29 January 2021

● गणतंत्र के गुंडे ●


आज दिल्ली की सड़कों पर जो गुंडों की गुंडई दिख रहा वह भारतीय संविधान के अति लचीला होने की वजह से है !
आज ही के दिन भारत के संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में हम 72 वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं मगर दूसरी ओर किसानों के नाम पर दल्लों की नंगई से ये देश शर्मसार हो गया !

पंजाब से देश नहीं चलेगा भाईसाहब !
देश अपने संविधान, नियम कायदे से ही चलेगा !
हंगामे-उपद्रव करने से कानून भी वापस नहीं होता मगर पिछवाड़ा जरूर टूट जाता.. 
कहने को तो विधि का शासन हैं मगर हमारी सरकार ने बेहद लुंजपुंज तरीके से इस मामले को हैंडल किया है.. 
एक 2-4 हज़ार मंडी के दलालों ने दिल्ली बॉर्डर डेढ़ महीने से घेर रखा है और वार्ता पर वार्ता किये जा रहे ! मतलब संसद के बनाये कानून को न मानने के लिए इतना हौंसला कहाँ से आ रहा..

बेचारे किसान नित्य खेतों में काम करने वाले उन्हें क्या पता कि कानून नियम व्यवस्था आदि क्या होता ! साधारण बात है कि इस कानून से तकलीफ बिचौलियों को होने वाली है जो आम भाषा में दलाल कहे जाते हैं..
सरकार की मजबूरी है कि पंजाब के अनाजों को जनता में फोकट का न बांटे तो सड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है !
कल को हर up बिहारी सड़कों पर बैठ जाये कि ये पंजाब वाले मोटे खद्दर अनाजों को हम कोटा(जनवितरण) में नहीं लेंगे तो क्या ! 
फैक्टरियां हमारे यहां लगाओ नहीं तो कहीं काम करने नहीं जाएंगे और दिल्ली घेर के बैठ जाएंगे.. तब क्या !

पंजाब के खेतों में काम करने, मेहनत मजदूरी करने वाले up बिहार के मजदूर ही तो असली किसान हैं, ये लोग जो सड़कों पर 4 फिट के तोंद वाले अंकल उपद्रव कर रहे ये तो सैंकड़ों एकड़ जमीन वाले व्यापारी हैं.. 
सम्भवतः मेरा अनुमान सही था कि सरकार ने ट्रैक्टर आंदोलन की अनुमति देकर बड़ा गेम खेला है.. उसे पता था कि उपद्रव निश्चित है, और इन लोगों के असली चेहरे को सामने लाने का मौका भी !

हमने दिल्ली के अंदर योगी बाबा जैसे कुशल प्रशासक की कमी महसूस की जो शायद गणतंत्र के दिन अपने गणों की रक्षा कड़ाई से कर पाता !
हमें इस गणतंत्र की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाना चाहिए..
अन्यथा ऐसे आंदोलनों की आड़ में देश को बर्बाद करने की कोशिश की जाती रहेगी.....
#जयहिंद 🇮🇳

16 January 2021

विश्वगुरु की राह पर भारत 🇮🇳

भारत ने 21वीं सदी के मध्य तक महाशक्ति बनने का मार्ग आज प्रशस्त कर लिया ! सदी की सबसे बड़ी महामारी पर विजय हासिल कर हम अपने 130 करोड़ देशवासियों के साथ विश्वगुरु की राह पर चल चुके हैं !
हमने पहले ही संभावना जताई थी कि कोरोना काल भारत जैसे देश के लिए वरदान साबित न हो जाये ! जबकि यही पश्चिमी देश अपना हश्र देख हमारी बड़ी आबादी के लिए नकली चिंता करते दिख रहे थे !

आज से दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम भारत ने शुरू कर दिया ! 
दुनिया में सिर्फ 5 देशों ने कोरोना की वैक्सीन बनाई है ! सबसे सटीक और सस्ती वैक्सीन अपने राष्ट्र के नाम रहा !
ये ताकत वास्तव में हमारे वैज्ञानिकों को उन्हीं ताली, थाली, घण्टी और दीये से मिली जिसकी कभी मजाक उड़ाई गयी ! सनातन परंपरा का उपहास किया गया ! 

आज दुनिया के 100 से अधिक देश भारत से इन वैक्सीन की मांग कर रहे.. मगर सरकार ने शानदार कूटनीति का परिचय देते हुए पहले पड़ोसी देशों को प्राथमिकता में रखा है ! 
भारत की आगे की विदेश नीति पर निश्चित तौर पर इन वैक्सीन के दूरगामी परिणाम दिखेंगे ! श्रीलंका और नेपाल सरकार भारत का उपकार मानकर लहालोट हो रही !

चीन दुनिया मे मक्कार साबित हो चुका है ! चीन उससे भी ज्यादा इस सदमे में है कि उससे भारत के 130 करोड़ आबादी का बाजार हाथ से निकल गया.. जिसे वो अपनी नकली वैक्सीन बेचता ! यही हाल अमेरिका का भी है.. 

मतलब ये महाशक्तियां भारत की सफलता से बिल्कुल अचंभित है.. फाइजर कंपनी की तो पीजे दांत से सीरम और भारत बॉयोटेक ने शिकार छीन लिया है.. 
ये अभूतपूर्व सफलता हम हिंदुस्तानी को गर्वित कर रही है..
मात्र 6 साल की सरकार इतनी आत्मनिर्भर हो गयी है कि पाकिस्तान तक के न्यूज़ चैनलों में मोदी की प्रशंसा की जा रही है !

