01 July 2021

● धरती के भगवान ●


आज डॉक्टर दिवस है ! कोविड महामारी से उबर रहा संसार आज समस्त डॉक्टरों को नमन कर रहा है ! 

आप इस धरती के भगवान कहे जाते हो ! मतलब इंसान को निरोग रखने की पूरी जबाबदेही सिर्फ आपके कंधों पर है !

संकटों से घिरा मानव अपने जीवन की तलाश में सिर्फ आपके ऊपर निर्भर हो जाता है !

एलोपैथ, आयुर्वेद और होमियोपैथ के सभी डॉक्टर मानव जीवन के प्रति अपनी सेवा के लिए बधाई के पात्र हैं !

हाँ, मगर एलोपैथ के विकास के ऊपर दुनिया ने सबसे अधिक पैसे खर्चे हैं इसलिए जिम्मेदारी का ज्यादा बोझ उन्हें ही उठाना है !

इस देश की सरकार अपने नागरिकों की गाढ़ी कमाई से वसूल किये गए टैक्स से आपको सरकारी अस्पतालों में बहाल करती है ! 

ताकि आप उनके नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा करें...

डॉक्टर बनकर पैसे कमाने का उद्देश्य रखने वाले लोगों को यह ध्यान रहे कि आपके अलावा भी कोई ईश्वर है ! 

पैसे कमाना हो तो 50 साधन है, मगर इतने परोपकारी क्षेत्र को यूँ बदनाम करना अन्याय है !


मरीजों के साथ बेशक मानवीय व्यवहार करें... वह बेचारा दुखी रोगी, कम पढ़ा लिखा व्यक्ति कितने आशा के साथ आपके पास आता है मगर आपकी एक बदजुबानी उन्हें अंदर तक काफी चोट पहुंचा देती है !

आप अपने पैसों के सनक और फार्मा इंडस्ट्री के दिए गए लालच पर काफी महंगी दवाएं लिख तो देते हैं मगर आपकी इन दवाओं का उस परिवार की आर्थिक स्थिति और देश की अर्थव्यवस्था पर कितना नकारात्मक प्रभाव पड़ता है शायद इसका आपको अंदाजा नहीं होगा !

वो  मरीज किसी से कर्ज लेकर या गहने रखकर आपके पास कितने आशा से आया हुआ होता है लेकिन कितनी आसानी से उसे अपनी सेटिंग वाली लैब में भेज कर कमीशन कमाने की लालसा रखते हो ! ज्यादा परसेंटेज देने वाली कंपनियों की दवा लिख तो देते हो लेकिन कभी सोचा है कि आपके इस कृत्य से कोई परिवार गरीबी के दुष्चक्र से कभी निकल ही नहीं पायेगा...


अगर किसी व्यक्ति में मानवता की सेवा करने का उद्देश्य है तभी वह डॉक्टर प्रोफेशन में आएं अन्यथा लूट खसोंट करना हो तो लुटेरे बनने में भी क्या दिक्कत है..

आपके ऊपर समाज की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है ! समाज को स्वस्थ रखने की जबाबदेही है तभी देश स्वस्थ रहेगा, हमारी अर्थव्यवस्था स्वस्थ होगी ! हमारा विकास तीव्र गति से होगा...

परंतु आपकी लालच और पैसे के अंधेपन में समाज में कितनी गहरी जड़े खुद रही है इसका कभी अंदाजा लगाना मौका मिले तो लगा लेना... 

कम से कम किसी गरीब के आंखों में चमक रही उम्मीद का ही मोल रख लेना...

इंसानियत बची होगी तो उंगलियां जेनेरिक दवाईयां ही लिखेंगी...

वरना इस जंगल में भेड़ियों की कोई कमी थोड़ी है... 

#जय_हिन्द 🇮🇳



19 June 2021

● बाढ़ और बिहार ●

नेपाल से निकलने वाली नदियां सीधी ढलान से उतरते हुए रौद्र रूप धारण कर लेती है ! फिर कोसी, गंडक, बुढ़ी गंडक और महानंदा नदियों की उत्तर बिहार में विभीषिका के बीच शुरू होती है निर्लज्जों की राजनीति ! 

ये कहानी कोई नई नहीं है, सरकार और जनता के बीच के विश्वास को हर वर्ष बाढ़ बहा ले जाती है ! बाढ़ राहत के नाम पर कुत्ते की तरह पैकेट फेंकें का चलन काफी पुराना हो चुका है, इसमें अब सरकार के प्रति तनिक संवेदना नहीं होती बल्कि गुस्सा ही आता है !

जब कोई मुख्यमंत्री 16 सालों से सत्ता पर कुंडली मारे बैठा है, अरबों अरबों रुपये बाढ़ राहत और तटबंध योजनाओं में फूंके जा चुके हैं ऐसे में सोचिए जब उस राज्य की निरीह आबादी पेड़ में मचान बनाकर बाढ़ से बचने का इंतजाम खुद करने लगे तो लोगों का भरोसा तो उठ ही जाना है... किस बात पर वे अपने संविधान, सिस्टम और सरकार पर भरोसा करें ? वो बाढ़ में कई कई दिन भूखे रह रहा, बच्चे भूखे रह रहे, उसके गाय-भैंस को चारा नहीं मिल रहा, झोपड़ी बह गई, जमा पूंजी के नाम पर हजार-दस हजार की ही अवकात है.. तो घण्टा GDP बढ़ेगा ! किस बात की इकोनॉमिक महाशक्ति की बात करते हो ? उसे पक्का मकान, चलने लायक सड़क और कमाने लायक रोजगार दोगे तभी तो वह कुछ अन्य चीजों में पैसे खर्चेगा..

जिस संविधान के बलबूते सत्ता भोग रहे क्या वो संविधान लोगों को इस बाढ़ के स्थायी समाधान देने से रोक देता है ? जब बाढ़ से उत्तर बिहार को नहीं बचा पा रहे तो हर वर्ष अरबों रुपये कहाँ खर्च रहे ? तटबंध की मरम्मत करा देने, रसोई खोल देने ये सब चीजें समाधान कम और अवैध-भ्रष्ट नेताओं-अधिकारियों की इनकम का सोर्स अधिक है ! 

उत्तर बिहार को बाढ़ से बचाने को कितने आयोग बनाये बिहार ने ? अगर बनाये भी तो उनके सुझाव पर क्या हुआ ? केंद्र और कोर्ट दोनों मूकदर्शक नहीं बन सकते.. राज्य के निकम्मेपन के जिम्मेदार दोनों बराबर माने जाएंगे ! कल्याणकारी राज्य की अवधारणा से सभी का अस्तित्व है.. जनता को तकलीफ हो रही तो समझो लोकतंत्र को तोड़ा जा रहा है ! इतने सालों तक सत्ता भोगने के बावजूद उन सभी जगहों पर जहाँ प्रतिवर्ष बाढ़ तबाही लाती है वहां कच्चे मकान या झोपड़ी में रहने वाले लोगों को प्राथमिकता देते हुए आवास क्यों मुहैया नहीं कराई ? 

आपके इंजीनियर अगर इतने highly qualified हैं कि तटबंध टूटना आम बात है तो उसके लिए अन्य वैकल्पिक इंतजाम क्या किये, कभी वर्ल्ड लेवल के विशेषज्ञ की मदद ली ? रिसर्च बिठाई.. जनता से समाधान पूछा ?अगर केंद्र मदद नहीं कर रहा तो कभी बिहार की जनता को बताया ? कभी सारे तथ्य सामने रखे कि समाधान क्या है !

