18 April 2022

पत्थरबाजी @ शोभायात्रा

अब वो सामने से भिड़ने आ रहे हैं.. खुल्लमखुल्ला चैलेंज कर रहे हैं तुम्हें और तुम्हारे सिस्टम को !

हमारे त्योहारों पर अभी तो सिर्फ़ पत्थर चले हैं, आगे बम गोले सब दागे जाएँगे ! तिलक लगाकर मंदिर जाते भी हमला हो सकता है..

हर राज्य, हर इलाक़े का सेम पैटर्न.. बुलडोज़र चलाने से क्या हो जाएगा ? आज आपकी सरकार है कल महंगाई का नारा लगाकर तुम ही उसकी सरकार बनवा दोगे ! बन जाएगा फिर से बिल्डिंग आपके वसूले टैक्स से, आख़िर अल्पसंख्यक जो हैं…
यक़ीन मानिए की आप अब चुभ रहे हैं उन्हें.. आपकी शोभायात्रा और जुलूस से उनके कलेजे पर साँप लोट जाती है ! उनके हिंदुस्तान को फ़तह करने के सपने को तोड़ रहे हो.. पत्थर तो चलेंगे ही !
सरकार अल्पसंख्यक अधिकार के लिए अरबों रुपए उनकी मज़हबी शिक्षा, वज़ीफ़ा के नाम पर आप ही का पैसा फुंकती है.. जबकि दुनिया में सबसे अधिक आबादी उनकी भारत में है ! करोड़ों बांग्लादेशी घुसपैठिए देश के हर हिस्से में फ़ंगस की तरह पैर पसार चुके हैं ! किसी को समस्या की जड़ नहीं दिखता.. बस ऐसा हो रहा उसने पत्थर चला दिया, फिर लल्लू जैसा चिल्लाओगे की सरकार उसकी चमड़ी उधेर ले !
आप रहिए मस्त अपने बाबू का केक काट बर्थडे मनाने में.. कॉन्वेंट मिशनरी स्कूलों से पॉकेट कटवाने में ! आपका लाड़ला हाइब्रिड मुर्ग़े मुर्गी से कम नहीं होगा.. किसी भी प्रयोजन में सबसे पहले शिकार होने वाला बनेगा !

इनका मोड्स ओप्रेंडी सबको पता है, बस हम शतुर्मुर्ग बने बैठे हैं.. आपको बचाने कोई संविधान, क़ानून या पुलिस नहीं आ रही ! बिना शस्त्र शोभायात्रा निकाल रहे और चिल्ला पुलिस पर रहे ये भी न्याय नहीं है..
सरकारें क्यों नहीं तुम्हारी डर और समस्या का कोई परमानेंट उपाय निकाल रही ! अगर निकाला भी तो उनके प्रतिकार को रोकने की क्या तैयारी है तुम्हारे पास !!

अब स्थितियाँ नियंत्रण में नहीं है, उनकी विदेशी फ़ंडिंग इस सरकार ने बंद कर रखी है.. देश में एक भी ब्लास्ट या अराजकता नहीं फैला पा रहे, ऊपर से ट्रिपल तलाक़, कश्मीर, धारा 370 और CAA के कारण अंदर अंदर बिलबिला रहे !
उन्हें पूरा अंदाज़ा है की अल्पसंख्यक दर्जे के साथ छेड़छाड़ होनी निश्चित है…
प्रतिरोध के जबाब में ज़बरदस्त अटैकिंग क्षमता विकसित करो क्योंकि हमले की फ़्रीक्वन्सी अभी आने वाले दिनों में और बढ़ेगी..



कूटनीति @ BRICS 🇮🇳

भारत पश्चिमी देशों के लिए एक समस्या बनकर उभर रहा है ! अबतक भारत की पहचान एक बड़े बाज़ार भर की थी, लेकिन रुस-यूक्रेन युद्ध और भारत का रुस को खुला समर्थन ने पूरा मामला ही पलट कर रख दिया है ।

पिछले कुछ दिनों से अमेरिकन और तमाम यूरोपीयन देशों के delegates ताबड़तोड़ दिल्ली पहुँच रहे हैं ।
भारत के रक्षा और विदेश मंत्री का स्वागत करते खुद अमेरिकन राष्ट्रपति को दुनिया ने देखा । इतनी आवभगत क्यों ?
जबकि एस जयशंकर सरेआम अमेरिका में ही जाकर अमेरिका के मानवाधिकार उल्लंघन पर खरी खोटी सुना रहे । जर्मन delegates को पिछले दिनों ही दिल्ली में बिठाकर उसके मुँह पर रुस से तेल ख़रीदने के मामले में आइना दिखाया ।
अचानक हो रहे इस अभूतपूर्व घटनाक्रम का एकमात्र कारण है भारत का रुस को खुला समर्थन !!
रुस के पीछे दुनिया का मैन्युफ़ैक्चरिंग ग्राउंड चीन खड़ा है तथा बग़ल में खड़ा है विश्व का सबसे बड़ा हथियारों का आयातक और 135 करोड़ नागरिकों का अकेला बाज़ार भारत….


भारत का राजनीतिक नेतृत्व किल ठोककर बिना प्रतिबंधों की परवाह किए रुस से ताबड़तोड़ तेल गैस की आयात बढ़ा रहा है !
जबकि पड़ोस में एक प्रधानमंत्री की कुर्सी सिर्फ़ इस बात पर चली गयी की वो पुतिन से युद्ध बीच मिलने चला गया !
अब अमेरिका इस बात की लॉबी में लगा था की भारत को G 7 बैठक में न बुलाया जाए तथा तमाम तरह के सैंक्शन भारत पर थोपा जाए !! लेकिन अब पूरा गेम पलटता हुआ दिख रहा है..
BRICS की बैठक चीन में होनी है और चीन चाह रहा की किसी तरह मोदी आ जाएँ !
इसका महत्व इस बात से समझिए की BRICS देशों का दुनिया की कुल आबादी का 40% योगदान है, जबकि संसार के कुल GDP का 43% अकेले इन एशियाई देशों के पास है ! मतलब आधी दुनिया को ख़रीदने लायक़ औक़ात…
अब रुस की मंशा है की इस बार अमेरिका का सारा खेल ही ख़त्म हो जाए ! चीन की भारत से मित्रता कराने पर तुला है..