जैसी हमलोगों की आदत रही है लोग मानकर चल रहे थे कि बहुत बड़े बड़े पैरवी-पौवा वाले लोगों के बीच वैक्सीन के लिए मारामारी मचेगी.. फिर पार्टी के पद वाले, फिर चचा विधायक हैं वाले, फिर रोड पर गाड़ी पकड़ाते फोन घुमाने वाले नागरिकों के बाद ही आम आदमी का नंबर आएगा !

मगर यहां तो साला गेम ही उल्टा है ! कोई मारामारी नहीं, शांति से और सिस्टम से वैक्सीनेशन भी शुरू हो गया !
यकीन नहीं हो रहा कि यह वही इंडिया है जो पहले हुआ करता था..
मतलब जस्ट लाइक ऐज मिरेकल !!!

ये सारी सफलता की देन हम देशवासियों की है.. जिन्होंने मुश्किल समय में उन फ्रंट लाइन वर्कर्स के साथ खड़े रहे, उन्हें सम्मान दिया, उनकी हौंसलों को बढ़ाया...
फिर उस सरकार को साधुवाद जिसने देशवासियों के लिए अर्थव्यवस्था तक को दांव पर लगाने से नहीं घबराए.. चुपचाप इस समस्या पर विजय पाने के लिए वैज्ञानिकों का हर कदम पर साथ देते रहे और अंततः इस भारतभूमि के लालों नें देश का परचम लहरा ही दिया..

#जय_हिन्द 🇮🇳

09 January 2021

विदेशी एप्लीकेशन की मनमानी

हाल ही में व्हाट्सएप्प ने यूजर डेटा को अपने अन्य प्लेटफॉर्म पर साझा करने की जबरन अनुमति मांगनी शुरू कर दी है अन्यथा एकाउंट बंद करने की धमकी दे रहे ! 
130 करोड़ आबादी वाले देश में इन कंपनियों की दादागिरी आखिर किसकी शह पर चल रही है ? 

आंकड़ों के हिसाब से व्हाट्सअप के दुनिया भर में 20 करोड़ यूजर हैं, जबकि भारत में अकेले साल 2022 तक 82 करोड़ स्मार्टफोन यूजर हो जाएंगे !
फेसबुक, व्हाट्सएप्प चलाने वाले हर भारतीय का एक एक डेटा ये विदेशी कंपनियां न केवल चुरा रही बल्कि पश्चिमी देशों की पूंजीवादी विस्तार में परोक्ष मदद भी कर रही है !
हम क्या खा रहे, क्या पी रहे, क्या पहन रहे... हमें क्या पसन्द और क्या नापसन्द है ये सारी जानकारी बेच वे असीमित मुनाफा कमा रहे ! 

मतलब डेटा चोरी के लिए भारत जैसे विशाल आबादी वाला देश इन्हें बिना किसी अतिरिक्त शुल्क कैसे मिला हुआ है ये बहुत गंभीर प्रश्न है ? सरकार डेटा प्रोटेक्शन के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करती दिख रही है ! अपने नागरिकों की निजता सुरक्षा हेतु बिना कोई कठोर नियम के इन कंपनियों को छूट दे रखी है.. 

उदाहरण के तौर पर आप फ्लिपकार्ट पर कुछ भी देखें, फिर थोड़ी देर बाद फेसबुक पर उसी समान को खरीदने का विज्ञापन अलग अलग कंपनियों की तरफ से आने शुरू हो जाएंगे !
आप जोमैटो से क्या आर्डर कर रहे, कहाँ किस किस रेस्त्रां में, पार्क में या शहर में जा रहे ये सारी जानकारी इन कंपनियों को पता है !
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल कर ये न केवल आपका ब्रेनवाश करने की कोशिश करते हैं बल्कि कई बार ऑफर देकर प्रोडक्ट खरीदने तक को मजबूर कर दे रहे..

किसी कूटनीतिक टकराव की स्थिति में ये सारी जानकारी के आधार पर शत्रु उन चीजों की सप्लाई लाइन आसानी से काट सकते जो भारतीय को ज्यादा पसंद हो या जरूरी हो !
या शत्रु देश को सारा डाटा पैसों के लिए बेच भी सकते ! 

सरकार डिजिटल इंडिया के माध्यम से कामकाज के तरीकों को तो सरल कर रही है परंतु इन विदेशी सोशल प्लेटफार्म का कोई विकल्प जनता को नही दे रही ! कौन सी कूटनीतिक लॉबी के आगे हमारी सरकार मजबूर है ये हमें अवश्य जानना चाहिए..
सरकार को डेटा प्रोटेक्शन एक्ट में व्यापक बदलाव करना होगा और इन मनमानी कर रही प्लेटफॉर्म्स को भारतीय कानून के हिसाब से चलने के लिए मजबूर करना होगा ! 

ऐसी राष्ट्रवादी सरकार इन झंडू कंपनियों को बस एक तिरछी नज़र से देख भी लेगी तो अमेरिका में हड़कंप मचना तय है ! 
सालों की ग्लोबल एजेंसी होने की सारी दादागिरी और तगमा धड़ाम हो जाएगा.. 
Pubg और tiktok का हश्र सबके सामने ही है !