साधारण सी बात की है कि गंगा की पेटी बालुओं से भरी है, नेपाल से आने वाली नदियों का प्रवाह गंगा में गिरने वक्त काफी धीमी हो चुकी होती है.. इससे उन नदियों का फैलाव उत्तर बिहार में हो जाता है और काफी क्षति होती है ! जबकि बाढ़ आने से पहले न तो सरकार कभी इसके बारे में सोचती है न कभी फरक्का बांध पर केंद्र से लड़ती है ! नेपाल की तरफ या सीमावर्ती क्षेत्रों में बाँध बनाये जाने की कोई योजना दूर दूर तक नहीं दिखती ! कोसी हर साल रास्ता बदल लेती है मगर बेतरतीब बसी आबादी को इससे बचाना है ही ! 

बिहार एक 90s से बीमारू राज्य था और अब भी है ! अलग बात है कि शराबबंदी से एकदम सतयुग का माहौल है राज्य में ! इससे इकॉनमी चरम पर है और पैसे की अधिकता के कारण सरकार अन्य एक्साइज, रजिस्ट्री जैसी टैक्सों में भारी कटौती करते रहती है ! पर्यटक की भारी भीड़ से नियंत्रण करने में सरकार के पसीने छूट रहे हैं !

गुंडे एनकाउंटर के डर से राज्य छोड़ के भाग जा रहे हैं ! 

निवेश में अव्वल है.. मल्टीनेशनल कंपनियों की लाइन लगी है ! बिहार में रोजगार की तलाश में रेल भर भर कर मजदूरों आ रहे हैं... 

कितना अच्छा लगता है न ये सब... भूल जाइए और मूल बात पर रहिये !

बाढ़ से निदान का कोई विज़न है क्या सरकार के पास की वे अगले 5 या 10 सालों में कैसे समाधान कर लेगी ? कुछ नहीं है ! बस है तो हेलीकॉप्टर, चूड़ा गुड़ और राहत के पैसे लूट ले जाने की योजना !!!

बाढ़ आये सूखा आये.. कुछ भी आ जाये पार्टी फण्ड का विकास जरूर होता रहेगा... बाढ़ की उपजाऊ मिट्टी भले जनता का पूंजी बहा ले जाती हो मगर नेताओं-अफसरों की जेब में हरियाली से जरूर भर देती है...

जाति के नाम पर वोट डालने का नतीजा कितना महंगा हो सकता है कैलकुलेट कर लेना... हमारे सीधे होने का फायदा कैसे उठाया गया है ये भी जरा अतीत में झांक लेना कि कैसे मोटरसाईकल से चारे ढोये गए थे ! 

राजनीति में माहिर कहे जाने वाला बिहार आज अपने नागरिकों के अधिकारों से समझौता कर रहा है.. न्यायपालिका को गर्मी की छुट्टियां लेनी है और केंद्र को चुनाव पर चुनाव लड़ते रहना है...

मतलब यही लोकतंत्र की मूल भावना थी न.....

#जय_हिंद 🇮🇳

09 June 2021

● अश्लील भोजपुरी ●

भाषा स्वयं ही सभ्यताओं की जननी मानी जाती है । भाषाई समृद्धि लोगों को सामाजिक तौर पर न केवल योग्य बनाते हैं बल्कि उनके पीढ़ियों में क्या संस्कार होंगे ये भी तय करते हैं ! दुनिया की सबसे मीठी बोलियों में से एक भोजपुरी को माना जाता है ! इतने कर्णप्रिय शैली और मिठास की रसधारा से ओतप्रोत यह समस्त लोकभाषाओं में श्रेष्ठ माना जाता है !खासकर बिहार की पहचान तो भोजपुरी के नाम से ही लगभग सभी बाहरी राज्यों में है ! पूर्वी UP और पश्चिमी बिहार के बेल्ट के आम बोलचाल की भाषा में भोजपुरी का 100℅ वर्चस्व है ! उधर मॉरीशस सहित अफ्रीका और कई कैरिबियाई देशों में भी भोजपुरी एक अहम भाषा के रूप में दिखता है !

मगर आज भोजपुरी भाषा के साथ हो रहे वर्ताव का दोषारोपण किसी दूसरे पर कर नहीं सकते ! इसके जिम्मेवार हम सभी हैं ! संगीत-नृत्य के नाम पर जो भोजपुरी आज हमारे सामने परोसा जा रहा है वह हमारी पसंद और हमारी इच्छाओं के अनुरूप ही है ! हम कभी भोजपुरी के संरक्षण के लिए एकजुट ही नहीं हुए ! और भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में, जहां हज़ारों बोलियां और क्षेत्रीय भाषा है,  उस जगह पर सरकार के मत्थे सारी चीजें छोड़ देना उचित नहीं है । सरकार आपकी भाषाई विविधता बचाने हर चीज में क्यों उतरेगी जब आपको कोई फर्क ही न पड़ रहा हो ! 

भाषा की बात हो तो दक्षिण भारत का हाल देखिए ! उसकी एक-एक आबादी सड़कों पर उतर जाती है अपनी पहचान बचाने को ! सरकार को उनलोगों ने मजबूर कर रखा है अपनी भाषाई पहचान देने के लिए.. और सरकार अंततः हर बात मानती है !

1952 में पूर्वी पाक पर उर्दू थोपा गया ! वहां के लोगों ने बांग्ला भाषा बचाने के लिए क्या नहीं किया ? उर्दू को लेकर बवाल पनपते पनपते भयंकर नरसंहार हुआ और अंत में वही बांग्लादेश के लिए आजादी का कारण बना ! उत्तर पूर्व भारत में ट्राईबल्स का अपने भाषा और अपनी संस्कृति से प्रेम देखिए ! किसी बाहरी को घुसने नहीं देते भाषा या संस्कृति से छेड़छाड़ करना दूर की बात है !

Up बिहार में एक खास पहचान सदियों से लौंडा नाच, विवाह गीत, रामलीला, चैता, बिरह की रही है ! क्या बेहतरीन रस हुआ करता था, मतलब एक एक शब्द जैसे तन मन को हिला डालती थी ! भोजपुरी सिनेमा का दौर शुरू हुआ तो भिखारी ठाकुर जैसे बेहतरीन कलाकारों ने भोजपुरी माटी को सुगंधित किया ! रंगमंच पर भोजपुरी का अपना जलवा था... ऊपर से महिलाओं के विवाह गीत, उसमें गाली का रस ! कितनी शानदार विविधता है इस भाषा में...

मगर आज जो भोजपुरी गानों के नाम पर लंठई देखने को मिल रही है वह हमारी ही पसंद का है ! भोजपुरी सिनेमा में नंगई हमारी बिना मर्जी के नहीं परोसा गया ! हमने उस नंगई को पसंद किया... निर्देशक उत्साहित हुए, अभिनेता और अभिनेत्रियां कपड़े खोलने पर उतारू हुए और पैसे बटोरे क्योंकि हमने उन पर पैसे खर्चे ! 