पूरी सम्भावना है की BRICS देशों की अलग मुद्रा बनेगी जो दुनिया के कुल 50% ट्रैन्सैक्शंस आपस में ही कर लेंगें ! लोन बाँटने के लिए WTO/IMF की जगह अपनी संस्था विकसित करेंगे और रेटिंग एजेन्सी भी अपनी होगी !
भारत की साख अभी इतनी अच्छी है की BRICS के अंदर इसके उपस्थिति मात्र से बहुत देशों में इस मुद्रा को अपनाने और सम्मिलित होने की होड़ सी मच जाएगी !
इसलिए रुस किसी तरह मोदी को मनाने के लिए चीन के साथ लगा हुआ है ! भारत इसमें मुख्य भूमिका में है अतः सारे पश्चिमी देश एकदम सहमा हुआ है की कहीं भारत चीन के क़रीब न आ जाए !
रुस पहले से ही वैश्विक राजनीति का एक माहिर खिलाड़ी है, चीन की महाशक्ति बनने के सपने किसी से छुपे नहीं हैं.. चीन को रोकने के लिए अमेरिका भारत को अपना प्यादा बनाना चाहता है ये भी सबको पता है.. दक्षिण चीन सागर में भारत के ख़ौफ़ के चलते आजतक चीन की हिम्मत नहीं होती क़ब्ज़े की !
रुस भारत की रक्षा ज़रूरतों और टेक्नॉलजी हस्तांतरण में हर वक्त मदद करता है !!
ऐसे में रुस-यूक्रेन वार में भारत की शानदार कूटनीति की हमें प्रशंसा करनी चाहिए !
भारत की जनता भी
बधाई
की पात्र है जिसने सत्ता में ऐसे नेतृत्व को खूँटाठोंक कर बिठाया है जो दुनिया में भारत का जलवा बिखेर रहा, वह भी उस स्थिति में जब कोरोना और यूक्रेन वार से कई देश दिवालिया हो रहे हैं …

अगर BRICS के मामले में रुस अपनी मंशा में सफल होता है और अपनी मुद्रा लाता है तो यक़ीन मानिए दुनिया फिर एशिया से चलेगी… डॉलर के बल पर कितने ही देशों की राजनीतिक आर्थिक आज़ादी नष्ट करनेवाला अमेरिका डूबेगा !
उसका आर्थिक पतन हम अपनी आँखों से देखेंगे..
Electric Vehicle तमाम तेल एक्स्पॉर्टर अरब देशों को बर्बाद करेगा..
दुनिया बहुत बदलने वाली है, सम्भवतः रुस-यूक्रेन युद्ध भारत के लिए सुअवसर है.. भारत अभी अमेरिका की ब्लैकमेलिंग कर सकने की स्थिति में है !
बाईडेन दहशत में है और सारा विश्व भारत की तरफ़ देख रहा !
यह क्षण गौरवशाली है और एक भारतीय होने के नाते यह पल गर्व से अभिभूत करता है… सम्भवतः अमेरिका का अंत नज़दीक है.. भारत का पताका लहराने वाला है…
🇮🇳



श्रीलंका संकट

श्रीलंका का हाल कैसा है आपने सुना है ?

अपने नागरिकों का पेट भरने लायक़ भी न तो उसके पास पैसे हैं न कोई अन्य स्त्रोत जिससे वह इस संकट से खुद को बाहर निकाल लाए ।
फॉरेक्स रिज़र्व ख़त्म हो चुका है, पर्यटन से उनकी कमाई थी जो कोरोना ने ख़त्म कर दी । जो भी सरकार आयी क़र्ज़ लेते गयी, समस्या को आने वाली सरकारों पर टालते गयी.. चीन के हाथों हम्बँटोटा गिरवी रखा.. बोरे भर भर के विदेशों से क़र्ज़ लेकर चुनावी मुफ़्तख़ोरी कराई और जनता की वाहवाही लूटते गये… कोई विज़न या अतिरिक्त प्लान तक कभी नहीं सोचा !
नतीजा आज वह दिवालिया हो चुका है..

पैसे बचाने के लिए शहर शहर बिजली गुल की गयी है, पेट्रोलियम आयल सिर्फ़ सरकारी कामकाज तक सीमित करके रखा हुआ है ! जनता राष्ट्रपति के घर घेर रही…
हालत कितने भयावह हैं इससे समझिए की 1 कप चाय भी 100 रुपए पर पहुंच गई है। ब्रेड के एक पैकेट के लिए 150 श्रीलंकाई रुपए देने पड़ रहे हैं।
देश में एक किली मिर्च की कीमत 287 फीसदी बढ़कर 710 रुपए हो गई है. यहीं नहीं आलू के लिए आम जनता को 200 रुपए से ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं. यहां एक लीटर पेट्रोल की कीमत 254 रुपए है, जबकि एक लीटर दूध 263 रुपए बिक रहा है.
देश के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री समेत सारा तंत्र किसी तरह अन्य देशों से सहायता की गुहार लगा रहा !
आईएमएफ़ लोन देने की शर्तों पर इनका पूरा इकॉनमी सिस्टम गिरवी पर रखेगा । चीन अपने लोन का ब्याज वसूलने को किसी हद तक जाने को तैयार बैठा है ।