भारत सरकार को इतने बड़े बाजार का अपने तरीके से इस्तेमाल करना होगा ! बाजार को ठेकेदारों के हाथों में देने से न सिर्फ व्यापारियों का शोषण होता है बल्कि जनता भी सरेआम व्यापारियों द्वारा ठगी जाती है...
कंपनी है उसे कंपनी की तरह रहने का निर्देश दें.. उगाही की धंधेबाजी में कहीं ये बाजार न खो दे !
अपने नियम कानून थोपने की कोशिश में कहीं मोदी की एक घोषणा मात्र रसातल में न पहुंचा दे...
हमारे लिए नियम कानून वहीं बनाएंगे जिसे हमने चुनकर भेजा है.. अनपढ़ है, गंवार है या मूर्ख है जो भी है वो अपना है, एक हिंदुस्तानी है... 
#जय_हिन्द 🇮🇳

08 January 2021

अलोकतांत्रिक अमेरिका

लोकतंत्र का असली मतलब अमेरिका को आज समझ आया होगा ! लोकतांत्रिक आजादी को हथियार बनाकर दुनिया के निर्मम देशों के ऊपर गुंडागर्दी करना इस अमेरिका की पहचान रही है ! बहुत ही निर्लज्जता से इसी अमेरिका ने बहुत सारे कमजोर राष्ट्रों की आर्थिक और राजनीतिक आजादी को बर्बाद किया है !

आज उनके नागरिक अगर अमेरिकी संसद में घुस उसे हाईजैक कर रहे, अराजकता फैला रहे और ताबड़तोड़ गोलियां चला रहे तो इसमें उनका कोई दोष नहीं ! ये उन्हें उनकी ही सिस्टम ने सिखाया है !

ट्रम्प की महत्वकांक्षा भी जायज है और बाइडेन की भी ! मगर किस बात की महाशक्ति देश भाई ? जिस देश की चुनाव प्रणाली एक सत्ता हस्तानांतरण तक नहीं करा पा रही !
4 गुना अधिक आबादी वाले भारत में बेहद शांतिपूर्ण तरीके से और कई बार 1 वोट तक से सत्ता का हस्तांतरण हो जाता है !
अपना घर सम्भलता नहीं और चले दुनिया का नेता बनने ! मतलब दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में एक ढंग का चुनाव आयोग तक नहीं है !

खास बात ये है कि इस घटना की कई हिंसात्मक वीडियो में इनके मिलिट्री फ़ोर्स की एक्टिविटी बेहद निम्न स्तर की दिख रही ! 50 तरह के इक्विपमेंट लगा लेने से जिगर नहीं आता !
बिना हथियार-हेलमेट के आतंकियों से भिड़ जाने वाली आर्मी अपना रोल मॉडल है !
ऐसे छोटे मोटे उपद्रव हमारे इंडिया में रोज होते रहते हैं !

सरकार के खिलाफ गालीबाजी, प्रदर्शन और थोड़ा उपद्रव यहाँ लोकतांत्रिक आजादी में गिनी जाती है, मगर सत्ता के लिए ऐसा नंगापन कभी नहीं होता.. गर्व है अपने देश पर...
#जय_हिन्द





अंग्रेजी नववर्ष 2021

अंग्रेजी नववर्ष की सर्वप्रथम सेना को फिर सभी प्रिय राष्ट्रवादी मित्रों को शुभकामनाएं !
पिछले वर्ष की सारी समस्याओं को पीछे छोड़कर फिर से नई उमंग, जोश और जज्बे से हमें आगे बढ़ना है !
देश की शान को बरकरार रखते हुए 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की दिशा में इसे आगे बढ़ाना है !

हम आशा करते हैं कि सारी जटिल समस्यों का निदान धारा 370 वाली थ्रिलर में होगा !
सारे मुख्यमंत्री शासन का तरीका योगी महाराज वाली स्टाइल में बदल लें ! न्यायपालिका का पुनरुद्धार हो, पीढ़ी दर पीढ़ी प्रणाली समाप्त हो !
मोदी सरकार इसी तरह नित्य नए नए कानून लाकर सुधार करती रहे और नए नए आंदोलन जन्म लेते रहें ! और इनकी बिलबिलाहट देखकर राष्ट्रवादियों को ठंढक पहुंचती रहे !
वर्ष 2021 हम दो हमारे बीस की प्रथा समाप्त करने के लिए जाना जाए !
भ्रष्टाचारियों को त्वरित न्याय दिए जाने की व्यवस्था हो और कम से कम उम्रकैद हो !
IPC और Crpc के प्रोविजन आज के हिसाब से बदला जाए और काले अंग्रेजों से देश को सुरक्षित किया जाए !

यह वर्ष चुनाव सुधार के लिए भी जाना जाए ! सरकारी स्कूली शिक्षा का आधुनिकीकरण हो और नई शिक्षा नीति का अनुसरण हो !
स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक सुधार देखने को मिले ! डॉक्टरों को मानव सेवा के लिए बाध्य बनाया जाए, ई-हॉस्पिटल की व्यवस्था इसी वर्ष शुरू हो और निरीह लोगों तक स्वास्थ पहुंच की संकल्पना सार्थक हो !

