीकेशन द्वारा घर बैठे ओपीडी परामर्श प्राप्त करने कि सुविधा लोगों को मिलने लगी है ! अभी यह शुरुआती चरण में है इसलिए लोगों को फिलहाल इसके दूरगामी परिणाम नहीं दिख रहे होंगे.. आने वाले दो से तीन वर्षों में चिकित्सा के क्षेत्र में धूम मचने वाली है और सरकार शायद उज्ज्वला योजना की तरह सीधे ग्रामीण आबादी के दिल में उतर जाएगी !

जिसने भी ग्रामीण परिवेश जीया है उसने मरीजों को खाट पर टांगकर कई कई मील चलते लोगों की टोली को जरूर देखा होगा ! निरीह आबादी शहर के सरकार अस्पतालों के लाइन में कैसे धक्के खाया करती थी..

गमछे से निकाल कर सत्तू और प्याज खाते मरीजों को अगर आपने देखा है तो समझ लीजिए टेलीमेडिसिन का कांसेप्ट दिल में जरूर उतरेगा... ये तो सपने जैसा ही है कि दूर दराज के गाँव में रहने वाले लोगों को हम ऐसी व्यवस्था से लैस कर रहे हैं कि देश के विभिन्न अस्पतालों में बैठे उत्कृष्ट डॉक्टरों से ईलाज ले सकेंगे..

जब फार्मा इंडस्ट्री के आतंक से अधिकांश आम जनता कराह रही है वैसी स्थिति में प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना तथा टेलीमेडिसिन का मिक्स डोज, गरीबी से उबारने की पटकथा से कम नहीं है !

जनऔषधि परियोजना को कम आंकने की भूल कतई न करें ! सरकार ने जेनेरिक दवाओं के गुणवत्तापूर्ण रिसर्च तथा टेस्टिंग के लिए Pharmaceuticals & Medical Devices Bureau of India नामक एक body का गठन किया है जो पूरे परियोजना को नियंत्रित कर रही है ! ब्रांड दवाओं की तुलना में इसकी कीमतें 80 से 90% तक कम है..

क्लियर है कि डॉक्टरों की कमीशनखोरी और फार्मा के मोनोपोली वाली लूट बंद होने की कगार पर जाकर खड़ी हो चुकी है ! सरकार का लक्ष्य अगले कुछ सालों में गाँव गाँव तक जनऔषधि की दुकानें खोले जाने का है..

एक के बाद एक चरण में प्रयासों से हम आसानी से टेलीमेडिसिन के द्वारा न केवल अच्छे डॉक्टरों से ग्रामीण इलाकों तक बेहतरीन ईलाज पहुंचा सकते बल्कि मामूली कीमतों में बेहतर दवा मुहैया करा पायेंगे.. सरकार चाहे तो उनके दरवाजे तक कूरियर पार्टनर्स के द्वारा डिलीवरी करा सकती है, ऐसे में कई स्टार्टअप को रोजगार भी मिल सकेगा !

Village Level Entrepreneurs यानी कॉमन सर्विस सेन्टर को सरकार 5 से 10 रुपये की कमीशन दे, फिर देखिए यह योजना कैसे क्रांति का रूप पकड़ लेती है ! CSC में रोगी को पकड़ पकड़ के ओपीडी परामर्श दिलाया जाएगा.. लोगों में जबरदस्त समझ बढ़ेगी, ग्रास रुट लेवल तक सरकार का यह कांसेप्ट पहुंचने में देर नहीं लगेगा क्योंकि लगभग हर घर में स्मार्टफोन पहले से पहुंच रखा है !

अगर सरकार अपनी मंशा में सफल होती है तो निश्चित है कि डिजिटल इंडिया सच में उस खाई को पाट देगी जिसके सपने कभी हर चुनाव के पहले देखे जाते थे !

MCI की जगह National Medical Commission लाया जाना, फिर ताबड़तोड़ अंदाज में एक के बाद एक मेडिकल खोला जाना, उसके बाद टेलीमेडिसिन-जनऔषधि जनता के बीच उतार देना.. यह संयोग नहीं है, बिल्कुल प्रयोग है..

हम अपने नागरिकों को लंबे समय तक निजी डॉक्टरों के हाथों लूटते नहीं देख सकते.. जो पैसा बाजार में आना चाहिए, GDP सर्कुलेशन का हिस्सा बनना चाहिए वो पैसा एक ही लॉबी लूट ले जाये तो अर्थव्यवस्था कराहता ही रहेगा.. हम अपने नागरिकों को उचित शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सुरक्षा प्रदान करें ! उसके अलावे जीडीपी-इकोनॉमिक्स को हमारी आबादी सम्भाल लेगी.. बाकी हमारे पर्व त्योहार, शादियां-पार्टीयां समाज की तरक्की का बैकबोन तो है ही !

टेलीमेडिसिन की सफलता नए भारत की पटकथा लिखेगा.. आम जिंदगी मेंटोस सी होने वाली है ! शायद लाइन में धक्के खाने वाली हमसभी आखिरी पीढ़ी ही हैं.. बदलते भारत को अलग नजरिये से देखना सीखिए वरना यह मौका चूक जाएंगें...




