22 March 2020

बिहार दिवस

आज बिहार दिवस है ! 
देश की मिट्टी को पसीने से सींचने वाले राज्य का दिवस है ! मेहनत के उजाले में भारत की आर्थिकी को गति देने वाले बिहारियों का गौरवगान है ! 

अपनी मेहनत, बुद्धिमता और लगनशीलता से दुनिया में परचम लहराने वाले कि धरती है मेरा बिहार !
बिहार का वह गौरवशाली अतीत जहाँ से ज्ञान का प्रकाश प्रस्फुटित हुआ ! 

बुद्ध और महावीर की धरती... सम्राट अशोक की नींव पर खड़ा... और बापू के आह्वाहन की कर्मभूमि... ओह यह मेरा बिहार है...

शानदार... जबरदस्त... जिंदाबाद...

अपने बलबूते राजनीति के शिखर पर शंखनाद करता है यह बिहार...
देश की आर्थिकी की डोली को अपने कंधों पर ढोता कहार है बिहार... 

जाहिलों से खतरा

पहली बार इन विशिष्ट क्लास लोगों पर खतरा मंडराया है ! 
घूमो विदेश, करो अय्याशी, लुटाओ हराम से कमाए पैसे... रोका किसने है ? मगर तुम जाहिलों की बड़ी फौज से इस देश को खतरा है ! 
कचरे वाली गाड़ी देखकर मुंह रुमाल से ढक लेते हो ! सफाईकर्मी बगल से गुजर जाए तो टेढ़े लँगड़े होकर 2 फूट का डिस्टेंस मेन्टेन करते हो ! होटलों रेस्टुरेंट में बेचारे निरीह वेटरों को डाँटते हो ! किसी भी लाइन में लगना तुम्हे पसन्द नहीं ! टैक्स की डकैती करते हो ! 
अंग्रेजी की बदबूदार गंध मचाते फिरते हो !

किस बात का इलीट क्लास बे ! थोड़ी भी लज्जा बची है क्या तुममे ! थोड़ा भी सेंस लेकर पैदा नही हुए क्या ? देश का प्रधानमंत्री हाथ जोड़ रहा है, घरों में रहने की विनती कर रहा है ! मगर तुम ठहरे असली गंवार ! अंग्रेजी स्कूलों वाले हो न इसलिए मास्टर का सोंटा नही पड़ा कभी, माँ बाप का झापड़ नही खाये हो ! संस्कारहीन हो एकदम इसलिए अक्ल से पैदल तो रहोगे ही !

ये अंग्रेजियत की बदबूदार बास हम लोगों के सामने मत निकलना कभी ! सारा नाबाबशाही निकल जायेगा... 
जिम्मेदार बनो... नही तो बेमौत मारे जाओगे...
तुमसे कोई सहानभूति नही मगर तुम्हारे कारण इस देश की मासूम जनता संकट में है... इसलिए बता रहा... सुधर जाओ... 
अकड़गिरी नही चलेगी ! कुत्ते की मौत मारे जाओगे... 
#जयहिंद 

16 March 2020

डंडे की ताकत


Image may contain: 2 people, people standing, people walking and outdoorअनुशासन का मूल सख्ती है ! भय इंसान को अनुशासित करने का प्रयत्न करती है ! अनुशासन के बल पर उद्दंडता की समाप्ति की जा सकती है ! दुनिया के तमाम देशों की बेहतरीन सेनाएं अनुशासन के बदौलत ही समस्याओं को आसानी से फतह कर डालती है !

सशस्त्र सेनाओं की ट्रेनिंग के दौरान ट्रेनर के डंडे का बेहद अहम रोल होता है ! यह डंडा तराशता है हमारी फौज को और उन्हें वीरता निडरता से सिंचित करती हैं !
सशस्त्र बलों का तगड़ा अनुशासन और ट्रेनिंग का परचम बॉर्डर पर बिखरता मिलता है ! इन्हें चट्टानों से फौलाद बनाया जाता है !
वीरता की अग्नि में तपकर रियल हीरो की माफिक बैटल्स ग्राउंड में जलवा दिखाते हैं !
सरकार हम पर शासन कैसे करती है ?
सीधी एवं सरल शब्दों में कहें तो पुलिस के माध्यम से !
लोग पुलिस से क्यों डरते हैं ?
लोग पुलिस ने नहीं बल्कि उसके डंडे से डरते हैं, कानून के प्रावधानों से डरते हैं !अराजकता को दूर करने का सबसे साधारण उपाय है सख्ती बरतने का ! कानून एवं उसके प्रावधान, सरकारें डंडे के बल पर नागरिकों पर लागू करती है ! अन्यथा अव्यवस्था का वातावरण कुव्यवस्था को जन्म देगी निश्चित तौर पर हिंसा पर ही समाप्त होती है !