फिर उसी बिहार में स्टेज शो और आर्केस्ट्रा का दौर शुरू हुआ.. लोग खुलेआम बार बालाओं के नाच को अपनी संस्कृति का हिस्सा मानने लगे !  अश्लील शब्दों से लैस गाने शादी-पार्टियों की शान होने लगी, बारातियों में एक ही धुन वाले मगर अलग अलग गलीच-गन्दे लिरिक्स के गानों पर हम थिरकने लगे... एक से बढ़कर एक अश्लील गाने निकले मतलब शरीर के हर एक निजी अंगों को सरेआम बीच बाजार में उसे शब्दों में पिरो कर हमें परोसा गया... और हम मजे के नाम पर स्टेज के नीचे शराब पीकर झूमते और पैसे लुटाते भोजपुरी भाषा को कितना गर्वित कर रहे थे !!!

भोजपुरी की अश्लीलता का कारण मुख्य रूप से भोजपुरी समाज जो पूर्वी UP और बिहार के भोजपुर, छपरा, सिवान आदि जिलों के लोगों की मौन स्वीकारिता है ! जब उनकी भाषाई पहचान में जहर घोला जा रहा था तो चुप क्यों थे ? ऐसे गानों, ऐसे फिल्मों का चलन हुआ ही क्यों ? अपनी मिट रही पहचान को बचाने या उसका विरोध करने समाज का बड़ा वर्ग कभी सामने नहीं आया... 

अपनी लोकसंस्कृति के प्रति इतनी संवेदनहीन हो आप तो भोजपुरी को मिटाने वाले दूसरा कोई नहीं हो सकता ! की आपकी लोकभाषा को  गाली-गलौच की भाषा बनाकर रख दिया गया है.. अब कितना अच्छा लगता होगा कि बाहर जाकर अपनी भोजपुरी एक्सेंट को छुपाना पड़ता है.. इज्जत खराब लगने लगती होगी ! हरियाणवी और पंजाबी गाने इतने आगे निकल गए और लोकप्रिय इसलिए हुए की तेरे तरह वे लोग संवेदनहीन नहीं थे !

पीछे के दो दशक की बात तो छोड़ ही दीजिए आज के इंस्टाग्राम या फेसबुक जैसे विभिन्न वीडियो प्लेटफार्म को एक नजर देखिए ! अच्छी पढ़ी-लिखी और आधुनिक लड़कियां इन्हीं गंदे भोजपुरी गानों पर अपनी कमर मटकाती मिल जाएगी ! कोई टोक दिया तो फटाफट नारीवादी बनने को उतारू हो जाएगी ! 

कौन दोषी है इसका ? क्यों विरोध नहीं करते कभी ? क्यों डिमांड है खेसारी, पवन सिंह, अक्षरा या मोटी थुलथुल पेट दिखाती हेरोइनों की ? 

सीधी बात है इसमें से कोई दोषी नहीं है ! वे सक्सेस पर है तो हम ही के बदौलत है ! हम ही ने उन्हें बढ़ाया है, हमें ही ने उन्हें प्रोत्साहित किया है ऐसे ऐसे गीत लिखने को ! उनकी दुकानदारी है और किसी व्यापारी की दुकान तभी मुनाफे में चलती है जब उसमें बिक रहे प्रोडक्ट की मांग ज्यादा हो ! अब उसमें चरस बिक रहा या गांजा ये खरीदने वाले समझें...

संगीत तो शारदा सिन्हा, मालिनी अवस्थी, भरत शर्मा का भी है ! इनलोगों के गीत या उनके शब्दों के बोल तक रोम रोम में लोकसंगीत का एहसास करा देते हैं ! 

भोजपुरी की पहचान बचानी है तो पूर्ण बहिष्कार करो इनका ! हर चीज सरकार पर डाल देना या सेंसरशिप की मांग करना बेहूदगी है ! पहले खुद सुधरो.. 

शुरुआत तो भोजपुरी भाषी लोगों को ही करनी होगी ! हर एक जगह कील ठोक दो.. यूट्यूब, फेसबुक जहाँ पकड़ा जाए उसी अंदाज में रगड़ डालो ! जैसे तो तैसा.. फिर सरकार से कोई डिमांड करना तब अच्छा लगेगा !

सब कुछ बर्दाश्त कर लो मगर भाषा से छेड़छाड़ कभी नहीं ! क्योंकि भाषा आपकी बुद्धि की माँ है... इसी के बदौलत तेरी शिक्षा, समझ और तेरा अस्तित्व है...

#जय_हिन्द 🇮🇳

28 May 2021

● विदेशी सोशल मीडिया ●

फेसबुक, व्हाट्सएप्प और ट्विटर ने भारत सरकार द्वारा बनाये गए आईटी नियमों के मामले में जिस तरह नेतागिरी करने का प्रयास किया है वह सीधे हमारी संप्रभुता पर हमला है । इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बादशाहत के नशे में ये इतने चूर हो चुके हैं कि 130 करोड़ आबादी वाले देश और बाजार की संप्रभुता पर सीधी उंगली उठाने की कोशिश की गई है । भारत की सामरिक सीमा में घुस कर ग्लोबलाइजेशन के दौर में व्यापार / मनोरंजन के नाम पर इनके कारनामे ईस्ट इंडिया कंपनी की याद दिला रही है । 

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, संप्रभु राष्ट्र है । यहां का संविधान अपने नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी देता है, ऐसी आजादी दुनिया के किसी देश में नहीं, जहां राष्ट्राध्यक्ष तक को खुलेआम चोर डाकू तक कह देते की स्वतंत्रता है । 

ट्विटर देश में पनप रहे राष्ट्रद्रोह का अड्डा बन चुका है । CAA कानून, दिल्ली दंगों, किसान आंदोलन की आड़ में इस ट्विटर ने सोशल प्लेटफार्म के नाम पर भारत की राष्ट्रीय एकता को खंडित करने की कोशिश की है । अभिव्यक्ति के नाम पर देश विरोधी गतिविधियों को सिर्फ पनपाया है । ये चुनचुन कर वैसी ताकतों की पोस्ट रिच बढ़ाती है जो बस देश या सरकार का विरोध करे ! देश के हित में बोलने वाले लोगों की ये अपनी पॉलिसी के नाम पर अभिव्यक्ति का गला घोंटता है, उसे प्रतिबंधित कर देता है !इसका काम निष्पक्ष होना चाहिए था, किसी देश की आंतरिक राजनीति में घुसकर उसे नियंत्रित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी । क्यों NIA के बहुत से जांचों में इसी ट्विटर की भूमिका संदिग्ध रही है ? क्यों इसके कारनामों से आतंकवादी संगठनों को बढ़ावा मिल रहा है ?

भारत में संसद सर्वोपरि है, उनके बनाये कानून से हमारा देश चलता है । नागरिकों की सुरक्षा और आजीविका की चिंता के लिए हमारे नीति निर्माता हैं जिन्हें हम चुनकर भेजते हैं अपना प्रतिनिधित्व करने को ! मगर तुमने किस हैसियत से अपने पॉलिसी को भारत के ऊपर थोपने का प्रयास किया ? 130 करोड़ आबादी द्वारा चुनी गई लोकतांत्रिक सरकार से टकराव करने की गुरुर कहाँ से आया ? IT रूल्स के प्रावधानों पर उंगली उठाने की तेरी हैसियत कैसे हुई ? तुम हो कौन इन नीतियों पर आवाज उठाने वाले ? क्या तुम इस देश के नागरिक हो ? क्या भारत का संविधान तुन्हें अभिव्यक्ति की आजादी का मूल अधिकार देता है ? 