28 January 2022

नाराज युवा

छात्रों की सरकार से नाराजगी के पीछे गहरी पृष्ठभूमि है, जिसे हर किसी को समझना चाहिए की मुद्दा इतना ज्वलंत कैसे बना ! बिहार में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र प्रतियोगिता परीक्षा के अलावे हर क्षेत्र में लगभग फिसड्डी होते हैं, ये बातें सभी को पता है ! बिहार के आर्थिक निर्धनता की रूपरेखा दशकों मेहनत के बाद नेताओं ने जातिवाद के रास्ते खींच दी !

वक्त बिता राजनीति और ज्यादा हावी हुई तो बिहार बंट गया, सारे प्राकृतिक संसाधन झारखंड को दे दिए गए !
फिर बिहार अबतक राजनीतिक कुंठा का इतना शिकार हुआ है कि यहाँ रहने वाले लोगों में अब अपने बच्चों के भविष्य की चिंता खाये जा रही !
कोई अमीर है धनाढय है तो बच्चों को दूसरे राज्य भेजकर इंजीनियरिंग-मेडिकल करा दे रहा.. UPSC के सपने वही लोग तो सच करते हैं आखिर !
UPSC या PCS किसी गुदड़ी के लाल से निकल पाना असंभव है.. लाख उदाहरण पिट लो कि फलाना सब्जीवाले, रिक्शेवाले का बेटा IAS बन गया लेकिन वो खबर सैकड़ों करोड़पतियों के लाडले के यूँ ही यूपीएससी में निकल जाना ढंक लेगा !

बिहार एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ अधिकांश आबादी गाँव में आज भी रहती है.. शहरीकरण के नाम पर अब सड़क और बिजली पहुंची है जिस पर दसों टैक्स लादकर वसूली सिस्टम का नया रास्ता तैयार किया गया है !
यहाँ आज भी खुले में शौच करने से रोकने को सरकार टीम सुबह सुबह छापेमारी करती फिरती है !
यहां हर घर में एक छुटभैये नेता पनप उठता है.. आबादी इतनी बेहिसाब बढ़ी है कि जमीन के टुकड़े टुकड़े हो चुके हैं और अधिकांश लोगों के पास बंटवारे के बाद खेती योग्य जमीन नहीं बची !
फिर भी एक जनरेशन पहले वाले लोग किसी तरह अपना पेट भर लिया करते थे, मगर अगली पीढ़ी क्या करेगी उनकी ?
मोबाइल और टेक्नोलॉजी के युग में जरूरत इतनी बढ़ गयी है कि हर क्षेत्र लगभग बाजार के नियम से चलने लगा है !
रोजगार धंधे का विकास तब ही होगा जब आदमी के पास पैसे हो और बाजार में निकलकर वो खर्चे.. एक दूसरे पर निर्भर यही चैनल परस्पर बढ़ती हुई जीडीपी और रोजगार क्रिएशन का रूप ले लेती है !
यहां सब चौपट है, बिहार प्रति व्यक्ति आय में सबसे निम्नतम है ! नेतागिरी के अलावे हर चीज में फिसड्डी..
सच है कि भारत का दूसरा सबसे आबादी वाला यह राज्य अंदर ही अंदर बहुत पीड़ा से गुजर रहा है !
रोजगार की तलाश में युवा तड़प रहे हैं.. अगर उसमें योग्यता नहीं है तो इस बात की जिम्मेदारी किसकी है ? 4 से 5 लाख शिक्षकों के ऊपर इतने गरीब राज्य का धन पानी की तरह बहाया जा रहा, इसका जबाबदेह कौन है ?
राज्य में इंजीनियरिंग, मेडिकल और तकनीक आधारित निवेश के लिये माहौल बनाने से किसने रोका ?
सरकार का काम न सिर्फ शासन चलाने या नीतियां बनाने भर से है बल्कि वो एक Job Creator और सर्विस प्रोवाइडर भी है ! अपने नागरिकों को रोजगार देना, उन्हें गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार देना भी उसका कर्तव्य है !
ये सही है कि देश को अमेरिका चीन के पूँजीवाद से टक्कर लेना है इसलिए निजीकरण को बढ़ावा देना चाहिए.. लेकिन बिना कोई वैकल्पिक व्यवस्था बनाये सबकुछ थोप देना भी अराजकता है !
कोई पुल तक तोड़कर बनाना है तो टेम्पररी व्यवस्था होती है ताकि लोगों को आवागमन बना रहे !
बिहार और यूपी की तुलना देश के अन्य राज्यों से नहीं हो सकती ! यहां विकल्प का सदा अभाव रहा है..
प्रतियोगिता परीक्षा द्वारा कठिन मेहनत के बलबूते एक सरकारी नौकरी पा लेना यहां वैतरणी पार होने के बराबर है !
इस दो राज्यों के करोड़ों युवाओं के बारे में बिना सोचे कुछ भी नीति थोप देना जनविद्रोह को आमंत्रण देना है !
ये रेलवे, एसएससी के विरुद्ध सिर्फ विद्रोह नहीं है !
इसे पहचानें और समय रहते रोकने की कोशिश करें..
सिस्टम के आवरण हैं ये युवा.. इनसे से अपना सिस्टम अभेघ बना हुआ है जिसके अंदर बैठकर कुछ अधिकारी अहम ब्रह्मा की स्थिति में है..
यही युवा इन्हीं राजनीतिक पार्टियों के झंडे लगाते भी हैं ढोते भी हैं.. इन्हें अपने भविष्य की तलाश है जो मिड डे मील के खिचड़ियों में नहीं मिला ! अपनी गलत नीतियों से हमने बहुत बड़े अयोग्य और बेरोजगार आबादी को तैयार कर लिया है !
ये इतिहास की बड़ी भूल साबित होगी अगर समय रहते तत्काल कोई सटीक रास्ता न निकाला जाए !!!
पेट भूखा रहा तो दिमाग अपराधी बना ही देगा.. एक अपराधी न सिर्फ राज्य और सिस्टम बल्कि समस्त समाज के लिए खतरा बन जायेगा.. झलक दिख रही है छात्र आंदोलन में इसकी..


