22 November 2021

● कृषि कानून वापसी ●

3 कृषि कानूनों पर मोदी सरकार का झुक जाना हमें संदेहास्पद लग रहा है ! इन कानूनों का विरोध एक खास वर्ग, दलालों का था और उतना भी बड़ा नहीं था कि किसी देश की प्रचंड बहुमत से चुनी सरकार को इन कानूनों की वापसी के लिए मजबूर कर दे !

सम्भवतः यह एक रणनीति का हिस्सा है.. ये सरकार किसानों को व्यापारियों के हाथों लूटते रहने नहीं दे सकती ! यह अक्षम्य अपराध होगा सरकार का..

जितना मुझे समझ है कि अंदर अंदर किसी विशेष रणनीति पर काम जारी है ! हमें सरकार के इस निर्णय पर उतावला होने से बचना होगा !

इतिहास गवाह है कि नरेंद्र मोदी का स्टेप काफी साइलेंट व विध्वंसक होते हैं ! किसी को अगले कदम की कानोंकान खबर तक नहीं होती.. 

अब सम्भव है कि देश के 90 फीसद भूभाग के शोषित किसान के गुस्से का सामना विपक्ष करने को तैयार रहे ! सरकार फिर से सिम्पैथी बटोरेगी.. चुनाव जीते जाएंगे.. लेकिन यह तरीका बहुत गलत है !

सरकार ने 30 फीसदी विशेष आबादी को नागरिकता, NRC जैसे मसलों पर सड़क जाम कर उग्र प्रदर्शन के लिए motivate कर दिया है ! आने वाले वक्त में सरकार इनसे निपट पाएगी संदेह ही है ! 

मगर एक झटका जरूर आएगा जिसमें सारी दलाल, व्यापारी द्रोही किसान को उफ्फ तक करने का मौका नहीं मिलेगा..

याद रखना की शेर एक कदम पीछे ले तो नाचने मत लगो, वह अगले हमले के लिए तैयार होने गया है... 

#जयहिंद 🇮🇳



● चिल्ड्रन डे ●

अपने अंदर के बच्चे को जिंदा रखें.. ❤️😀

जीवन संतुलन बना रहेगा, लम्बे वक्त तक जवान दिखते रहेंगे..

बड़े हो गए या बुढ़ापे की ओर ढल रहे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है बस, अपनी महफ़िल जिंदादिल साथियों के साथ जमाये रखना है, खुलकर हंसना है, गुदगुदाना है.. ज्यादा attitude आपको अंदर से गला देगा ! एनर्जी को किसी तरह से बर्न करते रहना है.. बचपना आपकी सारी नेगेटिव एनर्जी निकालकर बाहर कर देता है !

ज्यादा स्वीट बनने की कोशिश नहीं करें, उम्र से पहले आपका स्वीटनेस डाइबिटीज पैदा करके रख देगा.. तीखा रहिये, थोड़ा गुस्सा दिखाते रहें.. कुछ नमकीन चटपटा मिजाज रखिये.. 😍 लोगों को आप ज्यादा पसंद आएंगे !

चटपटी चीजें लोगों के जीभ से पानी टपका देती है ठीक वैसा ही व्यक्तित्व रखना है ! मगर नागिनों से बचना भी है !

गुस्सा, इमोशन्स, प्यार, घृणा, जलन स्वाभाविक है.. इसमें अपने धर्म से सीखकर थोड़ा व्यावहारिकता का तड़का लगाइये, मज़ा आ जायेगा लाइफ में...

कोई चचा, बापू, मार्क्स, लेलिन लहसुन से प्रेरणा लेने की जरूरत नहीं है.. आपकी जिंदगी है और आपको जीना है अतः इसे अपने तरीके से तय करें !!!!! अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करें.. क्योंकि दूसरे के तरीके से चलने वाले मंदबुद्धि माने जाते हैं... ❤️❤️❤️





पुनर्स्थापना 🚩🚩🚩

सनातन पर्व-त्योहारों में लोगों कि बढ़ रही भागीदारी से मन तृप्त हो जा रहा है ! एक के बाद एक पर्व में लगातार बिना थके हमारे युवा प्रखरता से अपने पुराने गौरव को जीवंत बना रहे हैं ! 
विशाल शोभायात्रा, भंडारा, आरती पूजन, हवन, कीर्तन जैसे शुद्ध कार्यों से हमारा धर्म पुनः सुसज्जित होता दिखाई दे रहा है ! एक से बढ़कर एक मनमोहक मूर्तिकला शैली को देख अब समझ आता है कि क्यों किसी राष्ट्र के निर्माण में शिल्पकारों को इतना विशेष महत्व शास्त्रों में दिया गया है !
मंदिरों में पूजा के लिए अथाह लाइनें लगनी शुरू हो गयी है ! उन श्रद्धालुओं में ज्यादातर संख्या युवा युवतियों की दिखेगी, जबकि कुछ वर्ष पहले तक ये सारी चीजें बुढ़ापे की तरफ ढल रहे लोगों के लिए समझी जाती थी..