जैसे हम कुत्ते जैसे जानवरों को अगर ट्रेंड कर 'स्निफर डॉग' बना सकते, घोड़े को नियंत्रित कर सशस्त्र दस्ते में शामिल कर सकते, तो मनुष्य जैसे समझदार प्राणी को व्यवस्था के साथ चलने को बेशक बाध्य कर सकते हैं ! मगर बिना भय के प्रीति नहीं होती !
सामान्य तौर पर हम देखें तो अगर बच्चे को डांट-मार ना पड़े तो वे बेशक अनियंत्रित होकर असामान्य व्यवहार करेगा ! आजकल के युवाओं में पनप रही इस गतिविधियों के जिम्मेदार उनके लालन-पालन करने वाले हैं !
चूंकि चाणक्य कहते हैं कि पहले 5 वर्ष बच्चे को खूब दुलारना चाहिए, 5 से 13 वर्ष तक कठोर अनुशासन में सभी संस्कार सिखा दो और फिर मित्रवत व्यवहार करना चाहिए !
जो लोग बच्चे में अनुशासन पैदा करने के प्रयत्न को हिंसा का नाम देते हैं वे निश्चित तौर पर ही किसी पाश्चात्य विकृति का शिकार है ! नहीं तो भारत जैसे विकासशील देश कुल बजट का 20% रक्षा पर क्यों ख़र्चता है ?
दुनिया के तमाम देशों के बीच हथियारों की खरीदी की होड़ क्यों लगी रहती है ?
मतलब शासन का मूल ही अनुशासन है !

प्राचीन राजाओं और आज तक की सरकारें डंडे के बल पर ही शासन करते आएं हैं ! विदेशी आक्रमणकारियों की आततायी बर्बरता ने ही भारतवर्ष जैसे गौरवशाली अतीत को कलंकित किया है !
मगर शासन करने का मूल उद्देश्य मात्र व्यवस्था स्थापित करने से नहीं है बल्कि नागरिकों की जरूरत की पूर्ति हेतु राजस्व संग्रह से भी है !
जिस देश की पुलिस मजबूती से देश के अंदर शांति स्थापित रखती है वह राष्ट्र उतनी ही तेज प्रगति कर सकता है !

भारत के परिपेक्ष में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जहां एक पुलिसकर्मी पर लगभग 663 नागरिकों का दायित्व है !
कुल 130 करोड़ की विशाल आबादी एवं सुदूर भौगोलिक विविधताओं के बावजूद भी हम प्रगति कर रहे हैं तो स्पष्ट है कि हम सभ्य नागरिक होने का दायित्व बखूबी निभा रहे हैं चाहे डंडे के डर से निभा रहे हैं या इंसान होने के नाते मगर निभा जरूर रहे हैं...
धन्यवाद !!!

प्रकृति से पंगा #कोविड19

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हम आधुनिक हैं ! स्मार्ट, इस धरती पर रहने वाले सभी प्राणियों में सबसे स्मार्ट ! हम पहाड़ तोड़ सकते, नदियों का रास्ता बदल सकते, बांध बनाकर पानी रोक सकते, जंगलों को उजाड़ कर आलीशान महलें बना सकते, मूक जानवरों को मिर्च मसाला लगाकर बड़े चाव से खा सकते हैं !
हम इंसान हैं ! इतने शक्तिशाली की शेरों को मार सकते हैं मगर मशीन के सहारे !

बिना बुद्धि का इस्तेमाल कि हम साधारण टिड्डे से भी सामना नहीं कर सकते ! मानवीय चेतना का बेजा दुरुपयोग वह भी प्रकृति के सामन, मगर ध्यान रहे यह प्रकृति तुम्हारे कारण नहीं बल्कि प्रकृति से तुम हो !
प्रकृति शाश्वत है ! हम इसे जितना नुकसान पहुंचाने का प्रयत्न करेंगे उतने गंभीर परिणाम भुगतने होंगे !
आधुनिकता एवं विकासवाद की आड़ में विकसित देशों ने प्रकृति को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी ! प्रकृति को नियंत्रण में लेने की कोशिश ने आज दुनिया की लगभग आधी आबादी के ऊपर कोरोना वायरस ने संकट में डाल दिया है !