26 January 2022

● छात्र आंदोलन ●

छात्रों को नजरअंदाज करना सरकार को भारी पड़ रहा है ! बिहार-यूपी जैसे पिछड़े राज्यों में बेरोजगारी का आलम इतना विभत्स है कि ये रेल रोको जैसा प्रतिकार भी काफी कम है !

लाख बातें होगी इकोनॉमी की, सबको आप नौकरी नहीं बांट सकते लेकिन जितनी बाँट सकते उतनी तो सही तरीके से दे दो.. छात्र आंदोलन का लंबा इतिहास रहा है.. सरकार की चूलें हिला देंगे ये लोग ! किसान आंदोलन की सफलता ने वैसे भी हर तबके को लगभग मोटीवेट कर ही दिया है..

उसके ऊपर रेलवे के पास भर्ती प्रक्रिया का न कोई तय मानक है न कोई फॉर्मूला ! एसएससी और रेलवे दोनों बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया के नॉर्मलाइजेशन के बेसिस पर कुछ भी रिजल्ट दे देने को उतारू हैं.. सरकार बार बार 80 लाख छात्रों के ट्वीट को भी नजरदांज करती रही है ! ये बहुत भारी पड़ सकते हैं.. बिहार टैलेंट का वो खदान है जहां से तराशे हुए हीरे निकल कर आपकी ब्यूरोक्रेसी के अंदर बैठते हैं !

नौकरी के नाम पर विदेशी कंपनियों को बुला लेना और हजारों फैक्टरी अलग अलग राज्यों में खुलवा कर बिहार को अधमरा करके छोड़ देना भी वजह है इनके आंदोलन का.. कब तक लेबर एक्सपोर्ट करता रहेगा बिहार !

शराबबंदी ने इस कदर बिहार को खोखला बना दिया है ये आने वाले 4-5 सालों में ही दिखने लगेगा.. अगले 2 दशक तक बिहार को हर मामले में अंतिम पायदान पर बनाये रखने का मास्टर प्लान है !

Bssc 8 वर्ष में एक बहाली तक पूरी नहीं कर पाई है !

हजारों निक्कमे और संविदाकर्मियों से पूरी बिहार की ब्यूरोक्रेसी को ठूंस डाला गया है ! पुलिस में हजारों बहालियाँ हो रही है, मगर क्राइम कंट्रोल माइनस में जा रहा है ! जब सरकार उसका सही इस्तेमाल नहीं कर पा रही है तो ये ड्रेन ऑफ वेल्थ क्यों किया जा रहा ! रोजगार का कोई अता पता तक नहीं है ! 

शहर के जिस चौराहे पर जाओ, सैंकड़ों भीड़ हाथ में मिस्त्री औजार लिए दिखेंगे.. पेट नहीं भरेगा तो किस बात का लोकतंत्र और कानून मानने को कोई बाध्य होगा !

छात्र जो कर रहे हैं वो उनका अधिकार है ! वे राष्ट्रीय सम्पति को बिना नुकसान पहुंचाए जैसे चाहें सरकार से भिड़ जाएं... 

ये आंदोलन या गुस्सा स्वयंस्फूर्त है, कोई राजनीतिक प्रयोजन नहीं मानी जा सकती है !

आप उनकी आवाज अनसुना करेंगें तो उनका खून खौल उठेगा.. युवा हैं आखिर उबाल मारेगा ही, कोई राजनीतिक बुड्ढे की फौज थोड़ी है...



11 January 2022

● योगी पार्ट- 2 ●

यूपी चुनाव में अगर मतदाताओं ने समझदारी दिखाई तो भारतीय राजनीति में नए मानक स्थापित हो जाएंगे ! वो मानक होगा सुशासन, क्राइम कंट्रोल, नागरिक सुरक्षा जैसे बेसिक स्तर के मसले ! एक नागरिक के तौर सभ्य समाज में रहने लायक जितनी व्यवस्थायें होनी चाहिए अगर वह मिल जाये तो वह सबसे श्रेष्ठ समाज होगा !

यूपी का चुनाव आगे की राजनीति का भविष्य है यह तय मानिए ! मोदी के शासन में आने के बाद और योगी की शानदार कौशल क्षमता ने जनता के अंदर अंदर एक चाहत तो पनपा ही दी है कि सिंहासन पर बैठने को एक अविवाहित से बढ़कर कोई योग्य नहीं है ! ये चाहत हर राज्यों की जनता में बढ़ रही है अंदर अंदर ! जनता आंख मूंदकर ऐसे व्यक्ति पर भरोसा करना चाहती है जिसके आगे पीछे कोई न हो.. विपक्ष लाख राफेल राफेल चिल्ला के रह गयी, पब्लिक टस से मस ना हुई !