आज सड़कों पर लोग स्वयं खीर और खिचड़ी का प्रसाद बांटने लगे हैं ! लोग पूजा समितियों को सहर्ष चंदे देने लगे हैं.. जबकि पहले चन्दे को रंगदारी का नैरेटिव बना कर रखा गया था !
युवा शक्ति का जागृत हो जाना या कर देना, सफलता है सभी प्रखर राष्ट्रवादी लेखकों और राइट विंगर्स कि.. हर पल मेहनत करके लेफ्ट के एक एक सुनियोजित प्रोपागेंडा से लड़कर सोशल मीडिया में अपने विचार स्थापित करना सरल नहीं है !
इनकी लड़ाई समाज के सबसे प्रबुद्ध कहे जाने वाले गैंग से थी.. 
फिर इन्होंने सच्चाई को आम जनमानस तक पहुंचाया.. ये जंग अब भी इतिहास के तर्कों से लड़ी जा रही है ! इस जंग के नायक वे हीरो हैं जो अपनी उंगलियों से या कलमों से हर उस झूठ को मिटाते चले आ रहे है ! राष्ट्रवादी सरकार का मौन समर्थन ही काफी है... बाकी काम तो मिलकर सभी को करना है !
हमारी परंपरा फिर से अंगड़ाई लेने लगी है ! त्योहार उदयमान हो कर उठ रहा है ! शान से हमारे युवा सोशल मीडिया को तस्वीरों से पाट दे रहे हैं.. छठ पर पूरा फेसबुक सनातनी महक से सराबोर कर दिया..

अयोध्या में योगी ने क्या शानदार दीपोत्सव मनाया.. मतलब वाह...
देश का प्रधानमंत्री त्रिपुंड धारण कर भोलेनाथ के चरणों में लोट जा रहा है.. 
उठाया जा रहा है पुनः भारतवर्ष को.. गर्व करिये..
आपको इसका हिस्सा बनना चाहिए ताकि आप अपनी पीढ़ियों को कहानी सुना सकें कि आपने कितनी मेहनत से पुनर्स्थापित किया है अपनी परम्परा को !
आरती में सम्मिलित होइए, बढ़ चढ़कर चन्दे दीजिये, यज्ञ-कीर्तन कराइये या कराने वाले को बढ़ावा दीजिये !
हर जन्मदिवस को सपरिवार मंदिर जाइये, मत्था टेकिये ! तीर्थस्थल घूमना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए.. 
पास से गुजर रही विसर्जन शोभायात्रा में घुसकर थोड़ा झूम लिया कीजिये ! निश्छल भाव से हाथ उठाकर जयकारे लगाइये..
कीर्तन में बैठ थोड़ा झाल बजा लीजिये.. जितना हो सके ईमानदारी से आय के अनुपात में हर जगह चन्दे देने की आदत डालिये !
यकीन मानिए, आप सनातन के पुनरुत्थान का अघोषित अंग होंगें ! इतिहास आपको एक अदृश्य योद्धा के रूप में दर्ज रखेगा..
🚩🚩🚩


02 November 2021

● महंगाई स्पेशल ●

पेट्रोल डीजल कि आसमान छूती कीमतों के दौर में आम जनजीवन बुरी तौर प्रभावित होता जा रहा है ! सरकार के मुनाफे कमाने की मंशा देश में महंगाई की नई साइलेंट विचारधारा को जन्म दे रही है ! ये सही है कि कोविड के बाद महंगाई आने की भविष्यवाणी कई अर्थशास्त्रियों द्वारा की गई थी मगर क्रूड ऑयल पर सरकार का अड़ियल रवैया जनता के लिए काफी मुश्किलें खड़ी कर रहा है !

पेट्रोल, डीजल और खाद्य तेल ये तीन चीजें देश के अंतिम पायदान तक खड़े व्यक्ति को भी सीधे तौर पर प्रभावित करता है ! यह तीनों चीजें हमारी गरीब आबादी कि आर्थिकी को नचा कर रख देता है ! क्रूड ऑयल पर हमारी लगभग सभी बेसिक आवश्यकता निर्भर है.. फल सब्जी तक..

तेल के दाम बढ़ेंगे तो कंपनियां तो कोई समाज सेवा के लिए फैक्ट्री में डालकर बैठी नहीं है वे निश्चित रूप से अपने प्रोडक्ट कीमतों में इजाफा करेंगे ! सरकार तेल के दाम दस रुपये बढ़ाएगी तो ये कंपनियां प्रोडक्ट कि कीमत पंद्रह रुपये बढ़ाकर वजन भी 100 ग्राम कम कर लेंगे.. 

लॉजिस्टिक खर्च बढ़ जाने का बहाना चाहिए उन्हें तो बस.. उसमें उनका मुनाफा भी अपनी रफ्तार से बढ़ता चला जाएगा ! अंततः भुगतना तो जनता को ही है ! 