एक वायरस के कारण 'ग्रेट शहंशाह अमेरिका' में इमरजेंसी लग गयी है ! दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग ग्राउंड 'द ग्रेट चाइना' बर्बादी के कगार पर खड़ा हो गया है ! चीन की अतिबुद्धिमता का दम्भ समूचा संसार भुगत रहा है !
उसके जाहिलपने से यूरोप अघोषित जंग लड़ता दिख रहा है ! पूरे एशिया में खौफ का माहौल है ! प्रकृति के सिर्फ एक चोट से पूरा विश्व कराह उठा है !
अरबों खरबों डॉलर डूब चुके हैं, अर्थव्यवस्था बेहाल हो चुकी है ! जनजीवन बेजान हो चुका है !

क्या यह मनुष्य के उन पापों का प्रायश्चित नहीं जब हम निरीह जानवरों का आशियाना उजाड़ डालते हैं फिर उसे पिंजरे में बंद कर तरह-तरह की लजीज रेसिपी व्यंजनों के नाम से परोस डालते हैं ! खाकर डकार लेता मानव किस आधार पर इंसान कहे जाने का हक रखता है ?
दुनिया के सबसे शक्तिशाली एवं शानदार शिकारी शेर जैसे जानवरों को बाड़े में डाल अदब से चिड़ियाघर (zoo) का नाम देते हैं ! उसे उसकी पारिस्थितिकी, खाद्य श्रृंखला से मनोरंजन मात्र के लिए मशीनों के सहारे विस्थापित कर डालते हैं वह भी बिना सोचे !
क्या हम पेड़ों को काटने से पहले इस अबोहवा में उसके योगदान के बारे में तनिक भी सोचते हैं ?
क्या हमने आसमान में स्वच्छंद विचरण करने वाली पंछियों के बारे में कभी सोचा ? चुंबकीय तरंगों से हमने लगभग समस्त पंछियों का अस्तित्व पर ही संकट पैदा कर दिया है !

अगर किसी आधुनिक मनुष्य से इन सवालों का जवाब बेहद ईमानदारी से देने को कहा जाए तो निश्चित है निरुत्तरता में बेजुबान साबित होगा !
हमने गलत किया है ! बहुत गलत !
इस प्रकृति को हमने नियंत्रित करने का साहस किया है !
उसे अपने इशारों पर चलाने की जुर्रत की है ! यह ठीक वैसा ही है जैसे टहनियों में लगा फल पूरे वृक्ष को अपने अनुसार झूमने को विवश कर रहा हो !
कोरोना वायरस मनुष्य की जघन्य करतूतों की महज बानगी है !

प्रकृति शाश्वत है ! हम प्रकृति से हैं ! हमारी जरूरत है प्रकृति से पूर्ण होती है !
अतः मानव अपने सीमित दायरे में रहकर ही अपनी बुद्धिमता का नंगा नाच करे वही बेहतर होगा !


अनकहा इश्क


प्रेम इस संसार का सबसे सुखद एहसास है !
यह एहसास आंखों से शुरू होकर दिल की जज्बातों की भीतर बेहद आसानी से उतर जाती है ! तब होता है एक अकल्पनीय और आभासी व्यक्तिगत से परिचय !

दुनिया में स्त्री और पुरुष की रचना मात्र से प्रकृति की इतिश्री नहीं होती ! रोमांच और नाट्य से भरपूर प्रेम रस की मौजूदगी फिजाओं में मिठास घोलती है ! तन बदन सिहर कर रह जाता है ! नसों में स्फूर्ति आ जाती है और यौवन निखर कर रह जाता है !
इश्क का मतलब लौंडे का आशिकी में डूब जाना है ! असली प्यार वो है जो लड़की से बिना बात तक किये अपना मान लेना है ! उसके सामने जाने में घिग्घी बंध जाए तो समझ लो आधा आशिक हो चुके हो !
प्यार बेशक नजरों से शुरू होती है मगर उसकी मदहोशी में लौंडा शायर बनकर रह जाता है !