सभी मित्र अपनी नौकरी, व्यवसाय और जिंदगी में ढेर सारी तरक्की करें ! आपका बैंक बैलेंस मैंटेन रहे... ईमानदार बनें रहें, अनपढ़ लोगों से अच्छा बर्ताव करें, लाचारों की सेवा करें और गरीबों के लिए भी थोड़ी मदद को तैयार रहें !
एक ईमानदार टैक्सपेयर होने के नाते आसपास हो रहे सरकारी लूट की जानकारी सही जगह पहुंचाएं...

पुनः आशा है कि इस नववर्ष हम एक अच्छे नागरिक, मतदाता और इंसान के रूप में स्वयं को समाज के सामने प्रस्तुत करेंगे..
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31 October 2020

● अयोग्य नौकरशाह ●


बिहार के मुंगेर में बीते दिनों हिन्दू श्रद्धालुओं पर पुलिसिया दमन की घटनाएं और प्रतिउत्तर के रूप में भीड़ का सरकारी तंत्र पर हमला नेचुरल जस्टिस के ही अनुरूप माना जा सकता है !
दुनिया का ही इतिहास देखें तो रूस, जर्मनी, थाईलैंड और कई अफ्रीकी देशों के तानाशाहों/राजाओं से जनता ने मुक्ति कैसे पाई ? सरकार में बैठ या सरकारी तंत्र का हिस्सा होकर आप आम जनता को अपना गुलाम नही समझ सकते तथा किसी भी स्तर पर आपका तंत्र उनका मुकाबला नहीं कर सकता ! और भारत जैसे लोकतांत्रिक देश जहां के नागरिक अपने मूल अधिकारों से हमेशा लैस होते हैं... उनपर तो कोई तंत्र सुप्रीम कोर्ट के रहते तो बाल भी बाँका नहीं कर सकता !

मगर माता के विसर्जन के दौरान ये सशस्त्र दमन यूँ नहीं हुआ !
UPSC ने पिछले 10-12 सालों के दौरान IAS-IPS जैसे उच्च अधिकारियों की नियुक्ति में निराशाजनक प्रदर्शन किया है ! व्यवहारिक ज्ञान वाले मध्यम वर्ग के कैंडिडेट की जगह पब्लिक स्कूलों में पढ़ने वाले और बाप के मर्सिडीज से स्कूल जाने वाले तोते को तरजीह दी है ! बाप या माँ अगर नौकरशाह हैं तो गारंटी टाइप हो गयी है कि बाल बच्चा तो यूपीएससी पास करेगा ही.. हाई रैंक न मिला तो IT कमिश्नर तो बनेगा ही...

नतीजा सबके सामने है.. DM साहेब और कई साहिबायें सड़क पर उतरकर सरेआम ऑन कैमरा आम जनता को थप्पड़ लगा दे रहे.. जरा सी बात पर गोलियां चलवा दे रहे, जनभावना से कोई वास्ता नहीं.. रईसों से या नेताओं के बेटियों से शादी कर आराम दे जिंदगी सेटल कर लेते हैं.. फिर न तो उनका नेता कुछ करवा पा रहे और जनता की पूछता ही कौन है !

मतलब देश के सबसे कठिन एग्जाम पास करने वाले इन नौकरशाहों में दमन की मानसिकता पनपती कैसे है ! जाहिर सी बात है कि कोई यूँ ही UPSC तो पास नही कर सकता, बल्कि भारतीय संविधान, समाज सहित देश दुनिया की तमाम जानकारियां बहुत गहरी तौर पर रखनी पड़ती है ! उस पर अपनी समझ, बुद्धिमता और तार्किक ज्ञान के बदौलत ही नौकरशाह बनते हैं ! 

तो आखिर किस आधार पर निहत्थी भीड़ पर लाठियां चलाई गई ? विसर्जन में शामिल नाबालिग युवा को सरेआम गोली मार दी गयी ?
फिर भीड़ ने जो प्रतिक्रिया अगले दिन किया वो स्वाभाविक है .. 
आपने कानून का पालन नही करने को इन निरीह जनता को प्रेरित किया ! 
सरकार अपने तंत्र के बदौलत चलती है, लोकशान्ति स्थापित करने हेतु पुलिस को असीमित शक्तियां दी गयी है मगर इसका मतलब ये कतई नही हो सकता कि आप संविधान की सीमा लांघकर दमन कर दें !
गोली चलाना पुलिस का अंतिम विकल्प है वो भी देश-राज्य के लिए खतरा बने भीड़ etc पर ! मगर यहां पहले विकल्प में ही गोली चला डाली गई वो भी निहत्थी श्रद्धालुओं पर सामने से ! मतलब आंसू गैस या अन्य प्रशासनिक उपायों की कोई आवश्यकता ही नहीं रह गयी है.. सरकार ने जनता के पैसों से गोली खरीद कर दी और जनता को वही गोली खिला दी गयी.. 

प्रकृति का नियम ही है प्रतिउत्तर ! किसी किट पतंग या निरीह जानवरों को परेशान करोगे तो उसे जितनी क्षमता होगी पंजों-दांतों से वो कोशिश जरूर करेगा सबक सिखाने !

सरकार को अपनी बहाली प्रक्रिया और नियुक्ति के बाद प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर विचार किये जाने की जरूरत है ! भीड़ प्रबंधन और आम नागरिकों के प्रति अधिकारियों की जबाबदेही सुनिश्चित की जा सके ! अयोग्य नेताओं से ये जनता तो पहले से ही परेशान है, अब कम से कम अयोग्य अधिकारियों को तो इनके सिर मत लादिये ! 
आम जनता के बीच से अपनी बुद्धिमता और कौशल के बदौलत पले बढ़े गुदड़ी के लालों को नौकरशाह बनाने पर जोर दीजिये..
देखिए आपका यही UP-बिहार के लौंडे फिर से देश को कैसे रफ्तार देते हैं...