अगर हमारी व्यवस्था मूल्यवृद्धि को या महंगाई को नियंत्रित नहीं कर पा रही है तो उसकी जिम्मेदारी सीधे-सीधे सरकार को जाती है ! उसके पास दुनिया भर के थिंकटैंक, इकोनॉमिस्ट, बड़े-बड़े तोपची अंदर बैठे हैं ! सोचने के और अपने आईडिया देने के दम पर मोटे तनख्वाह सरकार से वसूलते हैं.. वो क्या कर रहे हैं ? क्या हमारे अर्थशास्त्री इतने पंगु हैं कि वे सरकार से पेट्रोल डीजल के अतिरिक्त अमीरों पर टैक्स लायबिलिटी शिफ्ट नहीं करा पा रहे ? 

जनता तो बस सरकार को जानती है.. उसे वैसे भी किसी अन्य से कोई मतलब नहीं.. आम जनता कराह रही है ! मतलब घर परिवार चलाना तक मुश्किल हो रहा है ! कोविड के दौर में लाखों नौकरियां चली गयी फिर एक तो वर्तमान में रोजगार कि कोई संभावना नहीं दिख रही ! ऊपर से सरकार को सरकार को जीएसटी और अन्य टैक्स कलेक्शन के अलावा कुछ अधिक सूझ नहीं रहा ! घरेलू गैस सिलेंडरों की सब्सिडी धीरे-धीरे समाप्त कर दी गई है ! पीडीएस राशन की दुकानों पर राशन की क्वालिटी क्या होती है किसी से छुपा भी नहीं है ! उसे बनाने के लिए तेल मसाला भी तो चाहिए ही.. उसमें आपने आग लगा दी है..  ब्रश करने वाले टूथपेस्ट तक कि दाम असहनीय है ! कई ग्रामीण परिवारों की हकीकत है कि बच्चे को 3 रुपये वाली पार्लेजी कि जिद्द भी पूरी नहीं कर पा रहे.. देश की आबादी को सरकारी तंत्र कितना सताता है यह भी जगजाहिर है ! 

आप अत्यधिक दिन तक चुपचाप आंख मूंदकर पेट्रोल-डीजल, खाद्य तेल जैसी मूलभूत चीजों पर अपने उगाही का अड्डा बना कर नहीं रख सकते ! यह भी सही है कि बिना पैसे के सरकार भी नहीं चल सकता , देश नहीं चल सकता मगर आपको गरीबों की जेब को प्रोटेक्ट करना ही होगा ! उनपर डाली गई लायबिलिटी हमारे देश को भीतर से खोखली कर रही है ! पैसे जरूरी हैं क्योंकि हमें आत्मनिर्भर बनना है, रक्षा खरीद करनी है, सीमाओं को सुरक्षित करना है, सड़कें बनानी है, हवाई जहाज उड़ाना है.. इसका इंतजाम उनसे तो नहीं किया जा सकता जिन्हें एक बेसिक सुविधा तक उपलब्ध नहीं है ! जिन परिवारों को 2500 कैलोरी भी भोजन नसीब न होता हो उनपर जिम्मेदारी थोपा जाना बहुत गलत है ! एक ढंग की स्वास्थ्य सुविधा तक हम उन्हें उपलब्ध कराने में असफल रहे हैं जबकि उनसे निर्ममता से 5 से 28% तक जीएसटी वसूलते चले आ रहे हैं !

भारत कोई धनाढ्य देश नहीं है कि टैक्स का भार हर व्यक्ति सह ले ! अमीरों कि टैक्स चोरी न रोक पाने की लायबिलिटी बाकी लोग क्यों सहेंगे ? जनता वैसे भी सरकार कि कोई एक्सक्यूज़ नहीं सुनेगी.. उसकी जेब पर डायरेक्ट असर पड़ेगा तो वो असर चुनाव में दिखायेगा.. बाकी evm हैकिंग कि कहानी गढ़ते रहना ! लोग आंख बंद करके हर चीजों पर समर्थन नहीं कर सकते ! पॉलिसी मैटर की जिम्मेदारी सरकार कि है, वो अपने बाबुगिरी तंत्र से इसे कैसे मैनेज करता है वो समझे..... 

#जय_हिंद 🇮🇳



17 October 2021

● ईश्वरीय स्वरूप ●

किसी किसी को ये अभिमान होता है कि उसके बिना किसी की दुनिया नहीं चलने वाली ! मतलब स्वयं को अवतार टाइप की फीलिंग लिए घूमते रहना.. मनोभाव ऐसा हो जाता कि जैसे उसे ईश्वर ने पैगम्बर टाइप किसी खास मकसद के लिए भेजा है ! उनका इस धरा पर पैदा होना ही अपने आप में अकल्पनीय बात है ! ऐसे अहम वाले लोगों से आमलोगों का अक्सर सामना होता ही रहता है !

आईएएस, पीसीएस अधिकारियों के अंदर यह विकृति रोम रोम में भरी होती है ! न्यायाधीश तो स्वयं को भगवान से कम पर मानते ही नहीं.. डॉक्टरों का अपना ईगो है की वे भगवान का दूसरा रूप हैं भले गरीबों की जेब पर चाकू चला कर लहूलुहान करने में कोई कसर न छोड़ें...