भारत दुनिया की किसी भी अर्थव्यव्स्था के मुक़ाबले एक शानदार मिश्रित व्यवस्था वाला देश है ।
मुफ़्तख़ोरी कितनी भारी पड़ सकती है ये इन वेबक़ूफ़ों को सीखना चाहिए जो वामपन्थ से ब्रैनवाश होकर सरकार को हर चीजें फ़्री करने को कोसते रहते हैं ..
जितने भ्रष्टाचारी और लुच्चे होंगे उनका स्वर इस मामले में काफ़ी तीखा रहेगा.. गरीबों के संसाधनों पर डकैती करने वाले लोग अक्सर यह प्रदर्शित करने की कोशिश में रहते हैं कि सारी समस्या सरकार की देन है !
खुद कमाकर सारे पैसे से ऐश करेंगें, जायदाद बनाएंगे, टैक्स चोरी करेंगें और भरे उनके लिए सारी जनता !!
श्रीलंका की सरकार अपने ऐसे ही बुद्धिजीवियों के प्रभाव में आकर दिवालिया हो चुका है । 10 रुपए तेल की क़ीमत बढ़ने पर चिल्लाने वाले अक़्लमंदों को श्रीलंका की कहानी बताइए..
महंगाई बढ़ने से सबसे अधिक तकलीफ़ ग़रीबों को होती है , उससे कहीं अधिक मध्यवर्ग परेशान होता है.. मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए टैक्स चुकाने के बावजूद किसी योजना का लाभ तक बमुश्किल मिलता है !
फिर भी 135 करोड़ आबादी को रुस यूक्रेन संकट और थर्ड वर्ल्ड वॉर की स्थिति से सुरक्षित रखने के लिए ये सरकार
बधाई
की पात्र है ! नेगोशीएशन की कला में हमारे प्रधानमंत्री निपुण हैं, अमेरिका सहित यूरोपियन देशों को इस तरह बांध कर रख लेना असाधारण उपलब्धि है अन्यथा 10 रुपए के लिए चिचियाने वाली जनता के भरोसे रहे तो घुटने के बल बैठ के अपनी सम्प्रभुता का गला घोंट देते !
श्रीलंका जो भुगत रहा वह नेपाल आज बो रहा है । चीन अपने खुद के नागरिकों का नहीं है तो किसी का क्या होगा !
एक एक करके सभी उसके बुने हुए जाल में फँसेंगे.. नेहरू जी भी फँसे थे, भाईचारे में नाक कटवा ली थी.. आज तक कलंक लगा
है !

सरकार किसी की भी हो, पूर्ण बहुमत में सत्ता दीजिए । क्षमता रखिए कि उसे राष्ट्र सर्वप्रथम सर्वोपरि की भावना से लबरेज़ रखें..
आज एस जयशंकर ब्रिटिश और अमेरिकन डेलीगेट्स को सामने बिठाकर खरी खरी सुना रहे क्योंकि ये सरकार राष्ट्र के हितों के लिए समर्पित है ।
जहां विरोध करना चाहिए वहाँ सरकार की अच्छे से क्लास लगाइए, लेकिन बेहतरीन कामों की प्रशंसा करना भी हमारा कर्तव्य होना चाहिए…


10 March 2022

● जनादेश 🚩 ●

आज मतदाताओं ने भारत का भविष्य निर्धारित किया है !

योगी का फिर से आना स्पष्ट संदेश है की जनता क्या चाहती है ? कानून व्यवस्था में बाधक बनोगे, लोगों में डर पैदा करोगे तो उनका नेता गाड़ी पलट कर तुम्हारी जीने की आजादी ही छीन लेगा..

सरकारी कर्मी हो, सैलरी की अवकात बाइक से चलने लायक है लेकिन कोशिश हेलीकॉप्टर रखने की पालोगे, जनता को लूटोगे तो उनका दंडनायक तुम्हारी सारी कमाई पर बुलडोजर दौड़ा देगा..

महंगाई और बेरोजगारी के बावजूद भी 4 राज्यों में स्पष्ट जनादेश मिला है तो कुछ तो बात है ही उनमें जो जनता माथे से लगा रही है.. पंजाब फिसला है वह अनुमानित था और वहां अब खेल तगड़ा ही होगा !! जितने नेगेटिव नैरेटिव गढ़नी थी सारे शौक पूरे हो चुके.. दंगे हुए, सड़क घेर कर अराजकता फैलाई, फर्जी किसान आंदोलन का माहौल बनाया ! फिर भी कोई पार्टी प्रचंड बहुमत पा रही है, जनता का इतना स्पष्ट जनादेश लेकर वापस आ रही है.. तो समझिए राजनीति को और जनता के अन्तर्मन को...

अनुमान है कि योगी पूरी ताकत झोंक देने वाले हैं इस बार ! 2024 का चुनाव प्रचार राम मंदिर से होगा ये भी लिख लें ! पूरे हिंदी भाषी बेल्ट में भाजपा की जड़ें और मजबूत हो चली है.. विपक्ष जितना विरोध करेगा, चिल्लायेगा जनता मज़े लूटने वाली है !!


महंगाई आती है तो खुद से जीने की आदत डाल लो ! सरकार आने वाले एक से दो वर्षों में गरीब निर्धन की पहचान कर लेने वाली आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी विकसित कर लेगी.. योजनाओं का लाभ बस योग्य परिवारों तक सीमित हो जाने वाला है !

घर में 2-2 कार रखने वाले, एयर कंडीशन में सोने वाले, रोज चिकेन बिरयानी डकारने वाले और फ्लाइट से उड़ने वाले सफेदपोशों को महंगाई लगती है तो बेच डालो उसे और आराम से जंगल में रहो.. कंद फल खाओ, नदी का पानी पीओ.. जीवन मस्त कटेगा... हर छह महीने में DA डकारने के बाद भी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई लगती है तो चुपचाप resignation दो और निकल लो जंगल या हिमालय की ओर.. करोड़ों युवा मुँह ताक रहे इस नौकरी के लिए, एक वेकैंसी भी जेनेरेट कर दोगे !!!  सरकार आने वाले दशक में हर सरकारी कर्मचारियों को पूर्ण रूप से जनता को समर्पित कर देने वाली है ! आप इतने जबाबदेह बनने वाले हो कि आप सोंचकर कांप जाओगे ! टेक्नोलॉजी आपकी सारी चालाकियों पर बहुत भारी पड़ेगी..