योगी ने डंके की चोट पर गाड़ियां पलटी, सरेआम एनकाउंटर्स किये.. एक भी फालतू के आरोप लगाने की कुव्वत नहीं हुई किसी की ! वरना हवाई फायरिंग के मामले में 50 तरह के आयोग इसी भारत के अंदर बनाये जाते थे और अफसरों को तंग किया जाता था ! क्राइम कंट्रोल का एकमात्र उपाय है जैसे को तैसा.. लेकिन वह तैसा वाली बात सामाजिक न्याय स्थापित करने के पवित्र उद्देश्य से होना चाहिए, जो यूपी ने कर दिखाया है !

योगी की जनस्वीकार्यता दंडनायक के रूप में है ! गुड गवर्नेंस की राह में भ्रष्टाचारियों को पीतल भरी गयी है.. नतीजा यूपी निवेशकों की पहली पसंद बन गया क्योंकि लेबर सस्ते और आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं ! योगी के तौर पर धार्मिक सेंटीमेंट बाद में है, जनता पहले एक कठोर शासक का चेहरा उनमें ढूंढ रही है... यूपी और बिहार जातिवाद का गढ़ है इसलिए धार्मिक सेंटिमेंट से ही इस जातिवाद में सेंधमारी की जा सकती है यह बीजेपी को पता है ! बेहद नाप तौल कर हर मुद्दे को भुनाना है, जातिवाद टूट गया तो बीजेपी को यूपी में कोई रोक नहीं सकता !योगी का मुकाबला करने लायक कोई चेहरा न इधर है न उधर है ! विपक्ष में तो अब सारे घाघ नेता बूढ़े हो चुके हैं और उनके लौंडे अपेक्षा से कहीं बढ़कर बड़बोलेपन का प्रदर्शन कर रहे हैं..

बीजेपी का स्ट्रेंथ सोशल मीडिया में तलवार लेकर खड़े रहने वाले फ्री के लाखों वालंटियर हैं.. हर नैरेटिव का एनकाउंटर इधर भी चल रहा है !

बीजेपी यह समझने की भूले कतई न करे की ये पार्टी का स्ट्रेंथ है या उनके IT सेल का मास्टर स्ट्रोक है ! ये सब स्वयंस्फूर्त है, सरकार के राष्ट्रहित के कदमों और धर्म की रक्षा के आपके दृढ़संकल्पों के कारण मजबूती से खड़े मिलते हैं.. यूपी में नया आयाम स्थापित करने को सभी पलक बिछा के बैठे हैं.. योगी 2.0 से प्रधानमंत्री योगी के सपने को पालने का चुनाव है, हर हाल में जीतना होगा...

#जय_हिंद 🇮🇳



● No Option ●

मोदी सरकार का एक गलत निर्णय समूचे देश को हाशिए पर ढकेल सकता है ! मोदी वो गलती कर चुके हैं... कृषि कानून वापस से लेने का मसला इतना गंभीर बन चुका है कि आने वाले दिनों में या तो सरकार चुपचाप अगले 3 साल निकाल ले वरना कोई बड़े सुधार करने की कोशिश की तो ये ताकतें पूरी शक्ति से देश में अराजकता फैला कर रख देगा... या पूरी ताकत से इस बार हम कुचल डालें उन्हें...

अराजकता को बढ़ावा केंद्र सरकार ने ही दिया है ! शाहीन बाग को पनपाया तो दंगे हुए निर्दोष मारे गए, नतीजा आजतक CAA के रूल्स नहीं बने.. एक बेहतरीन कृषि सुधार पर सरकार ने पूरे तंत्र को भीड़तंत्र के हवाले कर झुक गए, नतीजा आज हमारे सबसे सशक्त प्रधानमंत्री को घेर लिया गया ! और भी गुस्सा तब आया जब बीजेपी शासित राज्यों में इनके कार्यकर्ता पंजाब CM के पुतले जला रहे थे.. ये कौन सा चुतियापा है आखिर, इन सारे लोगों को पानी की बौछार के साथ लाठी मारनी चाहिए.. भेड़तंत्र पाले हुए हो आप पार्टी के नाम पर ! देश में है किसका शासन ? कौन निपटेगा इन दुराचारियों से.. ये कोई मामूली या मजाक वाली बात नहीं है की आप पुतले जला लो, नारे लगा लो और चुनाव में निकल पड़ो..

अपने देश का सम्मान दांव पर लगा दिया है उनलोगों ने ! बंगाल से लेकर राजस्थान और अब पंजाब में आपकी नाकामी और चुप्पी की कितनी घातक सजा निर्दोष लोगों को मिली इसका अंदाजा क्या नहीं है ? भीड़तंत्र को बढ़ावा देना, सड़क बाधित करवाये रखना और हिंसा से निपटने के बजाए उनके आगे झुक जाना भी लोकतंत्र की असफलता है ! इस देश की सरकार सिर्फ पंजाब और हरियाणा से नहीं चल रही थी कि आप बाकी किसानों को अगले कई दशकों तक फिर से अधर में लटका कर छोड़ दिया..