#जय_हिंद

07 October 2020

● बिहार चुनाव 2020 ●


बिहार में चुनावी मंच सज गया है ! 
जनता फिर से मूकदर्शक की भूमिका में बैठ इन नेताओं की घटिया प्रस्तुति देखेगी ! आखिर बिहार की जनता इस बार मूक क्यों है ? देश की राजनीति में दहाड़ने वाले बिहारी बदलाव चाहते हैं या फिर से उसी सिहांसन को लादे रखना चाहते हैं ये परिणाम स्पष्ट करेगा !

महान बिहार के बारे में किसी को परिचय की जरूरत नहीं ! राजनीतिक बुद्धिमता वाले राज्य का ऐसा हश्र किसने किया ? 15 साल बनाम 15 साल की लड़ाई मिट चुकी है ! बिहारियों ने सबको देखा, दोस्त को दुश्मन और दुश्मन को दोस्त बनते देखा ! सत्ता के लिए लोकतंत्र  के पीठ में खंजर खोपे गए ! बिना जनता से पूछे हर वो काम किया गया जो शायद किसी न किसी को इस चुनाव में मिट्टी में मिलाएगी ही !
15 साल के जंगलराज को मिटाने की कसमें खाने वाले भी 15 साल राज कर गए !
बिहारी मतदाता खुद को राजनीति का चाणक्य होने का दम्भ भरता है, मगर किस आधार पर ? 
किस बात की पॉलिटिक्स जो खुद के अधिकारों के लिए अपने राज्य शहर गांव तक में लतियाये जा रहे ! 
बाहरियों के लिए श्रमिक राज्य बनकर रहे गए ! 
रोजगार, इंडस्ट्री, सुरक्षा शब्द से दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं ! शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति या सच्चाई देखनी हो तो भाई साहब ग्राउंड पर उतरने से पहले नवरत्न तेल मलना होगा ! 

बिहार में आखिर बदला क्या ? खासकर कई क्षेत्रों में व्यापक बदलाव देखने को मिली, विकास की परिभाषा शुरुआती 10 वर्षों में समझ आयी !
● गांव गांव सड़कों का जाल बिछा डाला गया ! भले ही मरम्मत न हो या कमीशन खोरी कर के आधा पैसा डकार लिया गया मगर मिट्टी की फिसलन की जगह गिट्टी की सड़क तो बनी !
● दूर दराज के गाँव तक बिजली की सुविधा पहुंचाई गई ! ढिबरी एरा से जनता को उबारा गया !
● सबसे बेहतरीन योजना अगर कोई रही तो लड़कियों को साईकल और पोशाक देने की ! गाँव की गरीब परिवार की लड़कियाँ साईकल से उड़ने लगी और आश्चर्यजनक तौर पर इन दोनों योजनाओं का फायदा हुआ कि जो लड़कियों को लोग स्कूल भेजने लगे, वो शिक्षित होने लगी ! ये योजना बिहार के इतिहास में मेरे हिसाब से मिल का पत्थर साबित हुआ है ! इसी भरोसे के बलबूते आज स्कूटी से फर्राटे भर रही !
● अन्य कई छात्रवृत्ति की योजनाएं, शासन की जवाबदेही etc में भी व्यापक सुधार देखने को मिली !

परंतु बिहार के विकास की जिम्मेदारी 4-5 क्षेत्रों के बदौलत नहीं है ! निम्न सवालों का जबाब सरकार या विपक्ष घोषणा पत्र तक में नही दे पा रहे जिसका 10% तो कभी पूरा ही नही करते !

~एक भी बड़ी इंडस्ट्री बिहार में क्यों नही आई ? उन्हें सुरक्षा की गारंटी क्यों नहीं दे पाए ? या कैसे दे पाएंगे इसका कोई विज़न ?
~80 से 85 % अयोग्य लोगों को बिहार की शिक्षा की जिम्मेदारी किस आधार पर दी ? अयोग्यों की बड़ी फौज लगभग हर सेक्टर में तैनात कर रखी है ! 
~सरकारी कार्यालयों में संविदाकर्मियों को रखकर प्रतिभावान छात्रों का भविष्य बर्बाद करने का अधिकार किसने दिया ?
~ऑनलाइन गवर्नेंस में अन्य राज्यों की तुलना में फिस्सडी क्यों है बिहार ? अफसरशाही और भ्रष्टाचार को बढ़ाने के लिए !
~शराबबंदी से बिहार को कितना नुकसान हुआ इसका आंकलन कौन करेगा ! जनता से पूछे बिना फैसले किस आधार पर किये ? उसका नुकसान आम जनता पेट्रोल, स्टाम्प और बिजली पर लादे गए अनावश्यक टैक्स क्यों झेले ? 
~बिहार का अगले 20 या 50 सालों का कोई मास्टर प्लान तक क्यों नही है ! 2 दिन बैठकें करके पुल, हाईवे नहीं बना दिये जाते बल्कि प्रॉपर प्लानिंग की जरूरत होती है ! नहीं तो पटना नाले की पानी में डूबती रहेगी !
~जब देश के 9 शहरों में मेट्रो फर्राटे भर रही है तब 2nd सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य को मेट्रो की चिंता आयी है !
~रोजगार की संभावनाओं में बिहार नेगेटिव में ही पड़ा है ! बिहार के लेबर स्टेट बने रहने में किसका फायदा है आखिर !