तुम कौन सी ताकत हो जो सरकार से उसके अपने नागरिकों के मूल अधिकार की चर्चा करोगे ? 

अगर इस देश का हर नागरिक कहने लगे कि हम सरकार का कोई कानून नहीं मानेंगे, क्योंकि हमें तो आजादी है तो क्या होगा ! सिस्टम का मतलब क्या रह जायेगा... 

क्या दिक्कत है अगर तुम अपनी तरफ से 3 प्रतिनिधि रख लोगे ?जो किसी भी देशद्रोही एजेंडे के बढ़ावे के लिए सरकार के प्रति जवाबदेह होंगे ! तुम्हें भारत के नागरिकों की अभिव्यक्ति की चिंता क्यों है ? उसके लिए सरकार है, सुप्रीम कोर्ट है और जनता भी है जो हर 5 सालों में सरकार की अवकात भी ठिकाने लगा देती है ।

व्हाट्सएप्प का इन नीतियों को न मानने के लिए सीधे कोर्ट चले जाना मामूली बात नहीं है । ये सीधी सीधी भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी कंपनियों का हस्तक्षेप है , मतलब देश में आजादी जैसी परिभाषाएं ये तय करेंगे ! तुम भारत सरकार के नीतियों के अनुसार क्यों नहीं चलना चाहते ! जिस निजता का हवाला देकर भारतीय व्यवस्था को चुनौती दे रहे, तेरी असलियत यह है कि भारत के नागरिकों का सारा डेटाबेस चोरी कर रहे, उसका डेटा बेच कर अरबों डॉलर कमा रहे हो । किसको क्या पसन्द है नापसन्द है हर एक निजी जानकारी का व्यापार कर रहे हो मगर सरकार को कितना टैक्स देते हो ?

सरकार का प्राथमिक काम इस देश के नागरिकों को सुरक्षित रखने का है, सुरक्षा और कानून व्यवस्था सही रहेगी तो तेरे जैसे हजारों व्यापारी भारत की 130 करोड़ आबादी का बाजार हासिल करने को कुत्ते की तरह ललचाये मिलेंगे...

क्या दिक्कत है अगर तुम 3 अधिकारियों को IT रूल्स के प्रति जवाबदेह बना दोगे ? क्या दिक्कत है अगर तुम किसी गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त व्यक्ति की पहचान बताओगे, सरकारी जांच एजेंसी का सहयोग करोगे ? क्या एक देश की संप्रभु सरकार की जिम्मेदारी नहीं ये पता करना कि आतंकवाद और देशद्रोह में संलिप्त ताकतें कौन है ? ऐसा नहीं करना चाहते तो साफ है कि इन गतिविधियों में इनकी संलिप्तता रहती है ।

चाइनीज वायरस को इंडियन वैरिएंट नाम देना, कोरोना दूसरी लहर में टूलकिट जैसा मसला जिससे राष्ट्र की छवि तेरी वजह से खराब हुई । किसान आंदोलन मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तूने पॉलिटिक्स किया, टूलकिट को बढ़ावा दिया । फिर भी तुम उस चीन की वकालत करते दिखते जहाँ तेरी एंट्री भी नहीं है । 

सामान्यतः एक छोटा व्यापारी जिस भी मार्किट में दुकान खोलता उसे भी उस क्षेत्र का नियम मानना पड़ता । अगर दादागिरी करे और कहे कि न हम तो भाई अमेरिका वाले नियमों से चलेंगे तो क्या ? लतिया दिए जाओगे फौरन !!! 

हमें एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते धीरे धीरे स्वदेशी सोशल मीडिया की तरफ शिफ्ट होना चाहिए.. Koo एक बढ़िया ऑप्शन बनकर उभर रहा है ! सरकार उन्हें प्रोत्साहन दे, लोग समर्थन करें... 

अब सरकार इस मामले में सख्त हो जाये । बेहद निर्ममता से इन तीनों प्लेटफार्म पर अपने कानून लागू कराए । केवल IT रूल्स में ये इतने उछल रहे तो अब IT act में भी तत्काल संशोधन हो और बेहद कड़े प्रावधान बनाये जाएं ! बाकायदा SOP बने सोशल मीडिया के लिए ! इन्हें टैक्सेशन के दायरे में लाया जाए.. जबरन टैक्स वसुलो ! जब हमलोग एक रुपये के चॉकलेट पर 30 पैसा टैक्स देते तो ये कैसे बिना टैक्स दिए अरबों डॉलर कमाकर अपने देश भेज रहे ! सरकार की नाकामी है कि ये कंपनियां अब तक नियमों को ठेंगे दिखा रही है, ऐसे बनोगे महाशक्ति ???

ये तीनों विदेशी कंपनियां देश में व्यापार करने आएं हैं न कि यहां की कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने और न ही मूल अधिकार/स्वतंत्रता की व्याख्या करने ! जरूरत है इनकी अवकात ठिकाने लगाने की... 

#जय_हिन्द 🇮🇳

23 May 2021

● IAS का घमंड ●

आईएएस बन जाना पॉवर का चरस पी जाने के समान है... अभी सोशल मीडिया में छत्तीसगढ़ के डीएम द्वारा एक युवक को बिना कुछ सुने पीटने और उसका मोबाइल तोड़ देने का वीडियो वायरल हो रहा है ! पिछले दिनों त्रिपुरा में डीएम ने शादी समारोह में घुसकर भद्दी भद्दी गालियां दी, दूल्हे को धकेला और पुजारी को थप्पड़ मारा ! SP विसर्जन में गोलियां चला देती है !

मेरा एक्सपेरिएंस कहता है कि एक आईएएस बन जाने के बाद मौज से नौकरी करने के लिए उस व्यक्ति के अंदर दो तरह का फेस होना जरूरी है ! एक फेस वो जब आप मंत्रियों के चप्पल उठाकर पीछे दौड़ने का माद्दा रखते हैं और दूसरा की जब चाहे किसी आम आदमी की मर्यादा-प्रतिष्ठा को सरेआम कुचल दें... बीच सड़क उन्हें गालियां दे.. उन्हें थप्पड़ लगा दें, इतने से भी मन न भरे तो जेल भेज देने का आदेश सुना दें !

पिछले 4-5 वर्षों में खासकर जब से सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ा है तब से IAS और IPS का आचरण, उनकी सड़क छाप गुंडों जैसी भाषा लोगों को देखने को मिल रही है ! DM और SP जिलों में अपने को किसी तानाशाह से कम नहीं मानते !

असीमित कानूनी शक्तियों से लैस ये अधिकारी इतने शक्तिशाली हो जाते हैं कि इनके कुत्ते तक को घुमाने के लिए 10 कर्मचारियों हर वक्त जीभ निकाले बैठे रहते हैं । कानून व्यवस्था सम्भालने के नाम पर इनकी हेकड़ी सड़कों पर दिखाई देती है.. हूटर बजते गाड़ी में सुरक्षाकर्मी खिड़की से डंडा निकाले राहगीर, टेम्पो वाले को सटासट मारते हुए कहीं भी दिख जाते हैं ! इनके तानाशाही रवैये और एक लोक सेवकों होने के बावजूद गुंडे जैसी आचरण का सोर्स कहां है ये पता नहीं चल पा रहा है ? नेताओं के आचरण में अब इतनी शिष्टा आ गई है कि बेचारे मुंह पर गाली सुनकर मुस्कुराते रहते..