अब एकमात्र रास्ता है कठिन निर्णय लेने का ! अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है ! राष्ट्रपति शासन टेम्पररी समाधान है.. बाकी रास्ते हमारी सरकार को बेहतर पता है !

इस बार सम्मान लगा है दांव पर.. ऐसे कमजोर और पिलपिले विपक्ष का सामना तक नहीं कर पा रहे तो क्या इज्जत रह जायेगी.. 

Wait and watch...

18 December 2021

● युवा स्पेशल ●

ये पोस्ट उसे बहुत ध्यान से पढ़नी चाहिए जो किशोरावस्था से निकल कर युवावस्था की तरफ बढ़ रहे हैं.. मेरी योग्यता किसी दार्शनिक कि नहीं है ! जमीनी सच लिखता रहता हूँ ताकि किसी पर तो अच्छा प्रभाव पड़े.. 

देश कि वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप एकदम तैयार रहने का वक्त है ! सरकार एक के बाद एक मोनेटाइजेशन स्कीम ला रही है.. ये स्कीम है क्या, दूरगामी परिणाम क्या होंगे इसे पूरी तरह समझने का प्रयास करें ! आसपास के बैंक, रेलवे, ऑर्डिनेन्स बोर्ड, ऑयल कंपनियां, LIC जैसी संस्थाओं के कर्मचारियों का चीखना चिल्लाना महसूस करने की कोशिश करें !

देश धीरे धीरे पूंजीवाद की तरह शिफ्ट होने की प्रक्रिया में चल पड़ा है.. आप जो हर बात में भारत की तुलना चीन और अमेरिका से करते फिरते थे न, उसी चीन अमेरिका को टक्कर देने के लिए अपनी व्यवस्थाएं बदली जा रही है.. इस व्यवस्था परिवर्तन का शिकार एक तो निठल्ले कामचोर और कुर्सीतोड़ अधिकारी / कर्मचारी होंगे और इसका सबसे अधिक प्रभाव उन किशोरों पर पड़ने वाला है जो युवा बनने वाले हैं...

रोजगार कि सीमित सम्भावनाओं के बीच ये करेंगे क्या !!! गर्लफ्रैंड सेट करने, रील्स बनाने और थाना थाने के बाद कि लाइफ कैसी होगी ???

सरकारी नौकरी में अब जंगल का नियम लागू हो गया है.. जंगल के नियम में थोड़ा भी कमजोर सबसे पहले मारा जाता है, शिकार सीमित है और खाने वाले असंख्य हैं तो सोचो क्या हश्र होना है !हमारी बौद्धिक अवस्था का सबसे अधिक विकास किशोरावस्था में होता है.. आपका ब्रेन डिसाइड करता है कि आपकी एबिलिटी क्या है और आगे की जिंदगी आपका शरीर कुत्ते की तरह जियेगा या शेर की तरह !

उस मस्तिष्क की रचनात्मकता की हत्या आप स्वयं कर देते हो जब आप किसी के मोह में फंस जाते ! ये क्षणिक है, ईश्वर से हमेशा कामना करो कि इस उम्र में ये मोहपाश आपको न हो.. मिले ही नहीं, कोशिश भी करो तो वो दुतत्कार दे.. हर व्यक्ति के अंदर दो चेहरे होते हैं ! इतना काबिल बनो कि उसका असली चेहरा देखने से पहले जड़ से हटा दो !

क्योंकि ये नशा सारे मादक पदार्थों में अव्वल है.. इस नशा से बचे रहने का उपाय है कि ईश्वर के समक्ष झुके रहना है !

पढ़ाई एकदम कमांडो ट्रेनिंग की तरह करनी है ! बेहद अनुशासन में 10th से ग्रेजुएशन तक बिताना है ! पढ़ाई करने को 4 बजे सुबह उठने का मतलब 4 बजे.. 10 मिनट अलार्म स्नूज़ कर रहे तो समझो, तुमसे न हो पायेगा.. सबको धोखे दे रहे तुम..

चलो मान लेते हैं अगर सरकारी नौकरी न लगी तो कम से कम भूखे न मरोगे.. योग्यता तुममे हैं तो कॉर्पोरेट जगत कार्पेट बिछा के स्वागत करेगा.. मूर्खों की बस्ती में ठग भूखे नहीं मरते ! कुछ न कुछ तो जुगाड़ लगेगा ही, नहीं लगा तो खुद जिम्मेदार रहोगे क्योंकि शायद कहीं तुमने चूक की !

बाबू सोना से अभी दूर होना मुश्किल लगता होगा लेकिन उससे कठिन तब होगा जब वो तुम्हे दुतत्कार के इसी सोशल मीडिया पर अपने नए बाबू के साथ चिपक चिपक के फोटू डालेगी..

तुम तड़पने के सिवाय क्या करोगे, बताओ ???