ये इश्क बेजुबान है ! ये खुद में एक साहित्य है जिसका रचनाकार नायक खुद होता है !
लड़की से नज़रें न मिला पाना सफलता है अनकही इश्क की !
अब आते हैं असली मुद्दे पर...
तेरे नाम टाइप हेयर कट और सिगरेट फूंकना फैशन था आशिकों का ! प्यार और इश्क की तमीज हुआ करती थी ! अपने प्यार की इज्जत करना पहला कर्तव्य हुआ करता था ! कॉन्फिडेंस कि व्यापक कमी होती थी ! खतों के सहारे भावनाओं का आदान प्रदान किया जाता था !

नजरों नजरों में बातें होती थी और उसकी मुस्कुराहट... ओह... लौंडा अगले महीने तक ख्यालों में डूबा रहता !
बालों में तेल, बाजू का खुला बटन और बदन पर मैगनेट सेंट ! ये श्रृंगार आशिकों का फेवरेट होता था !
लड़की को पता भी नही और यहाँ महाशय मेले में जाकर उसकी नाम का टैटू गुदवा आते थे !
दोस्तों की देखरेख में प्लान सेट किया जाता ! हर एक दिन उससे बात कर डालने की शपथ खाई जाती !
अगर आपने कभी प्यार किया और सामने जाने में फट गई तो इश्कबाजी में अव्वल दर्जे के खलीफा रहे हैं आप !
लड़की के सामने ही अगर साईकल का चेन उतर गया हो या
कुमार सानू - सोनू निगम के गानों में लड़की का चेहरा अगर याद आया हो तो जनाब सच्चे आशिक रह चुके हैं !

प्यार किया और हर फिक्र को धुएं में न उड़ाया तो क्या खाक प्यार किया !
दिल टूटने पर जाम न छलकाए तो मुहब्बत का मुरब्बा लगा लो !
इश्कबाजी की और पंगे न हुए तो घास उखाड़ने लायक भी नही बचे हो तुम !
प्यार किया और शायर न बना तो अनपढ़ बने रहने लायक हो तुम !

Image result for loveइश्क कल भी था, आज भी है और आगे भी रहेगा !
लाख कॉन्फिडेंस हो आज के लौंडों में की वो उसे बेबी सोना करके गले लगा रहा, मगर जज्बात और मर्यादा में रहकर प्रेम की परिभाषा गढ़ देने वाले सच्चे आशिक अब नही मिलते !
ऑनलाइन की दुनिया में आप दर्जनों गर्लफ्रेंड्स बना सकते हो लेकिन एक लड़की की सपनों के सहारे जवानी गुज़ार देने वाले प्रेमी कभी नही बन सकते आप !

10 February 2020

सम्भलना होगा !


मोदी 2.0 को देश की सबसे जटिल समस्याओं को दूर करने के लिए इतिहास में याद रखा जाएगा ! देश की राजनीति में जनता की जागरूकता लोकतंत्र की सबसे मजबूत नींव होती है ! बीजेपी की एक के बाद एक हार वो भी तब जब 6 महीने पहले ही प्रचंड बहुमत से सत्ता में काबिज हुए हों ! उसके बाद एक के बाद एक फैसले जिसका सपना पिछले 70 सालों से देखा जा रहा था उसे पूरा करने के बावजूद भी जनता पटखनी दे रही है !

हिंदुत्व है, भगवा चोला है और देशवासियों का भरोसा भी ! फिर भी ऐसा क्यों ?
मतलब साफ है कि लोगों ने केंद्र और राज्य के चुनावों का अपना पैमाना बना लिया है ! देश को सुरक्षित हाथों में दो और राज्य को मुफ्त सुविधाएं मुहैया कराने वाले को !

ये भारत की राजनीति का एक अच्छा संकेत है कि अब चुनाव में सम्भवतः गरीबी, स्वास्थ्य, सड़क, पानी और बुनियादी सुविधाओं पर नेताओं का जोर ज्यादा रहेगा ! इसका सारा श्रेय मोदी और शाह को जाता है जिन्होंने राजनीति को बिल्कुल उलट दिशा में मोड़ डाला है !

इसका मतलब ये कतई नही की बीजेपी के नाम पर जनता किसी राज्य में हर अंधे, चोर चोट्टों और दलालों को वोट दे दे !