प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे के बिना जीने मरने की कसमें खाते फिरते हैं ! शायद नायक को लगता है कि नायिका उसके बिना अधूरी रह जायेगी.. उसे ईश्वर ने सिर्फ उसी के लिए पैदा करा है ! जबकि अपनी नायिका के प्रेम जाल में फंसकर आवारा-सुट्टेबाज बनकर रह जाता है ! उसे रिटर्न में इतनी तकलीफें मिलती है कि बेचारे को खुद के होने पर भी संदेह पैदा हो उठता है..  इस क्रुएलिटी से बचने का कोई साधन या उपाय चाणक्य के पास भी नहीं था ! 

समय ऐसी चीज है जिसे किसी पर बेवजह बर्बाद कभी नहीं करनी चाहिए.. किसी की अच्छाई के लिए समय को अगर आपने बर्बाद किया और रिटर्न में तकलीफ भी मिले तो उसे एक्सेप्ट कर लेनी चाहिए.. यह आपको बाद में बहुत अच्छा फल देगा ! लेकिन आपके ईश्वरीय स्वरूप होने का घमंड जरूर चूर कर देगा जो गीता के कर्मफल के सिद्धान्त पर आधारित है !

इस तरह ईगो वाले हाईप्रोफाइल लोगों या अधिकारियों के अंदर भयंकर अशांति रहती है ! ईश्वरीय जीवन तो दूर बेचारे सामान्य मानवीय जीवन भी नहीं जी रहे होते हैं.. टेंशन से बेचारे का सर फटा रहता है ! कब कहाँ पैसा पकड़ा जाए, वीडियो लीक हो जाये खुद नहीं जानते ! रिटायर होते ही कुत्ते भी नहीं पूछते..

हीरो हेरोइनों का आज क्या आस्तित्व रह गया समाज में ? जिन्हें देखने भर को लाखों भीड़ धूप में इंतजार कर लिया करती थी.. भगवान की तरह ट्रीट हुआ करता था.. आज स्मैकर बनकर रह गए जनता की नजरों में !

हमें कभी खुद में भगवान नजर नहीं आने चाहिए.. ब्रह्मांड में अपनी पृथ्वी कि औकात आटे के एक दाने बराबर भी नहीं है.. तो समझ लीजिए आप कितने बड़े मुर्खाधीश हैं !!!

ईश्वर ने मानव को सर्वश्रेष्ठ गुण दिए हैं.. आप उस ईश्वर की आराधना सभी जीवों में सबसे श्रेष्ठ तरीके से करने लायक हैं.. स्वयं को पैगम्बर या ईश्वर का रूप समझने की भूल अगर कर रहे तो इसी जीवन में आपको निश्चित एहसास होगा कि आप कौन हैं ???

ईश्वर की भक्ति करते हैं तो चुपचाप करते रहिए.. पूरे ध्यान से कीजिये.. भगवान पर एहसान नहीं कर रहे भक्ति करके.. ढोल पीटकर बताने की जरूरत नहीं है आप सर्वशक्तिमान के भक्त हैं तो कोई न उलझे !

ईगो को तुरंत त्याग दीजिये ! धन संचय जरूरत अनुसार ही करें ! प्रेम के मोहपाश में नहीं बंधे.. ये आपके हाथ पैर और बुद्धि सब बांधकर रख देता है, एक अच्छे जीवन के लिए जिस उम्र में ये तीनों चलने चाहिए वहां यह गलती कभी न करें !



● ड्रग्स स्मगलिंग ●

प्रकृति का नियम है कि जैसे ही आपके पास असीमित पॉवर या 2 नंबर पैसा आने लगेगा, वो पैसा आपकी दिमाग में घमंड का चरस बो देगा.. 

गलत पैसे कमाओगे, आपका दिमाग सिर्फ गलत सोचने और करने पर मजबूर करेगा ! पैसे आएंगे तो सुख सुविधा के साधनों तक पहुंच बढ़ेगी, ढेरों पैरवी बनेगी.. मन की हर चीजें ऑटोमेटिक तरीके से हासिल होने लगती है !

जबकि इसका प्रभाव दूसरी तरफ साइलेंट तरीके से पड़ता रहता है ! आप धर्म से दूर होने लगेंगे.. 

भगवान सिर्फ मूरत की तरह दिखने लगेंगे.. राजनीतिक रूप से झुकाव वामपंथ की तरफ होने लगेगा ! पहले अपना गांव/मुहल्ला मूर्खों से भरा सा लगने लगेगा ! फिर राज्य और अधिक पैसा आएगा तो देश से भी नफरत होने लगेगी.. टेंशन में जिओगे तो निश्चित है कि मानसिक शांति के लिए शराब सिगरेट धीरे से जीवन का हिस्सा बन जायेगा.. 

खुद के बदौलत ऊंचाई हासिल की है तो संभव है यहीं तक रूक जाओगे.. मगर औलाद को अगर पैसे की टशन लगी और हर जिद पूरी की तो समझो बहुत आगे निकलेगा आपसे ! आपके पास अथाह पैसा था, लौंडे को विदेशी शिक्षा दिलवाई.. न देश का कानून समझा न राजनीति ! मतलब अब जमीनी अक्ल से पैदल ही रहेगा.. धर्म, नीति या मर्यादा सिखाने की फुरसत कभी मिली नही ! मंदिर घुमाने पिकनिक की तरह ले गए.. तो उसे सब गॉड ही लगते रहेंगे जीवन भर ! बौद्धिकता जीरो रहेगी उसमें.. चरस गांजा सब फूंकेगा ! हर कुकर्म में उतरेगा क्योंकि तुमने कभी उसे गीता ही नहीं पढ़ाया !