सरकार जनता के लिए चलेगी, जनता से चलेगी और जनता के द्वारा ही चलेगी.. 

लोककल्याणकारी योजनाओं को जनता के बीच पहुंचाना अकल्पनीय था ! सफाई-शौचालय, उज्ज्वला से लेकर किसान सम्मान और ताबड़तोड़ राशन वितरण ने विशेषकर महिलाओं के अंदर सरकार के प्रति इतनी लोकप्रियता बढ़ी है कि उसका नजारा आज दिख रहा है..

राम मंदिर बनाया, काशी का गौरव वापस कराया.. मंदिरों को ऊर्जा के केंद्र के रूप में विकसित किया इसलिए जनता के मन में एक नरम भाव भी काम आया !

राजनीति में परिवारवाद अंत की ओर है, राजा का बेटा अब राजा नहीं बनेगा.. जातिवाद के अहंकार से जनता के मन को नहीं जीत सकते ! घाघ नेताओं की राजनीति खत्म हुई.. 

आज भारत को नया नेतृत्व मिला है.. ऐसा सन्यासी नेता जो गुंडों-भ्रष्टाचारियों के लिए आँख के बदले आंख और दांत के बदले दांत का मनोभाव रखता है ! कितना सुंदर है हमारा लोकतंत्र...

स्वागत करिये अपने भविष्य के भारतवर्ष के संभावित निर्माता का.. ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ 🚩🚩🚩



04 March 2022

● राष्ट्रवाद क्यों है जरूरी ?? ●

इस सवाल का सबसे सटीक जबाब अभी यूक्रेन के पास है ! वहां लड़ने के लिए युवाओं को बंदूकें दी जा रही है, रूसी टैंक से सामना करने को उनके नागरिकों के पास हिम्मत नहीं है..

दुनिया की लगभग सभी महाशक्तियां उसे हर weapons, कवर फायर मुहैया करा रहे लेकिन उसका इस्तेमाल कर सकने का जुनून नहीं है नागरिकों के पास ! लोग फाइटर प्लेन की आवाज से बंकरों में दुबक जा रहे.. 

एक के बाद एक शहरों पर रूसी सेना का कब्जा होता जा रहा है ! उसके देश के संसाधनों पर और नागरिकों की आजादी पर अगले कुछ ही दिनों में रूस का शासन होगा..

कोई बचाने नहीं आया.. बर्बादी का लपटें देख कर दुनिया फूंक मार रही लेकिन कोई उसमें नहीं कूदा !


राष्ट्रवाद का मजाक बना लेना आसान है ! खूब जोक्स बनाओ, जागरूक लोगों को भक्त-अंधभक्त कहते ठहाके लगाओ लेकिन तुम्हारी सच्चाई है कि तुम वामपंथी नैरेटिव के चुंगल में फँसकर बंकरों की ओर भाग जाने वाले पालतू भर हो ! 

राष्ट्र पर संकट आने पर बंदूक उठा कर सैनिक बन जाने वाले वही राष्ट्रवादी मिलेंगें जिसपर आज तुम हंसते हो ! कम से कम वो बंकरों के अंदर दबकर भेड़ों की मौत नहीं मरेंगे.. शेर की तरह लड़ते हुए इस मिट्टी में अपना लहू मिलाएंगे !


हमें पाकिस्तान से उतना खतरा नहीं है जितना चीन से है ! चीन अब भेड़िया बनेगा.. शांति और समझौते से सब होता तो न यह देश बंटता और न दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के किनारे खड़े होती ! 

चीन से हमें आज नहीं तो कल भिड़ना ही है ! हमें युद्ध के लिए एकदम तैयार रहना चाहिए.. रूस-यूक्रेन के बाद दुनिया का नक्शा बदलने की चुल्ल सभी देशों में उठेगी ! 

सिर्फ हथियारों से युद्ध लड़े नहीं जाते, बल्कि मनोबल से भी तोड़ा जाता है दुश्मन को.. चीन जानता है भारत की इस कमजोरी को ! 

देश की एक छोटी सी भीरु और कायर आबादी भी समूचे देश का मनोबल तोड़ सकती है ! इसलिए इसका एकमात्र उपाय है लोगों में राष्ट्रवादी विचारधारा इंजेक्ट करना..

हमें तुरन्त अपने नेगेटिव प्रोपोगंडा से भरा इतिहास, गैरजरूरी सिलेबस बदल देना चाहिए.. क्योंकि नेगेटिव माइंड सेट लेकर पैदा हो रहे युवाओं की जीनोम सिक्वेंसिंग का जड़ अपनी शिक्षा व्यवस्था है !

वार में सेना ही सिर्फ नहीं लड़ेगी.. आपका मनोबल और राष्ट्र के प्रति जीवटता भी लड़ेगा ! युद्ध की स्थिति में हम सुख सुविधाओं का कितना त्याग कर पाएंगे, इसी से सरकार रणनीति तय करती है !

स्वार्थी बनेंगे तो लूटेगा आपका संसाधन, मिटेगा आपकी पहचान और छिनेगी आपकी ही आजादी !

अपने आप को चतुर समझने की भूल न करें.. सीखें इजराइल से की राष्ट्रवाद की ताकत क्या होती है !! रूस की ओर देखो क्यों छीन रहा है वो यूक्रेन की आजादी को ? 

खुद पर संकट आने से पहले दुश्मन को नष्ट कर देना सबसे बेहतरीन कदम है.. पहले इजराइल और अब रूस ने इसे साबित किया है !