सम्भलना होगा ! चुनाव सुधार कराना होगा ! अन्यथा जनता सर्वोपरि है !

क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के फीडबैक पर टिकट बांटें !
पैसे देकर टिकट बांटने की व्यवस्था बंद करें !
नचनियों बजनियों को जनता के सिर पर लादने से बचें !
जब पब्लिक सेंटीमेंट में काम कर रहे तो प्रचार की फिजूलखर्ची क्यों !
मैसेज कॉल की कोइ जरूरत नही ! आपने काम किया जनता खुद वोट करेगी !
गुंडे मवालियों को पार्टी से बाहर करो !
हर राज्य, क्षेत्र में गरीबों को चेहरा बनाओ, नेता बनाओ !
जनता पर सीधा असर करता है !
हर नेता को अपने क्षेत्र में रहना घूमना अनिवार्य करो !
सरकारी दफ्तरों में घूम घूम जनता का काम कराने की आदत दिलवाओ नेताओं की !

लाव लश्कर से चलने की आदत बदलो ! आम दिखने वाले नेताओं को तवज्जो दो !
बहुत सारी सुझाव हो सकती है परन्तु मानेगा कौन !
लेकिन बदलना होगा !


साम्राज्य मिला है तो उपयोग कीजिये ! 6 महीने में बेहतरीन शिकारी की तरह टारगेट हिट किया है !
इसी रफ्तार बनी रहनी चाहिए ! भरोसा है देश अगले 4 साल सही हाथों में है ! 
मगर समस्त भारतवर्ष में प्रतिनिधित्व चाहिए तो कार्यशैली बदलनी होगी !

कार्यकर्ताओं के चरण पखारने होंगे ! व्यवस्था बनानी होगी कि कोई प्रदीप सारंगी ही जनता का प्रतिनिधित्व करे !
ये सत्ता बहुत मुश्किल से मिले हैं महाशय ! 
अन्यथा जयचंदों के बीच से कोई पृथ्वीराज चौहान सत्ता के सिहांसन पर कैसे काबिज हो पाता !
सम्भलना होगा ...



06 February 2020

सिंहासन

ये फिजाएँ हिंदुस्तानी है ! यहाँ कि मिट्टी वीरों को पैदा करती है ! वीरता उस कोख से जन्म लेती है जहाँ की माताएँ रक्त चंदन का तिलक लगा बेटों को बोर्डर भेजती है !

शेर अकेला चलता है ! जंगल का सन्नाटा ही शेर की मौजूदगी बयां करता है ! ध्यान रहे की उसी वीरता का ध्वजवाहक आज सिंहासन पर बैठा है ! राष्ट्रवाद का रस पी के देखो... आंखों में भांग सा नशा छा जाता है, चाल शेरों सी हो जाती है !

आजादी जिगर से आती है गले फाड़कर चिल्लाने से नही !
अधिकार मेहनत से मिलती है टैक्सपेयर्स के खैरात से नही !
शिक्षा संस्कारों से निपुणता प्राप्त करती है, राजनीति से नहीं !


खूब लगा लो आजादी के नारे, मगर एक बार तो बकलोलों सिंहासन पर बैठे शेर की तरफ देख लो ! आजादी देगा, खूब देगा, मन भर भर मतलब देगा, मांगने से कही ज्यादा और जबर्दस्ती देगा मगर याद रहे ये आजादी देश के लिए होगा !


जिस राजा का मंत्री निडर हो उसका राज्य हमेशा प्रगतिशील होता है ! बौद्धिकता की शह पर आधुनिकता के हिंसक पंजे से देश को लहूलुहान करने वाले संभल जाएं ! बार बार दिख रही आजादी की ये ट्रेलर कुछ संकेत कर रही है !
भूल जाओ अपना झूठा इतिहास ! कुत्ते की तरह चंद रोटियों के लिए देश का भूगोल बदलने वाले दोगलों सावधान रहें ! याद रहे कि जंगल का राजा सिर्फ शेर होता है ! वही शेर जो चुपचाप शिकार करना जानता है ! जिसकी दहाड़ अजीब सी सन्नाटा पैदा करती है !
संभल जाओ ! बुढ़ापे तक इस सेनापति के नाम से कांप उठोगे!
क्यों फिजाये बदली हैं ! ये भूमि की हरियाली, आसमान की लालिमा और न्याय का चक्र जीवंत हो उठा है !