बिहार अब बदलेगा ! अब मतदाता पहले जैसा नहीं है बल्कि हर 5 वर्ष पर सत्ता में परिवर्तन चाहता है ! मगर जनता के पास विकल्प है ही नही या कभी दिया ही नहीं गया, न दिया जाएगा ! 
वोटरों के बीच जातिवादी मानसिकता कहीं न कहीं उभर कर सामने आ ही रही है ! मगर लोकसभा के चुनाव में ये अलग दिखती है और विधानसभा में अलग !

ये नया बिहार है, अब नेताओं को जनता के सवालों से एनकाउंटर टाइप हो जा रहा है ! चाणक्य-चंद्रगुप्त की धरती के मतदाता इतनी आसानी से लोकतंत्र को तो धराशायी नहीं होने देंगे !

मतदाता निष्पक्षता से अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रयोग से ऐसी सरकार का निर्माण करे जो उनके सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के प्रति गंभीर हो ! जनभावना की कद्र करे, शासन को टाइट रखे, अफसरशाही को ऑनलाइन गवर्नेंस से सुधारे-जवाबदेह बनाये और रोजगार के व्यापक अवसर प्रदान करे ! निवेशकों को बिहार आने के लिए टैक्स आदि में छूट देकर रिझाए और न माने तो केंद्र को मजबूर कीजिये यहां इंडस्ट्रियल हब बनाने को ! 

IAS, IPS सहित अन्य सरकारी नौकरी की फैक्ट्री यूँ नही है हमारा बिहार ! नेतृत्व में अगर दम हो तो विकास के शिखर पर चढ़कर हम बिहारी झंडा गाड़ देंगे... 
#जय_हिंद 🇮🇳

24 September 2020

● श्रमेव जयते ●

इस देश की संसद ने श्रम कानूनों को सरल बनाते हुए ऐतिहासिक श्रम सुधार किया है !

कोड ऑन वेजेज, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड, सोशल सिक्योरिटी कोड एवं इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड कानूनों के द्वारा भारत के मजदूरों, व्यापारियों के बीच सामंजस्य का रास्ता प्रशस्त किया है !

कानून के कुछ मुख्य पहलुओं को देखें तो भारत में पहले 44 तरह के विभिन्न श्रम कानूनों के द्वारा मजदूरों के अधिकारों और उनके हितों की संरक्षण करने की कोशिश की जा रही थी, ये कानून 70 साल - 80 साल पुराने हो चुके थे और आज की वर्तमान परिस्थिति में हमारे श्रमिक वर्ग और हमारे व्यापारी दोनों ही इन कानूनों से परेशान हो रहे थे !
100 तरह के अलग अलग रजिस्टरों को मेंटेन करना तथा विभिन्न श्रम कानूनों के तहत अलग-अलग अनुपालन, श्रमिक - मजदूरी जैसे शब्दों की सही व्याख्या ना होना यह हमारे देश की अर्थव्यवस्था को तो बाधित कर ही रहा था साथ ही श्रमिकों के अधिकारों को भी दुविधा में रख रहा था !

चूंकि मजदूरों के अधिकारों को लेकर हमारी संविधान सभा ने व्यापक विचार-विमर्श किए थे, मगर उन्होंने अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए कानून को ही आगे बढ़ाने का फैसला किया था ! क्योंकि काफी संघर्ष, आंदोलन के बाद मजदूरों के शोषण को रोकने के लिए मजदूरी , बोनस, सामाजिक सुरक्षा जैसे विषय श्रमिकों के लिए लाए गए थे !
आज देश की संसद ने ऐतिहासिक श्रम कानूनों में व्यापक परिवर्तन करते हुए सभी श्रम कानूनों को चार कोड के अंदर समाहित कर दिया है ! 
यह कानून विभिन्न श्रमिक संगठनों उद्योगपतियों और अन्य हित धारकों से व्यापक विचार-विमर्श कर बनाया गया है ! श्रम कानून को बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल भी होती है !

इस कोड के कुछ मुख्य पहलुओं को देखें तो -
● ईएसआई ईपीएफ के द्वारा करीब 40 करोड श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ देने की संकल्पना की गई है !

● ईएसआई के द्वारा आश्रित हितलाभ, चिकित्सा हितलाभ, मातृत्व हितलाभ, बेरोजगारी भत्ता, बीमारी हितलाभ एवं पेंशन जैसे मूलभूत एवं बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति हमारी सरकार अब unorganised sector के लिए भी करेगी !

● ग्रेच्युटी के नियम को काफी सरल बनाया गया है ! Minimum 5 साल कार्य करने की बाध्यता खत्म कर दी गयी है ! अवधि के अनुपात में रकम देनी होगी !

● महिलाओं को रात में भी काम करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है !
● धर्म जाति लिंग के आधार पर वेतन या अन्य सुविधाओं में कोई भेदभाव नहीं कर सकेगा !

● सभी संस्थानों को अपने कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य होगा !