और दोनों ही राष्ट्र की सफलता उनके नागरिकों के समर्थन से है.. दोनों ही राष्ट्र के नागरिक युद्ध के वक्त शांति और मानवता की बकलोली नहीं करते.. तभी दुनिया की औकात दिखा पा रहे... 

#जयहिंद 🇮🇳 




24 February 2022

● Russia Ukraine War ●

रूस ने युद्ध की रणभेरी बजा डाली है ! ये अमेरिका व यूरोप के विरुद्ध रूस की खुली जंग है बस मोहरा यूक्रेन है ! अमेरिका ने एक और राष्ट्र की राजनीतिक और आर्थिक आजादी की बलि चढ़ा दी.. यूक्रेन निश्चित अपने अस्तित्व समाप्ति की ओर बढ़ रहा है ! 

स्थिति यह है कि नाटो सैनिकों की एंट्री मात्र से थर्ड वर्ल्ड वार की औपचारिक शुरुआत हो जानी है ! यह मुद्दा UN जैसे बेवकूफ संगठन की वजह से इतना विकराल रूप धारण कर चुका है कि दुनिया को इसके निकम्मेपन कि भारी कीमत चुकानी होगी.. UN और WHO दो संस्थाएं मानव जीवन के लिए खतरा तो नहीं बनता जा रहा ??

नाटो जंग में उतरा तो रूस थमने वाला नहीं है, वह दुनिया की तड़कभडक से दूर एक माहिर व शातिर खिलाड़ी है ! रूस अकूत पेट्रोलियम संसाधन और एक से बढ़कर एक विध्वंसक हथियारों का शहंशाह है, दुनिया एड़ी चोटी लगा लेगी मगर रूस की इकोनॉमी चौपट करने के अतिरिक्त ज्यादा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी !

अमेरिका ने एक सोये हुए शत्रु को फिर से जगा दिया, यह उसकी बहुत भयानक गलती है ! चीन और रूस का एक स्टैंड पर होना बहुत भारी पड़ेगा इस यूरोप और अमेरिका को ! चीन रूस को हर विपरीत परिस्थितियों में कवर सपोर्ट देगा.. उसकी इकोनॉमी बचाएगा और सारी मदद भी देगा ! यह स्थिति भारत के लिए अलार्मिंग होगी ! क्योंकि भारत को इससे जूझना ही होगा..

NATO नामक वैश्विक गुटबंदी बनाकर 29 देश मिलकर किसी को बर्बाद करने की पटकथा रचेंगे तो कोई शांति से कैसे बैठ सकता है ! ऐसी स्थिति में जब रूस फिर से USSR बनाने की सपने संजोय बैठा है ऐसे में उसके सामरिक हित से जुड़े मसले में यूक्रेन को किसी के बहकावे में टांग लड़ाने की कोई जरूरत नहीं थी ! 

अमेरिका के पास वियतनाम और अफगानिस्तान की हार के बाद अपनी बादशाहत बचाने का आगे कोई मौका नहीं मिलेगा.. रूस के सामने झुके तो सारी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी ! रूस, अमेरिका को एक इंच भी उखाड़ने में नल्ले देश के नजर से देखेगा और हर मैटर में आगे इसकी बेइज्जती करेगा..

भारत के लिए रूस और अमेरिका दोनों बेहद जरूरी हैं, दोनों शातिर है और दोनों के लिए भारत सिर्फ और सिर्फ एक बाजार है ! मोदी जी चीख चीख कर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की बात यूँ नहीं कह रहे ! आज नहीं तो कल हमें ढाई फ्रंट वॉर लड़ने पड़ेंगें.. पेट्रोलियम को सौर और लिथियम से रिप्लेस करने की कोशिशें सरकार तेजी से क्यों कर रही है कभी सोचा ?

युद्ध आगे बढ़ा तो भारत का मार्केट क्रैश हो सकता है, लाखों नौकरियों पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे.. आयातित सामानों की कीमतें गरीबों की कमर तोड़ देगी ! इसलिए अपना स्टैंड एकदम क्लियर रखना है सिर्फ राष्ट्रहित..

चीन ने POK से CPEC जिस वक्त गुजारी थी हमें ऐसे ही प्रतिकार की जरूरत थी मगर हम असक्षम हैं.. हम अपने ऊपर लदे मुफ्तखोर नागरिकों के बोझ से इतना कराह रहे हैं कि लड़ने क्या ठीक ढंग से खड़े की स्थिति में भी संघर्ष कर रहे हैं ! 

भारत में रहनेवाले शांतिप्रिय लोगों की बुद्धि देख तरस भी आती है ! हमें हर वक्त युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए.. युद्ध एकमात्र विकल्प है शांति का ! हमारे राष्ट्र के पास सबसे विध्वंशक और मारक हथियार होने चाहिए ये सपने संजोने की जरूरत है.. पड़ोस हो या समाज हो या दुनिया हो, हर जगह जिसकी लाठी उसी की भैंस वाला कांसेप्ट लागू है !

शांति के रास्ते न बचे हों तो युद्ध में कूद जाना सर्वश्रेष्ठ विकल्प है.. हमें युद्ध से डरना नहीं चाहिए, यह प्रवृत्ति कायर बना देगी.. जितनी क्षमता हो उतने में ही संहार कर देना धर्म है...



20 February 2022

● GeoPolitics ●

रूस और यूक्रेन के मुद्दे पर ग्लोबल पॉलिटिक्स से हमने क्या सीखा ?

यह की आप कौन हैं, क्या हैं या कुछ भी रहें.. आपको शक्ति के दो धुरियों के मध्य अपने दम पर बैलेंस बनाकर रहना है वरना पीस जाएंगे !

अपने गाँव, समाज या जिस मुहल्ले में रह रहे हो वहां भी यही मैकेनिज्म है ! पृथ्वी के भी दो पोल हैं..

शांतिप्रिय, न्यायप्रिय होने की ओट में निष्क्रिय बने रहना चाहते हैं तो कभी आपका वजूद स्थापित नहीं हो पायेगा !