तुम अगर गरीब परिवार से आते हो तो सिर्फ विद्या ही वो रास्ता है जिससे तुम अपनी पीढ़ी को इस दुष्चक्र से उबार सकते ! लाइफ में भरपूर समझ विकसित करने पर ध्यान देनी है ! माइंड को सिर्फ ट्रेंड करते रहना है, स्मार्ट तरीके से अपना लक्ष्य स्थापित करके बढ़े चलना है फिर एक दिन वही तुम्हें इस जंगल में अपना वर्चस्व स्थापित करके देगा...

❤️❤️❤️



राजनीतिक समझ

#Memorable_Journey

वाकई ये यात्रा काफी शानदार रही ! एक साथ जिंदगी के कई आयाम सिद्ध हुए !

मैं कोई रईस टाइप बैकग्राउंड से नहीं आता, ग्रेजुएशन तक रेस्टॉरेंट के खाने का स्वाद तक भी पता न था, शहर के बाहर कदम भी नहीं रखा था ! सारी पढ़ाई लिखाई राम भरोसे होती रही !

प्रकृति ने थोड़ा सा इंटेलिजेंस दिया है तब ही जीवन की नैया धीरे धीरे आगे बढ़ रही है ! यह खुद में आश्चर्य है कि कई ऐसी जगह मैं पहुंचा जहां शायद ही मेरी योग्यता हो ! मैं बहुत साधारण हूँ परंतु मेरी वह जगह प्रकृति ने नियत की..

अपनी बौद्धिकता का कभी नंगा नाच नहीं करना है ! देश और समाज में घटित हो रही हर अच्छी चीजों को समाहित करते जाओ.. एक सकारात्मक और आशावादी जिंदगी चाहिए तो राष्ट्रवाद से ओत प्रोत बने रहना है ! एक अच्छे व्यक्तित्व को विकसित करने के लिए हममें राजनीतिक और रणनीतिक समझ होना चाहिए..

बिना राजनीति आप एक रीढ़ विहीन केंचुए के अलावे कुछ नहीं हो ! इसका मतलब ये भी नहीं कि किसी पार्टी के झंडे थाम लो या युवा मंडल सचिव अध्यक्ष का पद पाने, चाटूकारिता करने में खुद को नष्ट कर लो ! इस राष्ट्र को चलाने में आप सहयोग करो.. पहले खुद का भविष्य तय करना है और समानांतर रफ्तार से इस राष्ट्र का भी भविष्य संरक्षित करने का दायित्व निभाना है !

हमारे ऊपर बनाई जाने वाले नीतियों और नियमों पर सरकार से संवाद करने का प्रयास करना चाहिए ! संवाद तभी होगा जब ये सब चीजें आपको समझ आयेंगी !

कान में हैडफ़ोन ठूंसे, पॉप म्यूजिक सुनने वाले युवा क्या संवाद करेंगे.. उन्हें ये राष्ट्रवाद, देशप्रेम शब्द भी राजनीति का हिस्सा लगता है !

बिग बॉस देखने वाली आबादी से अपेक्षा रखोगे कि वह संसद में होने वाली डिबेट, प्रस्ताव आदि को समझ लेगा तो मूर्खता के अलावा कुछ नहीं है !

इनकी दुनिया रीढ़विहीन है.. जिसे उस संसद के बहस कि, कानूनों की समझ नहीं है, जिसके नियमों के बेसिस पर उन्हें नौकरियां मिलेगी.. रोजगार के स्त्रोत तय होंगे.. उनकी उच्च शिक्षा, PCS सेवा, बहाली प्रक्रिया, हमारी इकॉनमी सब कुछ नियत हो रही होती है..

वहां ये केंचुए के तरह पड़े रहकर अय्याशी काटते हैं !!

फिर चिल्लाते मिलेंगे की सरकार तो नौकरियां खा गई.. अर्थव्यवस्था डूब रहा है, नौकरियां जा रही है !

तुम्हें जिस वक्त सरकार को अपने अनुसार चलवाना था, उस पर प्रेशर बनाना था, सुझाव भेजना था तब मोबाइल में घुस के बाबू को मना रहे थे और बीबर के गानों पर थिरक रहे थे.. मजे से राजनीति बताकर हर चीज का मजाक उड़ाते रहे..

ये स्पष्ट है कि आप अपने ऊपर लागू होने वाले हर कानूनों पर बारीक नजर बनाओ.. उसके दूरगामी परिणामों को समझने की समझ विकसित करने में दिमाग खपाओ ! रोज अखबार पढ़ना सीखो.. ऑनलाइन संसद या विधानसभा के बिलों को स्टडी करो, सरकार के पास सुझाव आपत्ति पहुँचाते रहो..

ये सब छोटी छोटी चीजें आपको बहुत आगे ले जाएगी ! आपकी समझ और दूरदर्शिता काफी तीक्ष्ण हो जाएगी.. इतनी पैनी की तुम इस सिस्टम को भेद सकोगे...