सवाल अगर आईएएस, आईपीएस के ऊपर उठेगा, उनके आचरण पर उठेगा तो सवाल के घेरे में यूपीएससी भी आएगी और लाल बहादुर शास्त्री ट्रेंनिंग अकैडमी मसूरी को भी इसका जिम्मेदार माना जाना चाहिए ! क्या आपकी परख इतनी निम्न स्तर की है ? ऐसे असंवेदनशील व्यक्तियों का चयन इन महत्वपूर्ण पदों पर कैसे हो जा रहा है ? UPSC अगर प्रतिभा को पैमाना बनाती है तो कम से कम ऐसे व्यक्तियों को तो न ले जिसमें इंसान होने की भी काबिलियत नहीं है !

खासकर, ध्यान देना होगा कि ये उद्दण्डता उन लोकसेवकों में अधिक देखी जा रही है जो 2010 के बाद UPSC के पैटर्न में CSAT लाये जाने के बाद चयनित हुए हैं ! अंग्रेजी को महत्व बढ़ा, कॉन्वेंट वाले अमीर बच्चे सिस्टम के शीर्ष पर बैठने लगे.. तो चलने लगी विसर्जन में गोली ! चलने लगे शादियों में थप्पड़ और तोड़े जाने लगे लोगों के पिछवाड़े, पटके जाने लगे मोबाइल.. 

जमीनी बच्चे जब इन पदों तक पहुंचते हैं तो उनमें समाज के प्रति बहुत गहरी संवेदना होती है ! सिस्टम को फील कर पाने की क्षमता होती है !कुछ लोकसेवक तो इतने अच्छे होते हैं कि पब्लिक उनका तबादला रोकने के लिए धरने पर बैठ जाती है ! ऐसे अधिकारी महत्वपूर्ण पदों पर काम ही नहीं कर पाते, ऐसे अफसरों को पशुपालन, मछली पालन जैसे विभागों में काम करना पड़ता है क्योंकि मंत्रियों से इनकी कभी बन ही नहीं सकती !

केंद्र सरकार को तत्काल आयोग का गठन करके तथा प्रशासनिक सुधार आयोग के रिकमेन्डेशन के आधार पर UPSC के अंदर व्यापक सुधार करने होंगे ! ऐसे अफसरों का सिस्टम में घुस जाना वायरल इंफेक्शन ही है जिससे लोकतंत्र पर संकट उत्पन्न हो सकती है । इनकी लॉबी तोड़ने का एकमात्र उपाय है कि लेटरल एंट्री (निजी क्षेत्रों से सीधी भर्ती) की व्यवस्था का जिले स्तर पर प्रयोग शुरू हो ! UPSC में नीति आयोग की तरह परिवर्तन की जाए !

ट्रेनिंग की प्रक्रिया में इनके अंदर पॉवर होने का जो नशा दिया जाता है वो बंद हो, अच्छे अच्छे ईमानदार ऑफिसर ट्रेनिंग की व्यवस्था हो !और इनके पॉवर का चरस ही जड़ से उखाड़ दिया जाए... सिस्टम विकेंद्रीत कर दिया जाए.. DM बस मॉनिटरिंग करें ! IPC-CrPC को जबतक सिस्टम पर लादे रखोगे, जनता को अंग्रेजों के होने की आहट तो रहती रहेगी.. 

#जय_हिंद 🇮🇳

20 May 2021

● NCERT में सुधार ●

एनसीईआरटी सरकारी तंत्र के निकम्मेपन अच्छा उदाहरण है ! कहने को केंद्र के अधीन संचालित संगठन है मगर इसके नियम कानून दादागिरी से कम नहीं है । बाजार में भले पाइरेटेड copies धड़ल्ले से बिकती हो लेकिन किसी को ये छापने की अनुमति नहीं देंगे । छापेंगे यही और बेचेंगे यही... कोई दूसरा छाप दे तो अपराध की श्रेणी है । उसके संस्थान में छापा मार देंगे । इतनी दादागिरी !
इनकी किताब का वैल्यू इतना है कि कोई निजी स्कूल शायद ही इससे पढ़ाता हो ! वो अपनी मर्जी से किताब छापता है और 10- 10 हजार तक कि किताबें 2 फुट के कद्दू जैसे लौंडों के लिए जबरन पेरेंट्स को खरीदना होता है ! 
अब फोकट के सरकारी किताब से पढ़ने वाले हम लौंडे क्या जानें इतनी नबाबी ! इतने पैसे में तो पूरा कॉलेज तक निकाल दिया हमलोगों ने...

जब सरकार का काम व्यापार नहीं है तो निजीकरण की जरूरत इस क्षेत्र में बहुत जरूरी है । निजी पब्लिकेशन को लाइसेंस बांटों और टैक्स वसुलो ! सब बाजार के हवाले हो रहा तो इसे अपने सिर क्यों लादना है, क्या स्वार्थ है ?
पता नहीं शिक्षा मंत्रालय की मानसिकता आखिर है क्या ? सरकार के 7 साल होने को है, यही लोग हैं जो कांग्रेस के जमाने में सिलेबस में बदलाव के लिए उछल उछल के मांग करते थे.. 
हम भी सोचते थे चलो साला कोई तो इस मैटर का सोच रहा !

सिलेबस में इतनी घटिया मानसिकता पिरोयी गयी है कि आपने वाली पीढ़ियों में राष्ट्रवाद और देशप्रेम के लिए तरस जाओगे । विशुद्ध रीढ़विहीन केचुए समाज को मिलेंगे ।
बाबर अकबर की महानता पढ़ने वालों से क्या उम्मीद.. तर्क वितर्क की क्षमता ही विकसित न होगी !
एक तो NCERT की मनमानी, फिर ऊपर से कॉन्वेंट स्कूलों का सिलेबस.. कंटेंट देख के भेजा गर्म हो जाता !
ऐसे शिक्षित करोगे अपनी पीढ़ियों को ?
क्यों खुली छूट है निजी स्कूलों को अपने किताब छापने को ?
वे मध्यमवर्गीय परिवारों से किस प्रकार बुक्स के नाम पर पैसों का डकैती करते हैं, इसका तनिक भी अंदाजा है क्या ?

नेताओं के दबाव में निजी स्कूल पर रोक नहीं लगा पाते ! NCERT विभाग का रेनोवेशन नहीं कर रहे ! 
अगर एक टाइप की किताबें अलग अलग भाषाओं में पूरे देश में चलेगी तो क्या हर्ज है भाई ? 
निकम्मा नाकारा क्यों बना रखा है ncert को ! 
जैसे हम राष्ट्रवादी समर्थन करते हैं वैसे ही हक से सवाल भी पूछेंगे ! 
बदलाव जरूरी है और सरकार को करना पड़ेगा...
ये बच्चों के मूलभूत अधिकारों का प्रश्न है ! गरीब या मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे बच्चे इन कॉन्वेंट वालों से क्या टक्कर ले पाएंगे यार !
मेरिट चाहिए तो पहले एक देश-एक पुस्तक-एक सिलेबस का कॉन्सेप्ट लाएं.. अगर नहीं तो आपकी नई शिक्षा नीति से घण्टा न फर्क पड़ने वाला है लिख लो... 
#जय_हिन्द 🇮🇳


11 May 2021

● इजराइल का खौफ ●

समूची दुनिया कोरोना से जूझ रही है उधर इजरायल दीवाली मना रहा है.. आप कभी विश्व मानचित्र को देखोगे तो इजराइल की सीमा मक्खी जितनी आकार से भी कम दिखेगी ! मगर विश्व राजनीति के पटल पर अपनी सैन्य, टेक्नोलॉजी और खुफिया क्षमता के दम पर महाशक्ति की हैसियत रखता है !