जंगल में शेर को या भेड़िये को दया भाव क्यों नहीं आती ? भूखे मर जायेंगे वे हमारे ज्ञान सीखकर !!

हर वक्त इस सारे संसार में श्रेष्ठता की जंग हो रही है.. जंग का हिस्सा बने रहना चाहिए ! 


कोई देश जरा भी कमजोर या पिलपिला हुआ तो वैश्विक धुरियाँ रखैल बना लेगी ! 

कोई राजनीति पार्टी थोड़ा भी सिद्धांत से चलने लगेगी तो तुरंत उसके सांसद विधायक तोड़ लिए जाते हैं !

जो जानवर हमला करना नहीं जानता, नुकीले दंत-नाखून नहीं होते वो सबका आसान चारा बना जाता है हिरन की तरह ! क्या नहीं है उसके पास ? मासूमियत, शांतिप्रिय और अहिंसक भी है.. बेचारा किसी को मारकर भी नहीं खाना जानता, घास ही खाता है.. फिर भी सबका चारा है..

घास खाकर खूब सारा प्रोटीन जमा करता.. फिर इकट्ठे सारे प्रोटीन को शेर अपने अंदर डाल लेता ! हो गया ट्रांसफर ऑफ एनर्जी..

दुनिया के देशों के बीच यही कांसेप्ट लागू होता है..


हमारी श्रेष्ठता सेना से है.. हमारा देश रक्षा क्षेत्र में जितनी प्रगति करेगा उतना ग्लोबल पॉलिटिक्स में भौकाल होगा !

भारत की इज्जत इसलिए नहीं है कि हम बहुत शांतिप्रिय हैं, कभी दूसरों को तकलीफ नहीं पहुंचाते आदि आदि ! बल्कि हम दुनिया का सबसे बड़ा बाजार हैं, अथाह सम्भावना है तरक्की की ! हमारी तीसरी सबसे बड़ी पैदल सेना है.. दुनिया में चौथी सबसे बड़ी एयरफोर्स ताकत है हमारे पास..

दुनिया में सबसे अधिक टॉप ब्रेन की प्रोडक्शन हमारी माताएं करती हैं..

इस नैरेटिव में हमें नहीं चलना है कि हम अटैकिंग नहीं हैं या चरखे से डफली बजा देंगें की बकलोली में फंस जाना है !

यह बात हमें भीरु बनाकर रख देगा.. बगल के दो भेड़िये तुरन्त नोच डालेंगे..

वर्ल्ड पॉलिटिक्स को समझने का प्रयास कीजिये ! 

हमारी कोशिश हो कि हम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हथियारों से सुसज्जित हों.. आत्मसुरक्षा में इजरायल से सीखने की जरूरत है, जिसके पास लड़ने के अलावा कोई विकल्प कभी नहीं रहा..



18 February 2022

● टेलीमेडिसिन ●

भारत सरकार ने आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत चिकित्सा क्षेत्र में क्रांतिकारी शुरुआत की है !

ई-संजीवनी एप्लीकेशन द्वारा घर बैठे ओपीडी परामर्श प्राप्त करने कि सुविधा लोगों को मिलने लगी है ! अभी यह शुरुआती चरण में है इसलिए लोगों को फिलहाल इसके दूरगामी परिणाम नहीं दिख रहे होंगे.. आने वाले दो से तीन वर्षों में चिकित्सा के क्षेत्र में धूम मचने वाली है और सरकार शायद उज्ज्वला योजना की तरह सीधे ग्रामीण आबादी के दिल में उतर जाएगी !

जिसने भी ग्रामीण परिवेश जीया है उसने मरीजों को खाट पर टांगकर कई कई मील चलते लोगों की टोली को जरूर देखा होगा ! निरीह आबादी शहर के सरकार अस्पतालों के लाइन में कैसे धक्के खाया करती थी..

गमछे से निकाल कर सत्तू और प्याज खाते मरीजों को अगर आपने देखा है तो समझ लीजिए टेलीमेडिसिन का कांसेप्ट दिल में जरूर उतरेगा... ये तो सपने जैसा ही है कि दूर दराज के गाँव में रहने वाले लोगों को हम ऐसी व्यवस्था से लैस कर रहे हैं कि देश के विभिन्न अस्पतालों में बैठे उत्कृष्ट डॉक्टरों से ईलाज ले सकेंगे..

जब फार्मा इंडस्ट्री के आतंक से अधिकांश आम जनता कराह रही है वैसी स्थिति में प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना तथा टेलीमेडिसिन का मिक्स डोज, गरीबी से उबारने की पटकथा से कम नहीं है !

जनऔषधि परियोजना को कम आंकने की भूल कतई न करें ! सरकार ने जेनेरिक दवाओं के गुणवत्तापूर्ण रिसर्च तथा टेस्टिंग के लिए Pharmaceuticals & Medical Devices Bureau of India नामक एक body का गठन किया है जो पूरे परियोजना को नियंत्रित कर रही है ! ब्रांड दवाओं की तुलना में इसकी कीमतें 80 से 90% तक कम है..

क्लियर है कि डॉक्टरों की कमीशनखोरी और फार्मा के मोनोपोली वाली लूट बंद होने की कगार पर जाकर खड़ी हो चुकी है ! सरकार का लक्ष्य अगले कुछ सालों में गाँव गाँव तक जनऔषधि की दुकानें खोले जाने का है..

एक के बाद एक चरण में प्रयासों से हम आसानी से टेलीमेडिसिन के द्वारा न केवल अच्छे डॉक्टरों से ग्रामीण इलाकों तक बेहतरीन ईलाज पहुंचा सकते बल्कि मामूली कीमतों में बेहतर दवा मुहैया करा पायेंगे.. सरकार चाहे तो उनके दरवाजे तक कूरियर पार्टनर्स के द्वारा डिलीवरी करा सकती है, ऐसे में कई स्टार्टअप को रोजगार भी मिल सकेगा !