तुम्हें तेरी शोहरत इज्जत सब आंखों के सामने नष्ट करेगा ! यही कुकर्मों की सज़ा होती है कि सब सामने से मिटते देखोगे.. जबरदस्त तड़प होगी..

शाहरुख के लौंडे के साथ भी तो यही हुआ ! बाप की अकूत काली कमाई ने बेटे को हवालात पहुंचा दिया ! 

बॉलीवुड चरसियों का अड्डा है..

शाहरुख हो, आमिर हो, सलमान या बच्चन ये वही काट रहे जो इसने खुद ही बोया था !

फ़िल्म इंडस्ट्री की घिनौनी सच्चाई कई दशकों से है मगर अब फर्क यही है कि सोशल मीडिया के जमाने में लोग नंगा कर दे रहे..

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने अपनी शानदार डयूटी निभाई है ! उनकी दिलेरी के लिए सौ बार तालियाँ पीटो तो कम है, क्योंकि इनलोगों ने उसके लौंडों को पकड़ा है जो दुबई के शेख से लेकर अरब के कई हस्तियों तक से भारत सरकार पर दबाब बना चुका होगा..

ये वही है जिसे भारत में असहिष्णुता लगती थी.. कानून का राज बराबर चलता है ! चार्टर प्लेन से चलने वाला लौंडा आज जेल के सड़ांध मारती कमरे में घुटेगा.. 

प्रकृति सबको बराबर ट्रीट करेगी बस न्याय करने और नीति बनाने वाला शासक सत्ता में बैठा रहे...

#जय_हिन्द 🇮🇳



15 October 2021

● दशहरा स्पेशल ●

देवी के भव्य स्वरूप के आगे नतमस्तक हो जाने वाले सनातनी के लिए शक्ति की आराधना हमारे लिए सर्वस्य है ।
सारे देवी देवताओं के शस्त्रों से सुसज्जित माँ नारायणी की भव्यता को कौन नहीं पूजता.. हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हमारी परंपरा में नवरात्र दशहरा का पर्व समाहित है । 
अस्त्र-शस्त्र ही आपकी शक्ति का घोतक है.. शस्त्र ही शांति का सूचक है.. शस्त्र संहार जरूर करता है लेकिन आने वाले खतरों को टाल देता है ! अपने शौर्य के लिए शक्ति प्रदर्शन किया जाना आवश्यक है !
धर्म की रक्षा सबसे सर्वश्रेष्ठ कर्तव्य है.. धर्म को जीवंत बनाये रखने, अपने पूर्वजों की परंपरा को आगे बढ़ाते रहना सभी का कर्त्तव्य है !
आज जो युवा इस संस्कृति को जीवंत रखने के लिए 
सड़कों पर या घरों घरों तक चंदे मांगते चलते हैं वह हमारे धर्म के सर्वश्रेष्ठ रक्षक हैं.. 
फ्रंट लाइन वॉरिअर की भूमिका में है.. धर्म के कार्यों में निःस्वार्थ भाव से इनकी उपस्थिति जरूर देखी जाती है !
मां की मूर्ति स्थापना करने से लेकर पंडाल लाइटिंग तक कि व्यवस्था आपसी तालमेल से कर डालते हैं.. सरकार और उसकी किसी व्यवस्था से कोई सहयोग तक नहीं मिलने के बावजूद इन्होंने सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा रखी है !
सरकारें आये दिन कानून व्यवस्था के नाम पर आयोजनों में विघ्न डालने से नहीं चुकती.. 
भले आपको ज्यादा पढ़े लिखे इलीट क्लास होने का घमण्ड हो और इन आयोजकों को आवारा फालतू समझते हों.. लेकिन मेले में घूम रहे आपके बच्चों के चेहरे पर मुस्कुराहट इन्हीं के कारण आ रही होती है ! देवी गीत पर आपका अंदर से गुनगुना उठना भी तो इनका ही आनंद है ! विसर्जन में एक से बढ़कर एक बैंड और झांकियां देख आपके बच्चे में जो हर्ष दिखता है उसकी वजह वही युवा हैं जो आपकी नजरों में आवारा है !
किसी के पास समय नहीं है, हर कोई एक दूसरे को कुचलकर आगे बढ़ जाना चाहता है.. मंदिर जाने तक को समय नहीं है, जाते भी तो VIP दर्शन का इंतजाम कर लेते हैं..
आप अपने बच्चे को बाहर तक जाने नहीं देते.. 
तो सोचिये कौन करेगा ये सब आयोजन.. किसका मन करता कि भूखे प्यासे बांस बल्ला जुटाकर पंडाल बनाये, 9 दिन फलाहार कर कलश प्रतिमा स्थापित करे ! चन्दा मांगने में पुलिस से मार खाये, बिजली विभाग को मैनेज करे फिर भी आपके परिवार-बच्चों के लिए एक से बढ़कर एक आकर्षक सजावट रखे..
चंदा वाले को देखकर कितने लोग अपना गेट तक बंद कर लेते.. सामाजिक दायित्व से भागने व धर्म विमुख रहने वाले लोगों में तनिक लज्जा देखने को नहीं मिलती ! सबसे पतित लोग होते हैं ये.. समाज ऐसे लोगों को चिन्हित करें और महत्व का एहसास कराये !
समाज में इतने जाहिल होने के बाद भी हमारी जड़े कितनी गहरी है ये आप सड़कों चलते माँ की भव्यता और पंडालों की चकाचौंध देखकर फील कर सकते !
धर्म-परम्परा के लिए समय नहीं है तो आर्थिक मदद करने से कौन रोका है ! अपनी जिम्मेदारी जरूर निभाएं.. 
बढ़ चढ़कर भागीदारी करें !
हमें अपने पर्वों को संरक्षित रखना है.. अपनी पूर्वजों की परंपरा को आने वाली पीढ़ियों तक हस्तांतरित करनी है इस जिम्मेदारी को जरूर निभाएं...