#जय_हिंद 🇮🇳

27 November 2021

● संविधान दिवस #Special 🇮🇳 ●

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को नियंत्रित करने वाले संविधान का जन्मदिवस है ! हमारा सबसे बड़ा लिखित संविधान दुनिया की सबसे विशाल आबादी को असीमित लोकतांत्रिक अधिकार देती है ! संविधान निर्माताओं के ऊपर हम आसानी से आक्षेप लगा सकते कि उन्होंने कट कॉपी पेस्ट से प्रावधानों को रचा और देश के ऊपर लाद दिया ! जबकि नजदीक से उस वक्त की परिस्थितियों का अध्ययन करें तो समझ आता है कि जो देश 1000 सालों से लगातार आतताइयों लुटेरों से गुलाम रहने के बाद आजाद हो रहा था.. उस लहूलुहान भारत की भविष्य की पटकथा लिखी जा रही थी, जहां लोगों के भूख से मर जाना सामान्य बात थी ! बीमारी, कुपोषण, अशिक्षा, गरीबी के मसलों पर सबसे नीच श्रेणी लाकर छोड़ दिया गया था !
आजादी कि कीमत पर धर्म के आधार पर देश के टुकड़े हुए हों और मजहब के नाम पर जिस देश में खून कि नदियाँ बहीं हों, वहाँ किसी भी नीति निर्माता के लिए एक सूत्र में बांध पाना कोई बच्चे का खेल नहीं था.. 
राजाओं के नखरे, भाषाई विविधता, क्षेत्रवाद, अलगाववाद का चरम को ठंडा करना भी तो आसान नहीं था !
हमें यह स्पष्ट तौर पर यह समझना चाहिए कि भारतीय संविधान की परिकल्पना किसी एक व्यक्ति विशेष कि उपज नहीं हैं.. यह हर प्रान्तों से चुनकर प्रतिनिधियों के मध्य व्यापक विचार विमर्श के बाद एक एक प्रावधान बने हैं !

किसी भी देश के स्थायी एवं शांतिपूर्ण नियंत्रण के लिए नीतियां जरूरी होती है.. दुनिया के हर देश की अपनी नीति है और उसका सारा तंत्र या सिस्टम उसी नीति की कठपुतली होनी चाहिए नहीं तो अराजकता आनी तय हो जाती है !
आज भारत के संविधान के प्रति लोगों कि उतनी आस्था नहीं दिखती ! जमीनी सच्चाई है कि आम आदमी अपने सिस्टम से जब भी त्रस्त होता है उसका गुस्सा इसी निकल आता है !
सिस्टम के संचालन के लिए संविधान ने तो असंख्य प्रावधान बना दिये परंतु परिस्थितियों के हिसाब से उसकी सर्विसिंग होती रहनी चाहिए..

संविधान में न्यायपालिका को असीमित शक्तियां दी है ! कई आर्टिकल्स के अंतर्गत ऐसी ऐसी पॉवर्स दी गयी है जिसका इस्तेमाल वह कवच कुंडल की तरह कर सकता है !
मगर, हमारी न्यायपालिका ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल जघन्य राजनीतिक भ्रष्टाचार, दलों के चुनावी फंडिंग को रोकने, चुनाव सुधार करने, कार्यपालिका को पारदर्शी बनाने की जगह उस कवच कुंडल का इस्तेमाल खुद को सुरक्षित करने में किया ! इस न्यायपालिका ने अपने अंदर कि व्यवस्था को सुरक्षित रखने को एक ऐसा आवरण तैयार कर लिया है जो अभेद्य है !
अपने स्वार्थों, निजी हित और परंपरावादी सिस्टम को रचा है जहां संविधान के उन प्रावधानों के तहत ये सारे अधिकार एक लोक कल्याणकारी राज्य के रूप में भारत को स्थापित करने हेतु इन्हें दिए गए थे ! 

संसद के बनाये कानूनों पर जुडिशल रिव्यु का कांसेप्ट लाकर एक नया हथियार विकसित किया गया ! मतलब जनता द्वारा चुनी गई सरकार को नीतियां बनाने के बाद कोई 3-4 जजों के माइंडसेट पर निर्भर रहना कि वे तय करेंगे कि 130 करोड़ आबादी के लिए क्या सही है और क्या गलत.. सोचिए संविधान कैसे कमजोर होता है...
अबतक की सरकारों की नाकामी के कारण हमारी न्यायपालिका आर्टिकल 19 व 21 का सहारा लेकर इतनी सशक्त हो चुकी है कि वे अहम ब्रह्मा वाली स्थिति में बैठी है ! जिस आर्टिकल 19 या मूल अधिकारों का ये खुद को संरक्षक मानती है वे संस्था अवमानना जैसा हथियार लेकर बैठ गयी है.. 
नियुक्ति खुद करेंगे, करोड़ों मुकदमे लंबित हैं, लाखों बेगुनाह जेल में सडें जा रहे हैं.. कौन कमजोर कर रहा है संविधान को...
हर मुद्दे को जो इन्हें नहीं पसंद, उसे अभिव्यक्ति की आजादी व जीवन का अधिकार जैसे शब्दों से कुचल देना ही तो लोकतंत्र के लिए घातक है ! 

सबसे महत्वपूर्ण गलती हमारे संविधान निर्माताओं और हमारी अबतक की सरकारों ने की है वह है IPC, CrPC, पुलिस एक्ट, साक्ष्य अधिनियम जैसे न्याय सिस्टम के बैकबोन को नहीं बदला जाना ! जनता सबसे अधिक परेशान समय पर न्याय नहीं मिलने होती है ! जिस देश के पास अपनी न्यायिक व्यवस्था को चलाने वाली अपनी नीति तक नहीं है उसका भगवान ही मालिक है !
आज भी अदालतों कि लालफीताशाही बेरोकटोक इसी कानूनों के सहारे तो चल रही है ! किस किस को ब्लेम करें...
आप अगर एक बढ़िया ज्यूडिशियल सिस्टम तक विकसित नहीं कर पाए हैं तो किस बात का गर्व होना चाहिए हमें अपनी शासन प्रणाली पर ?