Village Level Entrepreneurs यानी कॉमन सर्विस सेन्टर को सरकार 5 से 10 रुपये की कमीशन दे, फिर देखिए यह योजना कैसे क्रांति का रूप पकड़ लेती है ! CSC में रोगी को पकड़ पकड़ के ओपीडी परामर्श दिलाया जाएगा.. लोगों में जबरदस्त समझ बढ़ेगी, ग्रास रुट लेवल तक सरकार का यह कांसेप्ट पहुंचने में देर नहीं लगेगा क्योंकि लगभग हर घर में स्मार्टफोन पहले से पहुंच रखा है !

अगर सरकार अपनी मंशा में सफल होती है तो निश्चित है कि डिजिटल इंडिया सच में उस खाई को पाट देगी जिसके सपने कभी हर चुनाव के पहले देखे जाते थे !

MCI की जगह National Medical Commission लाया जाना, फिर ताबड़तोड़ अंदाज में एक के बाद एक मेडिकल खोला जाना, उसके बाद टेलीमेडिसिन-जनऔषधि जनता के बीच उतार देना.. यह संयोग नहीं है, बिल्कुल प्रयोग है..

हम अपने नागरिकों को लंबे समय तक निजी डॉक्टरों के हाथों लूटते नहीं देख सकते.. जो पैसा बाजार में आना चाहिए, GDP सर्कुलेशन का हिस्सा बनना चाहिए वो पैसा एक ही लॉबी लूट ले जाये तो अर्थव्यवस्था कराहता ही रहेगा.. हम अपने नागरिकों को उचित शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सुरक्षा प्रदान करें ! उसके अलावे जीडीपी-इकोनॉमिक्स को हमारी आबादी सम्भाल लेगी.. बाकी हमारे पर्व त्योहार, शादियां-पार्टीयां समाज की तरक्की का बैकबोन तो है ही !

टेलीमेडिसिन की सफलता नए भारत की पटकथा लिखेगा.. आम जिंदगी मेंटोस सी होने वाली है ! शायद लाइन में धक्के खाने वाली हमसभी आखिरी पीढ़ी ही हैं.. बदलते भारत को अलग नजरिये से देखना सीखिए वरना यह मौका चूक जाएंगें...




28 January 2022

नाराज युवा

छात्रों की सरकार से नाराजगी के पीछे गहरी पृष्ठभूमि है, जिसे हर किसी को समझना चाहिए की मुद्दा इतना ज्वलंत कैसे बना ! बिहार में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र प्रतियोगिता परीक्षा के अलावे हर क्षेत्र में लगभग फिसड्डी होते हैं, ये बातें सभी को पता है ! बिहार के आर्थिक निर्धनता की रूपरेखा दशकों मेहनत के बाद नेताओं ने जातिवाद के रास्ते खींच दी !

वक्त बिता राजनीति और ज्यादा हावी हुई तो बिहार बंट गया, सारे प्राकृतिक संसाधन झारखंड को दे दिए गए !
फिर बिहार अबतक राजनीतिक कुंठा का इतना शिकार हुआ है कि यहाँ रहने वाले लोगों में अब अपने बच्चों के भविष्य की चिंता खाये जा रही !
कोई अमीर है धनाढय है तो बच्चों को दूसरे राज्य भेजकर इंजीनियरिंग-मेडिकल करा दे रहा.. UPSC के सपने वही लोग तो सच करते हैं आखिर !
UPSC या PCS किसी गुदड़ी के लाल से निकल पाना असंभव है.. लाख उदाहरण पिट लो कि फलाना सब्जीवाले, रिक्शेवाले का बेटा IAS बन गया लेकिन वो खबर सैकड़ों करोड़पतियों के लाडले के यूँ ही यूपीएससी में निकल जाना ढंक लेगा !