● 20 से ज्यादा श्रमिक वाले संस्थानों को ऑनलाइन पोर्टल पर नियुक्तियों की संख्या सरकार को बतानी होगी, जिससे लोग रोजगार के सही आंकड़े और अवसर से अवगत होते रहेंगे !

●पहली बार माइग्रेंट वर्कर्स के लिए प्रावधान लाये गए हैं ! 18000 तक आमदनी वाले प्रवासी मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा देना साथ ही वर्ष में एक बार घर जाने का किराया भी देना अनिवार्य होगा !

● खतरनाक श्रेणी के संस्थानों में ESI अनिवार्य होगा चाहे उस संस्थान में एक ही कर्मचारी क्यों न कार्यरत हो ! 
इसके साथ पहली बार बागान मजदूरों के लिए भी ESI का प्रावधान किया गया है !

● गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए पहली बार सरकार ने सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का प्रावधान किया है ! मतलब जोमैटो, ओला, फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन सेक्टर के वर्कर पर भी ये सारे प्रावधान लागू होंगे !

● Unorganised सेक्टर के मजदूरों के लिए एक बोर्ड बनाया जाएगा जो उनकी सामाजिक सुरक्षा से संबंधित कामकाज की देखरेख करेगी !

● मजदूरों का वर्ष में एक बार हेल्थ चेकअप करना होगा !

● वेतन को डिजिटल फॉर्म में यानी खाते में देना होगा ! इससे निम्न वेतन संबंधित शिकायतों का पूरा लेखा जोखा रखा जा सकेगा !

दूसरी तरफ भारत को दुनिया के अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी है, इसके लिए इज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस में भारत को सुधार करने की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी !
जिन श्रम कानूनों की वजह से विदेशी कंपनियां विदेशी इंडस्ट्रीज भारत नहीं आना चाहती थी, उन पहलुओं को भी सरकार ने ध्यान में रखा है और यह प्रावधान किया है कि 300 से कम कर्मचारी वाले संस्थान अब बिना सरकार की अनुमति के अपने कर्मचारियों को बहाल कर और हटा सकते हैं !
हड़ताल के प्रावधान में मजदूर संगठनों को 14 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य किया है ताकि उन 14 दिनों के दौरान सुलह की संभावना बन सके !

ई- इंस्पेक्शन की बात कही गयी है जो पूरी तरह फेसलेस और वेब बेस्ड होगी ! अभी खासकर केंद्रीय श्रम कानूनों में तो इंस्पेक्टर राज पर पूरी तरह से पाबंदी है लेकिन राज्य सरकारों में तैनात श्रम विभाग के अफसरों द्वारा व्यापारियों को प्रताड़ित किया जाता था उन पर भी लगाम लगाई गई है और वे बिना अनुमति के संस्थानों में नहीं जा सकेंगे !

तो कुल मिलाकर सरकार ने देश के 90 करोड़ श्रमिक वर्ग के लिए तथा विदेशी निवेश में बढ़ावे को ध्यान में रखते हुए इन 4 लेबर कोड के द्वारा नए भारत को गढ़ने की कोशिश की है ! आने वाले भविष्य में इन कानूनों की सार्थकता को कैसे साबित किया जाता है यह पूरी तरह सरकार पर निर्भर करेगा ! इन कानूनों का उधोगपति कितना अनुपालन कर पाते हैं और सरकार उनसे कितना अनुपालन करा पाती है इसी पर सारा खेल निर्भर रहेगा !
श्रमिक हमेशा से निरीह रहा है, उसे अधिकार दिलाना सरकार की जिम्मेदारी है और आशा है कि राष्ट्र इनके अधिकारों के बलबूते श्रमेव जयते का उद्धोष करेगा...
#जय_हिन्द 🇮🇳

~ Ashwani Kumar


10 September 2020

● मुम्बई की लक्ष्मीबाई ●


उद्धव महाराष्ट्र का दब्बू मुख्यमंत्री तो कहा जा सकता मगर ठाकरे परिवार का वारिस नहीं लगता ! क्या इज्जत रह गयी इस शिवसेना की ? इनके डर से भारत पाकिस्तान मैच तक रद्द हो जाय करते थे..
आज 5 फुट की एक लड़की नाक काट के रख दी !
असीमित शक्तियों के दम पर आप अच्छा शासक बिल्कुल नहीं बन सकते ये इतिहास गवाह है ! 
शक्तियों का दुरुपयोग कर घर उजाड़ दिया वो भी इस कोरोना काल में ! बड़े बुजुर्ग बिना मतलब पंछी तक के घोंसले को छूने मात्र से मना करते हैं, और यहां बोलने मात्र से बिल्डिंग ढहा दी जाती है !

बधाई हो महाराष्ट्र को और वहाँ के सत्ताधारी नेताओं को ! आपने एक ऐसी वीरांगना को जन्म दिया है जो आगे चलकर आपकी ही परेशानियों का सबब बनेगी !
कल की कैबिनेट मंत्री या मराठा साम्राज्य की मुख्यमंत्री की छवि हमें कंगना में दिख रही है !

राजनीतिक बड़बोलेपन में किसी का मकान आप गिरा दोगे ! अगले पक्ष को बिना मौके दिए फैसला कर लेना कहाँ का प्राकृतिक न्याय है ?
न्यायपालिका को फौरन इस मामले पर कार्रवाई करनी चाहिए ! उसे रिट की शक्तियों का प्रयोग कर तत्काल दोषी BMC अधिकारियों पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया जाए और सारी क्षतिपूर्ति वसूला जाए ! न्यायपालिका को बेशक अपनी उपयोगिता दिखानी होनी ! कानून का राज कायम होना चाहिए, राजनीतिक दल्लों का नहीं !