19 September 2021

● कोष मूलो दण्ड ●

राज्य के धन का स्त्रोत 'कर' यानी टैक्स होता है ! मौर्य प्रशासन में चाणक्य ने कर व्यवस्था को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया था.. किसी भी राज्य की सैन्य शक्ति, प्रशासनिक खर्च एवं लोककल्याणकारी कार्यों के लिए कोष पर पूर्ण निर्भरता होती है !

राज्य यानी सरकार का राजकोष अहम तौर पर जनता से वसूले गए टैक्स से ही संचित किया जाता है !

वर्तमान में भारत में दो तरह की टैक्स प्रणाली कार्य करती है -

पहला अप्रत्यक्ष कर प्रणाली एवं दूसरा प्रत्यक्ष कर प्रणाली ! भारत की सरकार एक लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई वेलफेयर स्टेट की भूमिका में है ! समाज के हर वर्ग को बराबरी में लाना, भयमुक्त समाज बनाना और हर सुख दुख में जनता की मदद करने की व्यवस्था ही वेलफेयर स्टेट की भूमिका माना जाता है ! जबकि राजशाही शासन वाले देशों में वहां की सरकार पुलिस स्टेट की तरह काम करती है ! वहां की जनता की सुख दुख से कोई मतलब नहीं रखती...

आप अमीर हो टैक्सेशन के दायरे में आते हो फिर भी टैक्स नहीं चुका रहे या टैक्स चोरी कर रहे तो इसे सीधे सीधे राजदंड के योग्य माना जाता है ! कर व्यवस्था हज़ारों सालों पुराना है ! 

आपकी इस चोरी से सरकारें कोष के अभाव में जरूरतमंद को मदद नहीं पहुंचा पाती है तो उसका जिम्मेदार किसे माना जाए ?

अगर एक गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाला व्यक्ति हर सामान पर अदृश्य रूप से 5% से लेकर 28% तक टैक्स चुका रहा है तो देश के अमीरों को उनकी जिम्मेदारी से भागने नहीं दिया जा सकता..

कोष किसी राज्य या देश की उन्नति का भविष्य नियत करता है ! अक्सर हमें देश के विभिन्न अमीरों के यहां आयकर और GST के छापेमारी की खबरें मिलती रहती है ! ये लोग अपनी आमदनी का एक छोटा सा भी हिस्सा सरकार को देने में कचोट से जाते हैं मगर पालतू कुत्ते पर हज़ार रुपये रोज खर्च देंगे.. उनके कर चोरी के कारण ही राजकोष को भरने हेतु सरकारें निरीह जनता पर अप्रत्यक्ष करों का बोझ डालते चली जाती है !मतलब अमीरों से टैक्स न वसूल पाने का जिम्मा या नाकामी अंततः  जनता पर ही फोड़ा जाता है.. वे बेचारे कराह तक नहीं पाते..

टैक्स चोरी करने वाला भी चोर ही है ! टैक्सेशन में चोरी करवाने वाला भी उतना ही जिम्मेदार है और टैक्स न वसूल सकने वाला सिस्टम भी उससे कहीं ज्यादा जबाबदेह है ! अगली बार अगर किसी राजनेता, फिल्मी नचनियों या कॉर्पोरेट के ठिकानों पर रेड हो तो कम से कम मुस्कुरा उठिए.. उनकी लायबिलिटी निरीह जनता के ऊपर आने से बच तो गई !

चाणक्य के अनुसार कर की चोरी की सजा मृत्युदंड होनी चाहिए और चंद्रगुप्त प्रशासन में इसकी सज़ा भी यही थी !

सल्तनत, मुगल काल में तीन चौथाई तक टैक्स लगाए जाते थे और निर्ममता से वसूले भी जाते थे ! कोड़े से पीटा जाता था, मांस तक काट लिए जाना का क्रूर इतिहास रहा है..

जबकि आजकल के सरकारें टैक्स देने के लिए इन रईसों से गिड़गिड़ाती फिरती है ! 