बिहार एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ अधिकांश आबादी गाँव में आज भी रहती है.. शहरीकरण के नाम पर अब सड़क और बिजली पहुंची है जिस पर दसों टैक्स लादकर वसूली सिस्टम का नया रास्ता तैयार किया गया है !
यहाँ आज भी खुले में शौच करने से रोकने को सरकार टीम सुबह सुबह छापेमारी करती फिरती है !
यहां हर घर में एक छुटभैये नेता पनप उठता है.. आबादी इतनी बेहिसाब बढ़ी है कि जमीन के टुकड़े टुकड़े हो चुके हैं और अधिकांश लोगों के पास बंटवारे के बाद खेती योग्य जमीन नहीं बची !
फिर भी एक जनरेशन पहले वाले लोग किसी तरह अपना पेट भर लिया करते थे, मगर अगली पीढ़ी क्या करेगी उनकी ?
मोबाइल और टेक्नोलॉजी के युग में जरूरत इतनी बढ़ गयी है कि हर क्षेत्र लगभग बाजार के नियम से चलने लगा है !
रोजगार धंधे का विकास तब ही होगा जब आदमी के पास पैसे हो और बाजार में निकलकर वो खर्चे.. एक दूसरे पर निर्भर यही चैनल परस्पर बढ़ती हुई जीडीपी और रोजगार क्रिएशन का रूप ले लेती है !
यहां सब चौपट है, बिहार प्रति व्यक्ति आय में सबसे निम्नतम है ! नेतागिरी के अलावे हर चीज में फिसड्डी..
सच है कि भारत का दूसरा सबसे आबादी वाला यह राज्य अंदर ही अंदर बहुत पीड़ा से गुजर रहा है !
रोजगार की तलाश में युवा तड़प रहे हैं.. अगर उसमें योग्यता नहीं है तो इस बात की जिम्मेदारी किसकी है ? 4 से 5 लाख शिक्षकों के ऊपर इतने गरीब राज्य का धन पानी की तरह बहाया जा रहा, इसका जबाबदेह कौन है ?
राज्य में इंजीनियरिंग, मेडिकल और तकनीक आधारित निवेश के लिये माहौल बनाने से किसने रोका ?
सरकार का काम न सिर्फ शासन चलाने या नीतियां बनाने भर से है बल्कि वो एक Job Creator और सर्विस प्रोवाइडर भी है ! अपने नागरिकों को रोजगार देना, उन्हें गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार देना भी उसका कर्तव्य है !
ये सही है कि देश को अमेरिका चीन के पूँजीवाद से टक्कर लेना है इसलिए निजीकरण को बढ़ावा देना चाहिए.. लेकिन बिना कोई वैकल्पिक व्यवस्था बनाये सबकुछ थोप देना भी अराजकता है !
कोई पुल तक तोड़कर बनाना है तो टेम्पररी व्यवस्था होती है ताकि लोगों को आवागमन बना रहे !
बिहार और यूपी की तुलना देश के अन्य राज्यों से नहीं हो सकती ! यहां विकल्प का सदा अभाव रहा है..
प्रतियोगिता परीक्षा द्वारा कठिन मेहनत के बलबूते एक सरकारी नौकरी पा लेना यहां वैतरणी पार होने के बराबर है !
इस दो राज्यों के करोड़ों युवाओं के बारे में बिना सोचे कुछ भी नीति थोप देना जनविद्रोह को आमंत्रण देना है !
ये रेलवे, एसएससी के विरुद्ध सिर्फ विद्रोह नहीं है !
इसे पहचानें और समय रहते रोकने की कोशिश करें..
सिस्टम के आवरण हैं ये युवा.. इनसे से अपना सिस्टम अभेघ बना हुआ है जिसके अंदर बैठकर कुछ अधिकारी अहम ब्रह्मा की स्थिति में है..
यही युवा इन्हीं राजनीतिक पार्टियों के झंडे लगाते भी हैं ढोते भी हैं.. इन्हें अपने भविष्य की तलाश है जो मिड डे मील के खिचड़ियों में नहीं मिला ! अपनी गलत नीतियों से हमने बहुत बड़े अयोग्य और बेरोजगार आबादी को तैयार कर लिया है !
ये इतिहास की बड़ी भूल साबित होगी अगर समय रहते तत्काल कोई सटीक रास्ता न निकाला जाए !!!
पेट भूखा रहा तो दिमाग अपराधी बना ही देगा.. एक अपराधी न सिर्फ राज्य और सिस्टम बल्कि समस्त समाज के लिए खतरा बन जायेगा.. झलक दिख रही है छात्र आंदोलन में इसकी..


26 January 2022

● छात्र आंदोलन ●

छात्रों को नजरअंदाज करना सरकार को भारी पड़ रहा है ! बिहार-यूपी जैसे पिछड़े राज्यों में बेरोजगारी का आलम इतना विभत्स है कि ये रेल रोको जैसा प्रतिकार भी काफी कम है !

लाख बातें होगी इकोनॉमी की, सबको आप नौकरी नहीं बांट सकते लेकिन जितनी बाँट सकते उतनी तो सही तरीके से दे दो.. छात्र आंदोलन का लंबा इतिहास रहा है.. सरकार की चूलें हिला देंगे ये लोग ! किसान आंदोलन की सफलता ने वैसे भी हर तबके को लगभग मोटीवेट कर ही दिया है..

उसके ऊपर रेलवे के पास भर्ती प्रक्रिया का न कोई तय मानक है न कोई फॉर्मूला ! एसएससी और रेलवे दोनों बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया के नॉर्मलाइजेशन के बेसिस पर कुछ भी रिजल्ट दे देने को उतारू हैं.. सरकार बार बार 80 लाख छात्रों के ट्वीट को भी नजरदांज करती रही है ! ये बहुत भारी पड़ सकते हैं.. बिहार टैलेंट का वो खदान है जहां से तराशे हुए हीरे निकल कर आपकी ब्यूरोक्रेसी के अंदर बैठते हैं !

नौकरी के नाम पर विदेशी कंपनियों को बुला लेना और हजारों फैक्टरी अलग अलग राज्यों में खुलवा कर बिहार को अधमरा करके छोड़ देना भी वजह है इनके आंदोलन का.. कब तक लेबर एक्सपोर्ट करता रहेगा बिहार !

शराबबंदी ने इस कदर बिहार को खोखला बना दिया है ये आने वाले 4-5 सालों में ही दिखने लगेगा.. अगले 2 दशक तक बिहार को हर मामले में अंतिम पायदान पर बनाये रखने का मास्टर प्लान है !

Bssc 8 वर्ष में एक बहाली तक पूरी नहीं कर पाई है !

हजारों निक्कमे और संविदाकर्मियों से पूरी बिहार की ब्यूरोक्रेसी को ठूंस डाला गया है ! पुलिस में हजारों बहालियाँ हो रही है, मगर क्राइम कंट्रोल माइनस में जा रहा है ! जब सरकार उसका सही इस्तेमाल नहीं कर पा रही है तो ये ड्रेन ऑफ वेल्थ क्यों किया जा रहा ! रोजगार का कोई अता पता तक नहीं है ! 

शहर के जिस चौराहे पर जाओ, सैंकड़ों भीड़ हाथ में मिस्त्री औजार लिए दिखेंगे.. पेट नहीं भरेगा तो किस बात का लोकतंत्र और कानून मानने को कोई बाध्य होगा !

छात्र जो कर रहे हैं वो उनका अधिकार है ! वे राष्ट्रीय सम्पति को बिना नुकसान पहुंचाए जैसे चाहें सरकार से भिड़ जाएं... 

ये आंदोलन या गुस्सा स्वयंस्फूर्त है, कोई राजनीतिक प्रयोजन नहीं मानी जा सकती है !

आप उनकी आवाज अनसुना करेंगें तो उनका खून खौल उठेगा.. युवा हैं आखिर उबाल मारेगा ही, कोई राजनीतिक बुड्ढे की फौज थोड़ी है...