एक ऐसा देश जिसे यहूदियों के लिए बसाया गया, वहां तमाम अत्याचार सहकर खुद की आबादी को इतना सक्षम कर लेना कि बात बात पर मिसाइल चल जाये, ये होता है इजरायल हो जाना !

भारत का एकमात्र भरोसेमंद, संकटमोचक मित्र राष्ट्र तो इजरायल ही है ! हमें भूलना नहीं चाहिये कि परमाणु परीक्षण के वक्त भी इसने समूची दुनिया से अलग भारत का साथ दिया और सामने से सीना ठोककर भारत की हर नीति का समर्थन किया है इस इजराइल ने ! 

इजरायल-फिलिस्तीन के विवाद का इतिहास काफी पुराना है ! दुनिया की कोई शक्ति इजरायल के मामले में सामान्यतः न तो ज्ञान बिखरती है न ही किसी संयुक्त राष्ट्र को कोई प्रतिबंध लगाने की कुव्वत है ! प्रतिबंध लगा भी तो इसे घण्टा रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता है ! इजराइल की कृषि, व्यापार, तकनीक एवं प्रतिरक्षा तंत्र बेहद उन्नत किस्म की है ! यहूदी अपनी बुद्धिमता के लिए जाने जाते हैं.. आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिक यहूदियों ने दुनिया को दिया है !

भारत के अंदर भी आजकल बहुत सारे ज्ञानचंद देखे जा रहे हैं और कुछ नए नए उपज रहे हैं जो जबरदस्ती धर्म को राजनीति से अलग करके देखने की बीमारी को अपना रहे हैं ! अगर कोई ऐसा कहता है तो समझ लें कि उसे वैश्विक राजनीति की, युद्ध आधारित इकॉनमी और ईसाई वर्सेस इस्लाम का इतिहास-वर्तमान की कोई जानकारी या समझ नहीं है !

उसे समझना होगा कि धर्म से ही राजनीति है ! दुनिया में जितने भी फसाद हो रहे हैं वो धार्मिक श्रेष्ठता की जंग ही लड़ रहे है ! 

नहीं तो -

अमेरिका ने ईराक और सीरिया को क्यों बर्बाद किया ? 

ईरान पर उसके प्रतिबंध के पीछे सऊदी की कौन सी लॉबी काम कर रही है ? यूरोपीय देशों में बढ़ती कट्टरता की वजह क्या है और क्यों इतने सम्पन्न देश मानवता के आधार पर भी शरणार्थियों को शरण देने से इनकार कर रहे हैं ? इजरायल और फिलिस्तीन की लड़ाई सीमा विवाद कम और धार्मिक ज्यादा है !

आप भारत की राजनीति को देखकर सोचते होंगे कि यहां के राजनेता इतने गलीच हैं, धर्म की राजनीति करते हैं ये है वो है ! मगर इससे भी गलीच स्थिति इस वक्त विश्व राजनीति की है अगर अर्थव्यवस्था के अलावे सोचा जाए तो ! फिलिस्तीन पर इजरायल के हमला नया नहीं है ! इजराइल भारत जैसा सहिष्णु नहीं है.. उसने खुद को चारों तरफ से इस्लामिक राष्ट्र से घिरे होने के बावजूद आक्रामकता के बल पर अलग लेवल का खौफ पैदा किया है ! तलवार के बल पर शासन का दम्भ इजरायल के सामने हवा हो जाती !

सोचिए जिस सीरिया को लेकर अमेरिका-रूस बेदम हो गए वहां सीरिया की सीमा जो इजरायल से लगी है वहां के विद्रोहीयों का एक भी बम इजरायल में कभी नहीं फूटा !

इजराइल ने न केवल बार बार परेशान करने वाले फिलिस्तीन के बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया बल्कि 1948 के दौर में फिलिस्तीन की मदद करने पर सऊदी अरब से युद्ध कर धूल चटा दी ! आज वो आंख दिखाने वालों की आंखें निकाल लेता है ! 54 इस्लामिक राष्ट्र होने के नाते कोई देश क्यों नहीं फिलिस्तीन की मदद करता ? 

आज के इस दौर में कहीं एक मिसाइल गलती से छूट जाए तो दुनिया भर में बैठकें चलने लगती मगर यहां इजराइल खुलेआम हमास और फिलिस्तीन पर हवाई हमलों की बौछार कर रहा और दुनिया को रत्ती भर फर्क नहीं है ! 

क्योंकि इजरायल ने खुद को अपने बदौलत स्थापित किया है ! वो अमेरिका तक को महत्व नहीं देता.. उसके लिए मिसाईल दागना, हवाई हमले, या मोसाद के लिए शत्रुओं को कहीं भी चुन चुन कर मार डालना बेहद आसान बात है !

श्रेष्ठता काबिलियत से आती है.. डर डरकर जीने से नहीं ! इजरायल की जगह दूसरा देश होता या इसी का नेतृत्व जरा भी कमजोर होता तो अगल बगल वाले गिद्ध देश इसे नोच डालते ! 

मगर इजरायल तो बाज है... 12000 फिट की ऊंचाई पर उड़ान भरने वाला वो पक्षी है जो चंद मिनट में पानी के अंदर तैर रही मछली का शिकार कर उड़ जाता है..

इजरायल का खौफ अच्छा लगता है.. सुकून देता है.. 

इजरायल को हमेशा भारत का समर्थन...

#जय_हिन्द 🇮🇳



08 May 2021

● बिहार में विपक्ष ●

बिहार की स्थिति को जनता के बीच लाने का जो बीड़ा पप्पू यादव ने उठाया इससे वो बेशक एक कल्याणकारी नेता नज़र आ रहें हैं !

यह काम बिहार में विपक्ष के नाते तेजस्वी एंड लालू गैंग को करना था, जनता को हो रही असुविधा-अव्यवस्था को सामने लाना था । इससे न केवल सरकार नैतिक तौर पर घुटनों के बल आ जाती बल्कि वो व्यवस्था बनाने के लिए कई गुना अधिक प्रयास करती दिख रही होती.. 

मगर वो दिल्ली के आलीशान बंगले में आराम से सेफ्टी फील कर रहे और ट्विटर से अपनी भूमिका निभा रहे हैं ! फिर चुनाव हार जाने पर EVM हैक हो गया कि नौटंकी करेंगे !