कंगना ने बहुत बड़े बड़े लेवल के लोगों से पंगा लिया है ! बॉलीवुड के नंगे अस्तित्व को सामने लाने का प्रयास किया है ! CBI, NCB, ED इन गैंगों के पीछे लगी पड़ी है ! 
कंगना ने जो हिम्मत दिखाई है, वह वास्तव में उनका अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है ! JNU, जंतर मंतर या मुम्बई में जिस तरह आप देश को गाली बकने को अपना अभिव्यक्ति की आजादी समझते हो, उसी तरह का अधिकार कंगना को भी है !

यूँ कंगना को 2 कमांडो सहित 11 CRPF के जवान घेरे रानी लक्ष्मीबाई का सीन क्रिएट कर दे रहे हैं !
सबको बोलने का अधिकार है, सबको अवार्ड वापसी का अधिकार है, सबको डर लगने का अधिकार है ! ये अधिकार ही आपको लोकतांत्रिक बनाता है ! डर बेहद जरूरी है !

सत्ता के लिए देश विरोधी कुकृत्य कभी सहनीय नहीं हो सकती ! बाला साहेब की इज्जत लोग इसलिए करते थे कि उनके फैसलों में राष्ट्रवाद की सुगंध होती थी ! आपके मराठी अस्मिता का ढोल एक साधारण सी नायिका ने फोड़ डाला है... एक छोटा सा मकान तोड़ा और पूरा देश लक्ष्मीबाई की छवि देख रहा.. उसके चारों तरफ 11 सेना के जवान कदमताल कर रहे.. यही तो है राष्ट्रवाद का गौरव...

#जय_हिन्द 🇮🇳

03 September 2020

● बेरोजगार की आवाज ●


युवावस्था में बड़ी आबादी की बेरोजगारी किसी देश के अर्थव्यवस्था के लिए संकट के समान है ! ये दर्शाती है कि देश और तंत्र की नीतियां भटक चुकी है... आपने बेरोजगारों की ये जो बड़ी फौज तैयार कर ली है इसका हल दूसरे को थोड़े ढूंढना होगा ! कॉस्ट कटिंग के नाम पर नौकरियों पर रोक लगा देना किसी भी परिस्थिति में दूरदर्शिता नहीं कहा जा सकता !
सभी लोगों को नौकरियां नही दी जा सकती, मैंने मान लिया.. 
परंतु सभी व्यापार तो नहीं कर सकते, पकौड़े भी तो नहीं तल सकते ! सबकी अपनी अपनी क्षमताएं होती है ! अब हाथी पेड़ पर नहीं चढ़ सकता.. चींटी को गधे नहीं बना सकते.. 
एकसमान ढर्रे पर हम जनता को ले जाने की कोशिश भी नहीं कर सकते ! आप नीतियों के सहारे उसे बस व्यवस्थित करने की कोशिश कीजिये ! भारत जैसे लोकतांत्रिक देश पूंजीवादी तौर तरीके से नहीं चल सकते..

युवा को नजरअंदाज करना क्रांति को बुलावा देने के समान है ! वो भविष्य है इस भारतभूमि का.. मान लिया हमने की पूर्ववर्ती सरकारों ने कुछ नहीं किया मगर आपको तो लाया की शायद आप इस तकलीफ को समझेंगे.. यहां स्थिति एकदम उलट हो गयी है, 59 तरह के आयोग और कमीशन बना देने से व्यवस्थाएं नहीं बदलती ! जनता को, युवा को भरोसा में रखना सीखिए.. उनके लिए नीतियां बनाइये..
क्या फायदा एसएससी और RRB जैसे बोर्डों का जो एक एग्जाम तक नहीं करा पा रहे..

बेरोजगारों के लिए क्या उपाय किये ? 
बैंकों से लोन लो और बिज़नेस करो, ये ध्येय था इस लोकतांत्रिक भारत का ? लोकतंत्र में चुप्पी बेहद घातक होती है.. जनता के प्रति जबावदेही ही इसकी सार्थकता सिद्ध करती है !
लोगों की क्रय शक्ति घट रही, कई सेक्टर ऑटोमेशन पर जा रहे, लॉकडाउन के कारण कई इंडस्ट्री बर्बाद हो गयी है फिर भी लोन बाँट कर वाहवाही लूटने की कोशिश निरर्थक प्रयास है ! खाने को पैसे नहीं वो क्या लोन और ब्याज चुकाएगा..

युवाओं की समस्या के प्रति सरकार को गंभीर हो जाना होगा ! ये मुद्दा राष्ट्रहित से अलग है सो सभी राष्ट्रवादी निश्चित ही युवा के साथ खड़े मिलेंगे ! परीक्षा प्रणाली में CET मात्र के सहारे नहीं सुधारा जा सकता.. UPSC में जिस तरह से धनाढ्य और अंग्रेजी मानसिकता वाले लोगों का चयन हो रहा है, ये आने वाले सालों में बिना जमीनी समझ के देश के नीति निर्माता बनेंगे.. भगवान मालिक होगा ऐसे अधिकारियों का.. 
#जय_हिंद
#SpeakUpForSSCRailwayStudents