चाणक्य का कोष मूलो दंदः आयकर का ध्येय वाक्य आज भी है ! सरकार के पास पैसे हमसे ही आना है.. हर एक कल्याणकारी योजनाओं के लिए पैसे उपलब्ध कराने की प्राथमिक जिम्मेदारी अमीर वर्ग पर डालना सबसे आसान उपाय है ! 

कर चोरी में मदद करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को कम से कम इस देश के बारे में एक बार जरूर सोच लेनी चाहिए कि उसके इस कृत्य से हमारी आर्थिकी कैसे प्रभावित होगी ?

निरीह आबादी बेमतलब के अतिरिक्त टैक्स का भार कैसे सहेगी ?

उनके लालच से देश एक साथ कई मोर्चों पर खोखला हो रहा होता है ! 

ये राजद्रोह से कम नहीं है.. नेताओं के भ्रष्टाचार के मसले अलग हैं वो अलग मुद्दा ही है ! वो करते बहुत गलत हैं मगर अंततः वे नोट भी चुनावों के वक्त जनता के बीच ही जानी है..

लेकिन टैक्स चोरों के पैसे आराम से शेयर मार्केट इक्विटी आदि में दिन रात तरक्की कर रहे होते हैं.. टैक्स चोरी राष्ट्रद्रोह का दूसरा रूप है.. जितना अधिक कर आएगा राष्ट्र का उतना उन्नति सुनिश्चित होगा.. अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिए नए रास्ते भी खुलेंगे..

#जय_हिन्द 🇮🇳




13 September 2021

● प्रतिकार ●

बदले लेने की भावना हर एक जीव जंतु आवश्यक रूप से होनी चाहिए और यह तत्व प्रकृति ने नर्सगिक तौर पर सबको दे रखा है ! एक एक किट-पतंग, चींटी से लेकर बड़े बड़े जानवरों को जब भी नुकसान पहुँचाओगे वह पूरी क्षमता से अटैक करेगा ! इंसान के अंदर भी तो वही तत्व है ! बस हमारा सनातन धर्म अपने कर्म के सिद्धांत पर आधारित है ! यहूदी आंख के बदले आंख और दांत के बदले दांत वाली रणनीति अपनाते हैं ! माफी का कोई कांसेप्ट उनके धर्म में नहीं है ! तो देखिए इजराइल की वॉर पॉलिसी और समझिए क्या करता है वो ! 

हमें भी समय रहते भांप कर अपने आस्तीन के दुश्मनों को वही सजा देनी चाहिए जो वो करने की सोच ही रहा हो.. परंतु हम इतने लिबरल हो जाते हैं कि उनकी मनोदशा समझ ही नहीं पाते ! या कहें कि हमें अपना ओवरकॉन्फिडेंस ही डुबो देता है.. शक पनपने से पहले ही ये न्यूट्रल करने पर उतारू हो जाता है और कुछ कर ही नहीं पाते !

इतिहास हमें सिखाता है कि कोई आपको नुकसान पहुंचाए उससे पहले उसका नुकसान स्वीट पाइजन बनकर कर देना है ! तड़पने से पहले ही उसे तड़पा के छोड़ दीजिए, एहसास जरूरी है चाहे वह अपनी फील्ड का कितना भी बड़ा खिलाड़ी हो, चोट दर्द सबको देती है !

कोई आपकी बेइज्जती करे, उसे प्यार से फिर से मनाइए करीब लाइये और 100 गुना बेइज्जती करके छोड़ दीजिए.. प्रकृति बदला लेगी की नहीं इस इंतजार में छोड़ना बेईमानी है ! बदले लेने की पूरी कोशिश होनी करनी चाहिए क्योंकि ये प्रकृति का नर्सगिक न्याय है ! 

सनातन दर्शन को मानने वाले अक्सर अपने आस्तीन के दुश्मनों को पहचान कर भी कुछ खास नहीं कर पाते ! पहले अटैक करना तो दूर बेचारे बाद में भी उनका दया भाव रोक देता है ! हम पर इसी कमजोरी के बदौलत शासन-अत्याचार किया गया..  हम औरों से सर्वश्रेष्ठ इसीलिए हैं कि हमने अपने अंदर मौजूद प्रतिकार तंत्र तक को नियंत्रित कर लेते हैं.. शायद इसलिए हज़ार साल गुलामी के जघन्य इतिहास के बावजूद आज भी आस्तित्व में हैं !

लेकिन अब अगर इस देश समाज में सर्वाइव करना है तो प्रतिकार यानी रिटेलीएशन सिस्टम को हमेशा सक्रिय रखें.. अपनी कुटिल बुद्धि को एकदम स्टैंडबाय मोड पर रखना है ! देश, राज्य की खबरों से अपडेट रहें ! आसपास मौजूद फंगस की पहचान कर पनपने से पहले सेनिटाइज कर दें..