दूसरी नजरिए से देखने पर विधायिका चाहे जितनी भी सड़ चुकी हो, जनता के सामने हर 5 साल में सिर झुकाने तो आ ही जाते हैं ! हमारी समस्या सुनते भी यहीं हैं, नहीं तो जिन पर न्याय की जिम्मेदारी है वो हज़ार पन्ने के फैसले लिखने में एक पीढ़ी समाप्त कर डालते हैं.. 
कार्यपालिका को बत्तमीजी किसने सिखाई ? अगर विधायिका और न्यायपालिका दोनों अपनी तमीज से काम करे तो इसकी क्या औकात है नौकर भर रहने के अतिरिक्त !!!

हमारा संविधान बहुत सशक्त है.. कभी अच्छे से प्रावधानों को पढ़िए, उसमें गलतियों को ढूँढिये जहां से सिस्टम में सुराख बना हुआ है ! सरकार को बाध्य करिए कि उस व्यवस्था की मरम्मत करे.. नए दंड संहिता और प्रक्रियाओं का निर्माण करे ! न्यायपालिका के कवच को पारदर्शी कीजिये, उसे जनता के प्रति सेंसिटिव और जबाबदेह होना होगा अगर ऐशो आराम-मोटे वेतन टैक्स के पैसे से चाहिए तो...
मूल अधिकारों की मांग करने वाले को मूल कर्तव्य का भी पालन करना होगा.. वरना उसे वंचित कीजिये उसके लोकतांत्रिक अधिकारों से... यही हमारी लोकतांत्रिक पतन को रोक सकता है बस...
एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर हमें इस राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पित रहना चाहिए.. 
#जय_हिंद 🇮🇳


22 November 2021

● झंडू लीडरशिप ●

भारतीय जनता पार्टी के लिए हर चुनाव का रास्ता राष्ट्रवाद से होकर गुजरता है ! प्रचण्ड हिंदुत्ववाद की छवि से ही युवाओं को आकर्षित कर पा रहे हैं, नहीं तो घनघोर बेरोजगारी के माहौल में इस पार्टी का वजूद भी बच जाता तो आश्चर्य माना जा सकता था !

बीजेपी सरकार के बनाये कानूनों, नीतियों को जनता के बीच न पहुंचा पाने की असफलता पार्टी नेतृत्व को लेनी चाहिए ! कृषि कानूनों पर सरकार का बैक होना पूर्णतः failure है पार्टी का कि उनके सांसद विधायक कोई भी इन कानूनों को डिफेंड करने समझाने जनता के बीच नहीं उतरा ! पार्टी कैडर को भी इन कानूनों का कुछ अता पता नहीं चला...

शीर्ष नेतृत्व की विफलता है कि वे बिल्कुल अनमने ढंग से क्षेत्रीय स्तर पर लीडरशिप का गठन कर देते हैं ! लुच्चे लफंगों, क्रिमिनलों को पार्टी में लादकर बड़े बड़े पद दे देते हैं.. उनसे अगर हम अपेक्षा करेंगें की पार्टी को या सरकार की नीतियों को तार्किक तौर पर डिफेंड करेंगें तो बेईमानी होगी ही !

पार्टी किसी भी अवसंरचना बनाने से पहले ये ध्यान रखे कि इन्हें देश के सबसे प्रबुद्ध इंटेलेक्चुअल जमात से लड़ना है ! उसे कानून, सरकार के निर्णय, देशप्रेम, विपक्ष के प्रोपगंडा को लगातार काउंटर करते रहना है ! जनता को जगाकर रखना है.. लगातार रिफिलिंग करते रहना है !

इतने पिलपिले और कमजोर विपक्ष को जब पार्टी लीडरशिप मैनेज नहीं कर पा रही तो सोचिये की इंदिरा ने कैसे विपक्ष में अटल और जेपी जैसे नेताओं को नचा दिया था !

बीजेपी का स्ट्रेंग्थ है सोशल मीडिया... यहाँ युवा और राष्ट्रवादी विचारधारा के लोग पार्टी से बिना एक लेमनचूस खाये समूचे इंटेलेक्चुअल गैंग की बजा के रख देते हैं !

इनका IT सेल निकम्मा है.. वो स्लोगन और memes बनाने भर को दिखाई देता है ! 

इनके सांसद या विधायक से ही 3 कृषि कानूनों का डिटेल्स पूछ लिया जाए तो 90% बगले झाँक देंगे !

चुनाव जीतना अकेले पार्टी के झंडू लीडरशिप के वश का बिल्कुल नहीं है ! भले पटाखे फोड़ के और लड्डू बांट के जीत का गाल बजा लो मगर असली काम तो कोई और साइलेंट तरीके से कर रहा होता है.. सिर्फ और सिर्फ राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझकर... की राष्ट्रहित के लिए तुम्हारा वहाँ बैठा होना बहुत जरूरी है...  🇮🇳