लोकतांत्रिक सिस्टम ट्विटर से नहीं चलता । विपक्ष को सरकार से जबर्दस्ती काम करवाना पड़ता है ! बिहार में जमीनी नेता अब हैं ही कहाँ ? पक्ष से लेकर विपक्ष तक या तो आरामफरामोश हैं या नेताओं के असक्षम वारिस हैं... एक सांसद तो सांसद निधि की एम्बुलेंस को छुपा कर ढके हुए थे.. जब सत्ताधारी सांसद की यह मनोदशा है तो सोचिए कि अफसरशाही कितनी ऐंठ में काम करती होगी ?

पप्पू यादव की विचारधारा अलग है कंफ्यूज टाइप की पार्टी है... मगर उसने जो हिम्मत दिखाई है वो बड़े बड़े माई का लाल नही कर सकता इस समय ! सत्ता से सीधा टकराव कर रहा.. लोकतांत्रिक हैसियत के बलबूते वो सत्ताधारियों पर चढ़ बैठा है और दिखा रहा बिहार को की देख विपक्ष की आवाज, उसका एक्सपोज़र क्या होता !!

सिस्टम बदहाल क्यों हैं ? बिहार में 20 वर्ष तक शासन करने बाद भी ऐसी स्थिति रहेगी तो सवाल पूछे जाएंगे ही ! चलिए मान लेते हैं कि अच्छा हेल्थ सिस्टम तो देश के विकसित राज्यों का भी नहीं है मगर यहां तो निम्न स्तर का भी सिस्टम नहीं दिखता ! जमीनी हकीकत है कि बिहार के अस्पतालों में ऐसे ऐसे नर्सों की भरमार है जिन्हें सुई तक देने नहीं आता ! डिग्री खरीदी हुई है उनकी ! 75 से 80 हज़ार की सैलरी इन्हें किस मेरिट पर दी जाती ! चयन प्रक्रिया का स्तर क्या है ये किसी से पूछे जाने की जरूरत नहीं ! ऊपर से नीचे तक सब मैनेज है...

ऐसे में बिना efficient स्टाफ के आप नागरिकों को क्वालिटी सर्विस देने को सोच भी नहीं सकते ! अधिकारियों को किसी प्रकार की प्रॉपर ट्रेनिंग की कोई व्यवस्था भी नहीं है.. कहीं भी ड्यूटी लगा देने से उनमें नियंत्रण क्षमता विकसित नहीं हो जाएगी, वो बस ड्यूटी बजायेंगे...

ऐसे में विपक्ष का पूरा हक है कि वो सरकार के सभी लूपहोल पर जबरदस्त अटैक करे.. पप्पू यादव उसी भूमिका में दिख रहे.. एक अकेला राजनीतिक आदमी राज्य में घूम घूम कर अव्यवस्था को सामने ला रहा ! वो डर नहीं रहा बल्कि खुलेआम सिस्टम से भिड़ रहा है.. जिगर चाहिए इसके लिए !! इन्होंने पटना बाढ़ के दौरान भी सिस्टम को मुंह चिढ़ाते सब पर भारी पड़े थे...

जनता चुपचाप सब सह रही और देख भी रही ! पप्पू यादव कल को बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन सेट कर ले तो कोई आश्चर्य नहीं होगा ! वो अपने मेहनत और लगन के दम पर धीरे धीरे इसकी तरफ बढ़ते भी दिख रहे हैं ! सरकार और विपक्ष दोनों को इस व्यक्ति ने असक्षम साबित करके रख दिया है... लोकतंत्र ऐसे ही विपक्ष की मांग करती है !!! निःसंदेह बहुत बढ़िया प्रदर्शन... तालियाँ 👏👏👏

#जय_हिन्द 🇮🇳



02 May 2021

● बंगाल चुनाव ●

बीजेपी का बंगाल विजय का सपना भले अधूरा रह गया लेकिन उनके कार्यकर्ता बेहद निडरता लड़ें हैं और उन्होंने नैतिक जीत भी हासिल की है !

अगर आप जमीनी समझ रखते हैं तो आपको यह पता होना चाहिए क्षेत्रीय चुनावों के समय लोकल गुंडों से लड़ना आसान बात नहीं होती ! मगर फिर भी बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने उन्हें चुनौती दी और टीएमसी ममता बनर्जी को झुकाया, उन्हें खूब सारी नौटंकी करने पर मजबूर किया !

किस हिसाब से देश का अयोग्य विपक्ष जश्न मना रहा ? कोई 3 सीट वाली पार्टी, सत्ताधारी सीएम समेत समूचे विपक्ष को नाक रगड़ने पर मजबूर कर दिया वहां कौन सा जीत मायने रखती है अब ? बंगाल में घुसपैठियों का ऐशगाह बनाने के लिए इतनी बेचैनी किस बात की ? विपक्ष कौन है आज देश में क्या किसी को पता भी है क्या? 

इतनी बड़ी महामारी और अव्यवस्था के बीच अगर विपक्ष में कोई नेता होता या अगर बीजेपी ही विपक्ष में रहती तो सरकार को घुटने पर ला देती ! मगर आज सारा विपक्ष जनता के बीच से गायब है..

इन्हें तो विपक्ष माना जाना भी सही नही हैं !!

बीजेपी हर चुनाव को अभियान की तरह ले रही ! हर एक राज्य में जहां उसका कभी नामोनिशान नहीं था वहां वो फतह कर रही..

लगभग सभी हिंदीभाषी राज्यों में इसकी सरकार चल रही..

लगातार दो लोकसभा चुनाव भारी बहुमत से फतेह किया तब भी विपक्ष को अकल नहीं आ रही.. विपक्ष के नाम पर ऐसा जनादेश पा रही कि कोरम तक पूरा न हो पाता, जबरदस्ती घसीट के विपक्ष का खिताब पाया है..

फिर भी उनके पॉलिटिक्स करने का तरीका वही है जो 2004 में था, जो 2009 में था और जो 2014 में था.. बिल्कुल एक ढर्रा !

बीजेपी के लिए बंगाल जैसा बंजर राज्य जहां बमुश्किल 2016 में 3 सीट मिली थी वहां इस बार उसका वोट परसेंटेज देखिए सीटों की संख्या देखिए ! किस रफ्तार से वो सत्ता की तरफ बढ़ रही.. हिंदी बेल्ट की पार्टी का ग़ैरहिन्दी क्षेत्र में इस तरह बढ़ना समूचे विपक्ष के लिए खतरा ही है !

असम में एनआरसी विरोध के बावजूद भी सत्ता बचाने में बीजेपी कामयाब रही है ! ये भी कोई मामूली बात नहीं मानी जानी चाहिए..

टीएमसी, आरजेडी, सपा या बसपा जैसी क्षेत्रीय पार्टियों की अगर राजनीति में स्वीकारता बढ़ती है तो इसे देश की राष्ट्रीय राजनीति के लिए सही नहीं माना जा सकता ! 

सरकार के सामने तगड़ा विपक्ष और हाजिर जवाब जुझारू नेता हो तभी लोकतंत्र से सशक्त होगा !

ऐसे लुंज पुंज विपक्ष और क्षेत्रीय पार्टियों के बदौलत बस चीख चिल्ला ही सकते और सड़कों पर बैठ प्रदर्शन करवा सकते !

बंगाल में बेशक हिंदू गोलबंद हुए हैं ! यह गोलबंदी विपक्ष के तुष्टीकरण के खिलाफ ही है ! उनके राजनीति करने के तरीके, बहुसंख्यकों का विरोध करने की लत और कम्युनल फेवरीजम के खिलाफ यह जनादेश माना जाएगा ! 