#जय_हिन्द 🇮🇳



05 September 2021

● न्यूनतम समर्थन मूल्य ●

कृषि कानूनों पर सरकार के एक के बाद एक निर्णयों से MSP और अनाज खरीद की प्रक्रिया पारदर्शी होती चली जा रही है ! 
परिस्थिति ऐसी है कि आंदोलन को न तो सरकार कुचल रही है न कुछ मान रही है ! आंदोलनकारी बिलबिला रहे है.. महापंचायत हो रही है.. दुगने MSP के लिए गले फाड़े जा रहे हैं ! चलो मान लिया MSP के दाम दुगने कर दिए गए, तो एक आम मजदूर या छोटे दुकानदार का राशन खर्च जब दुगने होंगे तो उनकी जिम्मेदारी लोगे क्या ? वो मध्यम वर्गीय परिवार आर्थिक दुष्चक्र में फंसेगा तो मदद करोगे क्या ?

तुम्हारे पास पुरखों की जमीन है, कोई किराया या बिल भरने की कोई liability नहीं, बिजली बिल या कोई टैक्स कभी देना नहीं है ! कोई लाइसेंस लेना नहीं है ! अपनी मर्जी के मालिक हो..
एक दुकानदार जो आसमान छूती किराए पर एक दुकान लेता है, वहां बिजली बिल से लेकर GST, इनकम टैक्स तक भरता है ! बैंक वाले लोन वसूलने में इनकी चमड़ी तक उधेड़ लेते है !
इस तरह से सरकार को भी हर दुकानदार के लिए मिनिमम रेट की गारंटी दी जानी चाहिए.. अगर घटिया क्वालिटी के कारण उस कीमत में कोई न खरीदे तो सरकार उसकी MSP की कीमतों पर दुकानदार का सामान खरीद ले क्योंकि वह सेवादाता है !

इस तरह से मजदूर को भी मिनिमम आमदनी देनी ही चाहिए ! उस बेचारे के पास तो न पाने के लिए कुछ है न खोने को कुछ है ! वो तो आज कमाता है तो कल का भोजन परिवार वाले को नसीब होता है !
हद्द तो यह है कि मजदूर बेचारा ढंग से एक दुपहरिया सड़क किनारे बैठ के विरोध प्रदर्शन भी नहीं कर सकता.. या तो पेट भूख उसे उठा देगी नहीं तो पुलिस की असीमित शक्तियां है ही इनके लिए इस्तेमाल करने को ! श्रमदाता की ये हकीकत है देश में की इसका एक एक तंत्र अपनी सारी खुन्नस इसी निरीह पर निकालता है..
200-300 रुपये में खेतों में काम करने वाले ये मजदूर ही इस देश के असली किसान है ! इनके पसीने से अन्न की सोंधी महक है ! इनकी आमदनी बढ़ाने को महापंचायत होता तो ये देश अंदर से भर उठता.. समूचा देश खड़ा हो उठता !!

पेट्रोल, खाद्य तेल, रसोई गैस के दाम बढ़ते जा रहे हैं.. सरकार इस मामले में बेजान सी क्यों बन जाती है ! इन बेसिक चीजों में बढ़ती महंगाई सीधे सीधे हमारी अर्थव्यवस्था की जड़ों जो निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार है को खोद देती है ! आमदनी सीमित है.. घर का खर्च ही किसी तरह चल रहा वो परिवार क्या lavish चीजें खरीदेगा ? इनकी क्रय शक्ति घटेगी तो आर्थिक तरक्की रुकेगी ही.. और मंदी आना ही है..
बैंक वाले लोन देना तो दूर निम्न वर्गीय आय वाले लोगों को अपने ही पैसे बैंक से निकालने में दुत्कार देते हैं.. 
पुरखों की संपत्ति है नहीं, बैंक लोन देते नहीं तो क्या बिजनेस करेगा बेचारा ? 

मान लिया किसी तरह दे लेकर लोन मिल गया, उसके बाद व्यापार में 20 तरह के टैक्स कंप्लायंस लाद दोगे, बिजली बिल 8 से 9 रुपये यूनिट चुसोगे.. फिर ऊपर से ऑनलाइन शॉपिंग वाले से कंपीटिशन.. तो बताइए दुकान कहाँ से चल पायेगा ??
बैंक वाले लोन की वसूली घर बेच के कर ही लेंगे ! लोन माफी का प्रावधान तो हमारे अन्नदाता के अलावा किसी के लिए नहीं है चाहे बाकी की चमड़ी छिल जाए क्या फर्क है देश को !

तो सोचिए MSP की जरूरत समाज के किस वर्ग को है ! ये कोई किसान विरोधी बात या स्टैंड नहीं है ! एकदम निष्पक्ष होकर देश को, सरकार को, समाज को और सभी को सोचना चाहिए..
जरूरतमंद कौन है ये पहचान करना देश की सरकार की जिम्मेदारी है और उसके लिए क्या नीतियां हों ये भी उसे ही तय करना है !
महापंचायत कर लेने से या साल भर सड़क घेर लेने से इस सरकार को कितना फर्क पड़ने वाला है सबको पता है !
अगर किसान की बात करनी है तो बात छोटे व्यापारियों की भी होनी चाहिए और बात मजदूरों की भी होगी ! अन्नदाता हो तो उसकी गरिमा बनाये रखो.. फोकट का किसी के पेट में अन्न नहीं चला जाता... 
#जय_हिन्द 🇮🇳