बदलेगा बहुत बदलेगा ! लम्बा वक्त है ! इतिहास बदला जा रहा है !बस ध्यान से देखते रहिये उस सिंहासन की तरफ जहाँ का राजा कैसे इस मिट्टी के साथ न्याय कर रहा है !

ये हिंदुस्तान है जनाब, सभी का खून शामिल है यहाँ की मिट्टी में ! किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़े है ! धैर्य रखिये सबकी बजेगी ! बजने की शुरुआत हो चुकी है... सबकी बराबर बजेगी...
किसी के बाप का डंडा थोड़े है...
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आंदोलन का स्वार्थ


देश के भीतर चल रहे छद्म आंदोलनों की आड़ में धार्मिक स्वार्थ साधने की मनमानी लोकतंत्र को खोखला कर रहा है ! CAA कानून को हथियार बनाकर डफली और आजादी गैंग ने देश के माहौल को जिस तरह से खराब करने की साजिश रची है वो हमारी पीढ़ियों के लिए एक खतरनाक संकेत है !


अपनी मिट्टी अपनी मातृभूमि को गरियाने की विचारधारा राष्ट्रवादी सरकार के रहते कैसे पनप रही है ? यह मसला न केवल संवेदनशील है बल्कि देश के हर उस आम और खास से जुड़ी है जिनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उसी सरकार के पास है जिसके नाक के नीचे हमारी भारत माता को गालियां दी जा रही है !क्या अब यह देश JNU, जामिया और AMU के उन कट्टरपंथी बुड्ढे वामपंथियों और देशद्रोहियों के इशारों पर चलेगा जो पाकिस्तान के नक्शेकदम पर चलने की चाहत रखते हैं !


हमारी व्यवस्थाएं इतनी पंगु हो चुकी है कि सिर्फ 3 यूनिवर्सिटीज के छात्रों की मनमानी के आगे राष्ट्रवादी सरकारी मौन हो जा रही है ! वो भला है कि गृह मंत्रालय शाह के पास है नही तो ये सभी तांडव मचाने से बाज नही आते !


मोदी सरकार जिस राह पर चल रही है वो कभी सपना था हम भारतवासियों का !एक के बाद एक जटिल समस्याओं के जड़ में मट्ठा डाला जा रहा है ! बिल्कुल चाणक्य नीति का अनुसरण करते हुए हमारी मतों का इतना सम्मान !ओह... वाकई लोकतंत्र में एक सही नेता का चयन पीढ़ियों तक को समस्या से निदान दिला सकती है ... 

यकीनन इस भूमि की मिट्टी को माथे पर लिपकर फक्र करने का मन करता है की सचमुच यह वही भारतवर्ष है जहाँ महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी और सावरकर जैसे वीरों से सिंचित भारत माँ का आँचल है !


चरमपंथी संगठनों से निपटने की प्रक्रिया बस कश्मीर स्टाइल में होनी चाहिए ! पुलिस को बेखौफ छूट दो देश के अंदर जैसे योगी महाराज ने दे रखी है ! उपद्रवियों से निपटने में पुलिस को ट्रेनिंग की जरूरत महसूस होती है ! National security act का सही से क्रियान्वयन होना चाहिए !


देश के अंदर ये शाहीनबाग कैसे पैदा हो जा रहे हैं ? कौन शह दे रहा है इन्हें ! सरकार का विरोध बेशक होना चाहिए परंतु राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसले पर विरोध देशद्रोह के पैमाने में होना चाहिए ! सरकार मूकदर्शक क्यों बनी है...वोट जिसने दिया वो हमेशा साथ खड़ा रहेगा, वादे निभाने वाली सनातन परंपरा से हैं... निष्ठा पर कोई शक नही होनी चाहिए !


दनादन फैसले लीजिये ! हमने पहली बार सत्ता का सदुपयोग करने वाली सरकार को देखा है ! माना कि राजनीति गंदी है लेकिन राष्ट्र के लिए निर्णय लेने वाले ऐसी सरकार के ऊपर हमारा मत हमेशा न्यौछावर रहेगा !याद रखिये की कॉलेजियम प्रणाली,जनसंख्या नियंत्रण, एकसमान कानून की राह में हम पालक पाँवड़े बिछा देंगे साहेब !जय हिंद