बीजेपी ने एक बंजर भूमि पर हरियाली लाई है !

ऐसा जनादेश उनके नेताओं को और मेहनत करने पर मजबूर करेगा उनके कार्यकर्ताओं का मनोबल निश्चित ही बढ़ाएगा..

BJP अहंकार से बचे, जनता का सम्मान करें और राजनीतिक मोहरा बने प्रदर्शनकारी लंठों को अच्छे से निपटाना सीखे तब ही जनता में विश्वास बना रहेगा..

कोरोना पर कुप्रबंधन से जनाधार घटा है, इससे उबरने के लिए बेहतरीन शासन प्रणाली दिखनी चाहिए ! सत्ता का ज्यादा नशा भी ठीक नहीं इसलिए होश ठिकाने रखना होगा... 

जनता की डिमांड पूरी करनी पर ध्यान दें, उनका इनाम EVM से निकलेगा... 

#जय_हिंद 🇮🇳



27 April 2021

● सिस्टम कैसे सुधरे ●

 

देश महामारी की गंभीर संकटों के दौर से गुजर रहा है !

ऐसे में इस महामारी के दौरान जिस कारण भी अफरातफरी की स्थिति बनी उस समस्या को अब जड़ से हटा डालने का वक्त आ गया है !

हमें उस सारे दीर्घकालिक उपाय रचने होंगे जो हमने ना तो कभी सोचा था ना हमारे पास उस तरह का कोई प्लान था..

मगर इस संकट ने हमें बहुत कुछ सिखा कर छोड़ा है !

महामारी से निपटने हेतु सरकार को समस्याओं के ऊपर एक शिकारी की तरह टूट पड़ना होगा ! 

इस सिस्टम में कितने छेद हैं इस देश की सारी जनता को सरेआम दिख गया !

अब हमें एक शानदार एक्शन प्लान पर काम करना होगा.. 

सरकार को अपना मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर व्यापक पैमाने पर बढ़ाना होगा ! जिस तरह पिछले दो दशक में हमने इंजीनियरिंग सेक्टर में एक क्रांति ला कर रख दी उस तरह से मेडिकल की दुनिया में करके रख देना है !

हर जिला अस्पताल को मेडिकल कॉलेज में बदलो !

सारी पढ़ाई संबंधित फैसिलिटी ऑनलाइन करो !

बड़ी संख्या में देश के अंदर मेडिकल कॉलेजों के जाल बुन दो ! सारी जगह एकसाथ ऑनलाइन पढ़ाई.. मरीज वो लोकल सरकारी स्वास्थ केंद्र पर देखेगा और सीखेगा !

जिस तरह से पिछले दो दशकों में हमने एक एक घर से इंजीनियर पैदा किया है उसी तरह से हर एक गली मोहल्ले से हमें डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ निकालने होंगे !

शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार करना होगा.. 

बोरी भर भर के नंबर देते फिरोगे शिक्षा व्यवस्था का यही हाल होगा ! बीमार पड़ने से पहले इंजेक्शन और ऑक्सीजन लुटेरे ही समाज को मिलेंगे.. दिमाग विकसित हुआ नहीं और नैतिकता कंक्रीट के जंगलों में कभी इनके अंदर पनपी ही नहीं, ऐसे बच्चे तो भेड़ ही बनेंगे ! समझेंगे घंटा नहीं और ऑब्जेक्टिव प्रश्न पर तुक्का लगा कर, तोते की तरह आंसर रट के 99 फीसद ले आएंगे ! फिर दो नौकरी...

हमें एक सुदृढ़ प्रणाली विकसित करनी होगी जैसे आर्मी में बिना फिटनेस के बहाली नहीं  उसी तरह से बिना पढ़े साले को डिग्री मत दो ! मार्क्स छेनी से नहीं बुलडोजर से कट करो.. व्यवहारिक ज्ञान पर शिक्षा को आधारित बनाओ ! उस लायक नहीं बन रहा तो पंचर वाले, मिस्त्री वाले काम में शुरू से लगा दो GDP बढ़ाएगा..

छात्रों को एनाटॉमी जैसे विषयों को गंभीरता से पढ़ने पर मजबूर करो.. मानव शरीर के बारे में एक एक बेसिक चीज से उन्हें स्कूलों में ही परिचित कराओ.. विशेषज्ञ डॉक्टरों से ऑनलाइन पढ़ाने की व्यवस्था करो.. 

बॉटनी की क्लासेज भी अच्छे साइंटिस्ट से कराओ.. उसे वीडियो दिखा दिखा के पढ़ाओ ! उसका सिलेबस और हार्ड करो.. 

बच्चों के बाल मन में ही प्रकृति प्रेम सींच डालो.. 

एकदम लौंडे को आर्मी टाइप की सख्त पर्यावरण की ट्रेनिंग दो.. 

हमें ऐसी मानसिकता वाले बच्चे चाहिए जो पेड़ को अपने परिवार का हिस्सा समझे ! समझदार बने, लोगों को समझाए, जागरूक बनाये...

नाकाम अफसरों को जबरन रिटायर करो ! 

हर साल एक टेस्ट का आयोजन हो जिसमें उनके त्वरित निर्णय क्षमता को परखा जाए वो भी आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के द्वारा ! DA के लिए चिल्ला रहे अधिकांश गुटखा खैनीखोर कर्मचारी उस पद के काबिल ही नहीं जहां बैठ अभी वह कुर्सी तोड़ रहा.. प्रोडक्टिविटी एकदम जीरो ! जोंक की तरह चिपक कोई योजना लागू ही नही होने देता ! ये सिस्टम के फंगस है.. इनके लिए AI तकनीक ही एंटीसेप्टिक बनेगा ! ई ऑफिस जल्दी लागू हो जाये तो सारी हरामखोरी निकल जायेगी...

हम दो हमारे 10 पर तत्काल प्रतिबंध लगाओ.. सारी समस्या की जड़ यही है । सारा फसाद, अव्यवस्था का जड़ यही है ! 

अशिक्षा का बहाना नहीं चलेगा, लाइन से पैदा करोगे तो अपनी गारंटी पर कर साले ! एक पैसा भी अपने टैक्स का तुम्हारी मुफ्तखोरी पर सरकार को खर्चने नहीं देंगे ! कुत्ते की जिंदगी जी, ऐसे लोगों को मदद करना भी मानवता की श्रेणी में नहीं आता !

दुनिया के अंदर मेडिकल फार्मा इंडस्ट्री की मोनोपोली की कमर तोड़ देनी है । भारत अब इस क्षेत्र की महाशक्ति बन जानी चाहिए..

सरकार को आईडिया ना हो या थिंकटैंक बाबूगिरी से ऊपर न सोच पाता हो तो अपने mygov पोर्टल पर भी जनता से सुझाव मांगे । हेल्पलाइन नंबर जारी करें.. 

इस तरह जनता के जमीनी फीडबैक के अनुसार हमें एक बेहतरीन पॉलिसी बनानी होगी जो न केवल मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर में भारत को विकसित बनाएं बल्कि हमारे आयुर्वेद, योगा और संयमित जीवनशैली के सहारे हम दुनिया के सामने एक शानदार उदाहरण बन कर प्रस्तुत हो...

#जय_हिंद 🇮🇳